Chandra Grahan 2026: खगोलीय घटनाओं में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए साल 2026 बेहद खास होने वाला है। नए साल में दो चंद्र ग्रहण लगेंगे, जिससे आसमान में दुर्लभ नजारा देखने को मिलेगा। 2026 में एक पूर्ण और एक आंशिक चंद्र ग्रहण लगेगा। इस खगोलीय घटना के दौरान पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है।
Chandra Grahan: साल 2026 में दुनिया देखेगी अद्भुत घटना, इस दिन लगेगा चंद्र ग्रहण, जानिए कहां-कहां आएगा नजर
Chandra Grahan 2026: खगोलीय घटनाओं में दिलचस्पी रखने वालों के लिए साल 2026 खास होने वाला है। नए साल में दो चंद्र ग्रहण लगेंगे। इस दौरान आसान में अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा। पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण मार्च में लगेगा, जबकि दूसरा आंशिक चंद्र ग्रहण अगस्त के महीने में लगेगा।
कब लगेगा आंशिक चंद्र ग्रहण?
साल का दूसरा और आखिरी चंद्रग्रहण 27-28 अगस्त को होगा, जो एक आंशिक ग्रहण होगा। यह अमेरिका और यूरोप में नजर आएगा। इसे अफ्रीका और पश्चिमी एशिया में भी देखा जा सकेगा। यह ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा। खगोल वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह चंद्र ग्रहण सुबह 08.04 बजे से लेकर दोपहर 11.22 बजे तक रहेगा। आंशिक ग्रहण के समय चंद्रमा का सिर्फ एक हिस्सा पृथ्वी की छाया से ढकता है। इससे चंद्रमा की सतह का एक हिस्सा छिप जाता है।
कब लगता है चंद्र ग्रहण?
पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है। चंद्रमा एक उपग्रह है, जो धरती की परिक्रमा करता है। इस दौरान जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है, तो सूर्य की रोशनी चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती है। इससे धरती की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इस खगोलीय घटना को चंद्र ग्रहण कहा जाता है। पूर्णिमा के दिन यह खगोलीय घटना होती है। हिन्दू पंचांग के मुताबिक, प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा पड़ती है।
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कितने तरह के होते हैं चंद्र ग्रहण?
चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं। यह इस पर निर्भर है कि सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में किस तरह हैं। आंशिक चंद्र ग्रहण, पूर्ण चंद्र ग्रहण और उपछाया चंद्र ग्रहण होता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण तब लगता है, जब पूरे चंद्रमा की सतह पर धरती की छाया पड़ती है।
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आंशिक चंद्र ग्रहण के दौरान सिर्फ चांद का एक भाग पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है। चंद्रमा के धरती की तरफ वाले हिस्से पर धरती की छाया काली दिखाई देती है। कटा हिस्सा दिखाई देता है, तो वह इस पर निर्भर करता है कि किस प्रकार सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में हैं। उपछाया चंद्र ग्रहण के दौरान धरती की छाया का हल्का बाहरी भाग चंद्रमा की सतह पर पड़ता है। इस ग्रहण को देखना कुछ मुश्किल होता है।