भवन के वास्तु में नौ ग्रहों का महत्वपूर्ण स्थान होता है। प्रत्येक ग्रह का भवन में एक निश्चित स्थान होता है। इसी प्रकार प्रत्येक दिशा के देवता भी अलग-अलग होते हैं। घर में इनके संतुलित होने पर सुख-समृद्धि रहती है वहीं इनके स्वभाव के विपरीत निर्माण करने पर वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है जिससे अनेकों प्रकार के जीवन में कष्ट उठाने पड़ सकते है।
Vastu Tips: जानिए वास्तु के अनुसार नव ग्रहों का भवन के वास्तु पर कैसे होता है असर
पूर्व दिशा के स्वामी सूर्य
पूर्व दिशा के स्वामी सूर्य ग्रह एवं देवता इंद्र है। सूर्य स्वास्थ्य, ऐश्वर्य और तेजस्व प्रदान करने वाला ग्रह है यदि घर की पूर्व दिशा दोषमुक्त रहे तो उस भवन का स्वामी और उसमें रहने वाले सदस्य महत्वकांक्षी,सत्वगुणों से युक्त और उनके चेहरे पर तेज होता है ,ऐसे भवन स्वामी को खूब मान-सम्मान मिलता है। कभी भी इस दिशा को भारी व बंद नहीं करें। इसलिए वास्तु में पूर्व दिशा को खुला छोड़ने की सलाह दी जाती है ताकि अंनत गुणधर्म वाली सूर्य की रोशनी भवन में प्रवेश कर सकें।
अमंगल से दूर रखते हैं मंगल
दक्षिण दिशा मंगल ग्रह के अधीन होती है एवं इस दिशा के देवता यम हैं। मंगल ग्रह समस्त प्रकार का साहस एवं धन लाभ प्रदान करने वाला होता है। मंगल ग्रह निडर, साहसी और दिलेर होता है और यह युद्ध, लड़ाई, क्रोध का अधिपति भी है। दक्षिणदिशा विधि, न्याय, मुकदमेबाजी, आराम, जीवन और मृत्यु से संबंधित है। इसलिए इस दिशा में शयन कक्ष तथा भण्डार गृह रखना चाहिए।
कहां रहता है शुभ राहु
दक्षिण पश्चिम दिशा या नैऋत्य कोण का स्वामी राहु ग्रह है एवं इस दिशा की देवी आसुरी शक्ति वाली है। घर में भूलकर भी इस दिशा को हल्की एवं खुली नहीं रखें। इस दिशा में बेडरूम, ऑफिस, बाथरूम या स्टोर रूम बनाना लाभदायक रहता है। इस दिशा में तमस तत्व सर्वाधिक होता है इसलिए वास्तु में इस दिशा को सबसे अधिक भारी रखना शुभ होता है।
यह ग्रह उत्तर दिशा के स्वामी एवं इस दिशा के देवता कुबेर देव होते हैं। बुध वाकचातुर्य एवं विद्धता का प्रतिनिधि ग्रह है। जिस घर में उत्तर दिशा शुभ होती है वहां के लोग अत्यंत बुद्धिमान, विद्वान, लेखन एवं कविता में रूचि रखने वाले होते हैं। बुध सम्पन्नता और करियर का प्रतिनिधि ग्रह है इसलिए इस दिशा में अध्ययन कक्ष, तिजोरी और पुस्तकालय शुभ माने गए हैं।

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