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Ethiopia: जहां से भारत पहुंची ज्वालामुखी की राख, अभी वहां चल रहा 2018, 12 बजे होता है सूर्योदय
फीचर डेस्क, अमर उजाला
Published by: धर्मेंद्र सिंह
Updated Tue, 25 Nov 2025 04:21 PM IST
सार
Ethiopia: इथोपिया की संस्कृति का ही एक अनूठापन है साल के 13 महीने। यहां पर साल 13वां महीना 5 दिन का होता है। दुनियाभर में 2025 चल रहा है, लेकिन यहां पर अभी 2018 चल रहा है।
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जहां से भारत पहुंची ज्वालामुखी की राख, अभी वहां चल रहा 2018
- फोटो : Adobe Stock
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Ethiopia: इथियोपिया के अफार क्षेत्र में 12 हजार वर्ष बाद एक ज्वालामुखी सक्रिय हुआ है। इस ज्वालामुखी का नाम हेयली गुब्बी है, जिसने एशिया अफ्रीका के कई देशों में हाहाकार मचा दिया है। ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान 14 किलोमीटर ऊंचाई तक राख और धुएं के घने बादल निकले। इथियोपिया पूर्वी अफ्रीका के हॉर्न क्षेत्र में स्थित एक प्राचीन देश है। यह एकमात्र ऐसा अफ्रीकी देश है जो कभी यूरोपीय उपनिवेश नहीं बना और अपनी 3,000 वर्ष पुरानी सभ्यता पर गर्व करता है।
इथियोपिया में लोग काफी विविधतापूर्ण हैं। इस देश में 80 से अधिक जातीय समूह निवास करते हैं। यहां हर समुदाय की अपनी भाषा-संस्कृति है। 60 फीसदी लोग ईसाई (इथियोपियन ऑर्थोडॉक्स चर्च) हैं, जो दुनिया के सबसे पुराने ईसाई समुदायों में से एक है। यहां की संस्कृति का ही एक अनूठापन है साल के 13 महीने। यहां पर साल 13वां महीना 5 दिन का होता है। दुनियाभर में 2025 चल रहा है, लेकिन यहां पर अभी 2018 चल रहा है।
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यह दुनिया का एकमात्र एक देश है जो आज भी ईसा मसीह के जन्म से 7-8 वर्ष पीछे अपना अलग कैलेंडर मानता है, जिस गीज कैलेंडर कहा जाता है। गीज कैलेंडर ग्रेगोरियन कैलेंडर से 7-8 वर्ष पीछे चलता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर दुनिया के बाकी हिस्सों में चलता है। इस देश में 12 नहीं बल्कि साल में 13 महीने होते हैं। यहां पर लोग अपना नया साल एक जनवरी नहीं, बल्कि 11 सितंबर को मनाते हैं। इथियोपिया में सूर्योदय को सुबह 6 बजे नहीं बल्कि सुबह 12 बजे माना जाता है। यहां पर समय की गिनती आधी रात से नहीं, बल्कि सूरज के उगने से शुरू होती है। इस इथोपियन टाइम कहा जाता है।
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साल 1582 में ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत हुई। इससे पहले इथियोपिया में जूलियन कैलेंडर का इस्तेमाल किया जाता था जो देश कैथोलिक चर्च को मानते थे उन्होंने नया कैलेंडर स्वीकार कर लिया। लेकिन कई देशों ने इस कैलेंडर को स्वीकार नहीं किया और इसका विरोध कर रहे थे। इन देशों में इथियोपिया भी शामिल था।
जहां से भारत पहुंची ज्वालामुखी की राख, अभी वहां चल रहा 2018
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इथियोपिया के लोग ऑर्थोडॉक्स चर्च को मानते हैं। 7 बीसी में ईसा मसीह का जन्म हुआ जिसके मुताबिक, कैलेंडर की गिनती शुरू हुई। जबकि दूसरे देशों में ईसा मसीह का जन्म AD1 में माना जाता है। इसकी वजह से अभी तक यहां के कैलेंडर में साल 2018 चल रहा है जबकि दुनिया में 2025 चल रहा है।
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इथियोपियन के कैलेंडर में 13 महीने का एक साल होता है जिसमें 12 महीने 30 दिन के होते हैं। अंतिम महीने को यहां पर पाग्युमे कहा जाता है जिसमें पांच या छह दिन होते हैं। साल की गिनती में नहीं आने वाले दिनों को जोड़कर इस महीने को बनाया जाता है। सबसे बड़ी खासियत है कि यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल सबसे ज्यादा जगहें इथियोपिया की हैं। यहां की सुंदरता देखने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं।
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