पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण इन चार दिशाओं के बारे में तो लोगों को पता होता है लेकिन वेदो में इसके अलावा 6 और दिशाएं बताई गई हैं। उत्तर-पूर्व दिशा के मध्य स्थान को ईशान कोण, दक्षिण-पूर्व दिशा के मध्य स्थान को आग्नेय कोण, दक्षिण-पश्चिम दिशा के मध्य स्थान को नैऋत्य कोण, उत्तर-पश्चिम दिशा के मध्य स्थान को वायव्य कोण कोण कहा जाता है। इस तरह कुल मिलाकर आठ दिशाएं हो जाती हैं। इसके अलावा आकाश और पाताल को दो दिशाएं बताया गया है। इस तरह से कुल मिलाकर 10 दिशाओं का वर्णन मिलता है। वास्तु में हर दिशा का अपना एक अलग महत्व बताया गया है। इन दिशाओं पर अलग-अलग देवताओं और ग्रहों का आधिपत्य होता है। यदि किसी भी दिशा में कोई दोष होता है तो व्यक्ति के जीवन में समस्याएं आने लगती हैं। वास्तु में आठ दिशाओं में निर्माण संबंधित नियम बताए गए हैं तथा इनमें किसी भी प्रकार का दोष होने पर उससे संबंधित ग्रहों और देवताओं के पूजन से दिशा दोष के निवारण के बारे में भी बताया गया है। तो चलिए जानते हैं कि कौन सी दिशा का दोष दूर करने के लिए किस देवता और ग्रह की पूजा करनी चाहिए।
Vastu tips: घर में है दिशा दोष, तो करें इन ग्रहों और देवताओं की पूजा
वास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्व दिशा का स्वामी ग्रह सूर्य और देवता इंद्रदेव हैं। इस दिशा को देव दिशा माना गया है। यदि पूर्व दिशा में कोई दोष होता है तो व्यक्ति के मान-सम्मान, तरक्की आदि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही परिवार के सदस्यों शारीरिक सुख में कमी, मस्तिष्क संबंधी रोग, नेत्र रोग से संबंधित दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस दिशा के दोष को दूर करने के लिए गायत्री मंत्र का जाप और सूर्य के आदित्यहृदय स्त्रोत का पाठ करना चाहिए।
वास्तु के अनुसार पश्चिम दिशा पर शनि ग्रह का आधिपत्य है और इस दिशा के देवता वरुण देव हैं। इस दिशा में किसी भी प्रकार का दोष होने पर व्यक्ति की सफलता पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही कुष्ठ रोग, वात विकार, शारीरिक पीड़ा होने की आंशका रहती है। इस दिशा का दोष दूर करने के लिए शनिदेव की पूजा आराधना करनी चाहिए।
वास्तु के अनुसार उत्तर दिशा को धनदायक दिशा माना गया है। इस दिशा पर बुध ग्रह का आधिपत्य है और इस दिशा के देवता कोषाध्यक्ष कुबेरदेव हैं। यदि इस दिशा में किसी प्रकार का कोई दोष होता है तो घर में रुपए-पैसों की किल्लत होने लगती है और सफलता एवं शिक्षा में बाधाएं आने लगती हैं। उत्तर दिशा के दोष को दूर करने के लिए बुध यंत्र की स्थापना करनी चाहिए साथ ही कुबेर देव एवं गणेश जी का पूजन करना चाहिए।
दक्षिण दिशा को यम की दिशा माना गया है और इस दिशा के अधिपति ग्रह मंगल हैं। यदि इस दिशा में किसी प्रकार का दोष हो तो परिवार में संपत्ति आदि को लेकर भाईयों में मतभेद की स्थिति बनी रहती है। इस दिशा का दोष दूर करने के लिए हनुमान जी की आराधना शुभफलदायी रहती है।

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