सब्सक्राइब करें

कौन है टीएन पंडित, जिसने अमेरिकी नागरिक को मारने वाली जनजाति सेंटिनेलिस से की थी मुलाकात

बीबीसी हिंदी Updated Thu, 29 Nov 2018 01:08 PM IST
विज्ञापन
know about T N Pandit who met with sentinelese tribe at andaman nicobar
sentinelese tribe T N Pandit

मानवाधिकार समूह सर्वाइवल इंटरनेशनल का कहना है कि भारतीय अधिकारियों को अमरीकी मिशनरी जॉन एलिन शाओ के शव को वापस लाने की कोशिशों पर रोक लगा देनी चाहिए। समूह का कहना है कि ऐसी कोशिश सेंटिनेल जनजाति के लोगों और अधिकारियों दोंनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। हाल में अमरीकी मिशनरी जॉन एलिन शाओ की मौत के बाद अंडमान निकोबार के सेंटिनल द्वीप पर रहने वाला ये समुदाय काफी चर्चा में आया था। 17 नवंबर को 27 साल के शाओ को नॉर्थ सेंटिनेल ले जाने वाले मछुआरे ने बताया था कि उन्होंने उस जनजाति के लोगों को शाओ के मृत शरीर को समुद्रतट तक लाकर दफनाते हुए देखा है।



ये मछुआरा बाद में अधिकारियों को उस जगह पर भी ले कर गया जहां उनका दावा था कि शव को दफनाया गया था। इस घटना के बारे में 80 वर्षीय भारतीय मानवविज्ञानी टीएन पंडित का कहना है, "उस अमरीकी युवा व्यक्ति की मौत के लिए मुझे बहुत दुःख है। लेकिन उसने एक गलती की। खुद को बचाने के लिए उसके पास मौका था, लेकिन वो वहां बना रहा और अपना जीवन खो बैठा।" मानवविज्ञानी टीएन पंडित उन चंद लोगों में से हैं जो भारत के अंडमान द्वीप पर रह रहे सेंटिनेलिस जनजाति से मिले हैं। 

Trending Videos
know about T N Pandit who met with sentinelese tribe at andaman nicobar
T N Pandit - फोटो : BBC

1991 में सरकारी अभियान का हिस्सा रहे पंडित ने भी इस तरह की स्थिति का सामना किया है। बीबीसी से फोन पर बात करते हुए पंडित ने उनके साथ यादगार मुठभेड़ को याद किया। टीएन पंडित बताते हैं, "मैं उन्हें नारियल देकर अपनी टीम के साथ दूर हो रहा था और किनारे के पास जा रहे थे। एक सेंटिनेल लड़का ने अजीब सा चेहरा बनाया, अपन चाकू लिया और मेरी ओर इशारा किया कि वो मेरा सिर काट देगा। मैंने तुरंत नाव को बुलाया और वापसी कर ली।" "लड़के का इशारे से साफ था कि उन्होंने मेरा स्वागत नहीं किया है।"

विज्ञापन
विज्ञापन
know about T N Pandit who met with sentinelese tribe at andaman nicobar
t n pandit - फोटो : BBC
डरावने चेहरे
 

1973 में अपनी पहली यात्रा को याद करते हुए टीएन पंडित ने बीबीसी को बताया, "हम बर्तन, मटके, नारियल, हथौड़े और चाकू जैसे लोहे के औजार गिफ्ट के रूप में अपने साथ लेकर गए थे। हम अपने साथ तीन ओंग जनजाति (अन्य स्थानीय जनजाति) के पुरुष भी लेकर गए थे ताकि सेंटिनेल के व्यवहार और उनकी बातों को समझने में हमें मदद मिले।"

इस संबंध में 1999 में उन्होंने एक लेख भी लिखा था, जिसमें उन्होंने अपने साथ हुए इस वाकये को याद किया था। बीती बातों को याद करते हुए पंडित कहते हैं, "लेकिन सेंटिनेलिज गुस्से में अपने गंभीर चेहरों के साथ और लंबे धनुष और तीर के साथ सशस्त्र होकर हमारे सामने आये। वो अपनी जमीन को बचाने के लिए घुसपैठियों से लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार थे। कई बार वो हमारी तरफ पीठ कर बैठ जाते।" "बंधा हुआ जिंदा सूअर भी उपहार के रूप में अनुचित था। उन्होंने उसे भाले से मारा और रेत में दफना दिया।"

know about T N Pandit who met with sentinelese tribe at andaman nicobar
Sentinelese tribe

उनके बार में बहुत ही कम जानकारी मौजूद है इसलिए सेंटिनेल के बारे में कई मिथक भी हैं। उसी लेख को याद करते हुए वे कहते हैं, "द्वीपों और पोर्ट ब्लेयर (निकटतम बड़े बंदरगाह) में एक लोकप्रिय धारणा थी कि उत्तरी सेंटिनेल द्वीप पठान का अपराधी है, जो ब्रिटिश के जेल से फरार हुए थे।"

1970 के दशक में पंडित और उनके सहयोगियों ने उन्हें समझने और उनसे संपर्क स्थापित करने के लिए एक अभियान चलाया। जिसकी सफलता उन्हें 1991 में मिली। "हम हैरान थे कि उन्होने हमें अनुमति क्यों दी।" हमसे मिलने का ये उनका फैसला था और मीटिंग उनकी शर्तों पर हुई। हम नाव से बाहर निकले और गर्दन तक के पानी में खड़े होकर उन्हें नारियल और अन्य उपहार दिए। लेकिन हमें उनके आइलैंड में कदम रखने की अनुमति नहीं थी।"

विज्ञापन
know about T N Pandit who met with sentinelese tribe at andaman nicobar
Sentinelese tribe

पंडित बताते हैं कि हमले के लिए वे बेकार में चिंतित नहीं थे लेकिन जब वो उनके करीब थे तो हमेशा सतर्क रहते थे। "हमारी बातचीत के दौरान उन्होंने कई बार हमें डराया लेकिन हमारी बातचीत हमें मारने या जख्मी करने तक कभी नहीं पहुंची। जब भी वो उत्तेजित होते हम वापस चले जाते।"

"सेंटिनेलिस न लंबे हैं और न छोटे। वे धनुष और तीर लेकर चलते। वे आपस में बात करते लेकिन हम उनकी भाषा समझ नहीं पाते। सुनने में वो बिल्कुल अन्य स्थानीय जनजाति की बोली की तरह लगती थी।" "हमने सांकेतिक भाषा में बात करने की कोशिश की। लेकिन वो नारियल इकट्ठा करने में व्यस्त थे।" इस समुदाय को धनुष और तीर से मछली मारने के लिए जाना जाता है। जंगली सूअर, जमीन में उगने वाले फल-सब्जियां और शहद उन्हें जीवित रखने में मदद करते हैं। वे समुद्री यात्रा करने के लिए नहीं जाने जाते। सरकार ने बिना कपड़ों वाले समुदाय पर अध्ययन करने के लिए उपहार छोड़ने वाले अभियानों को बंद कर दिया है।

विज्ञापन
अगली फोटो गैलरी देखें

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all Bizarre News in Hindi related to Weird News - Bizarre, Strange Stories, Odd and funny stories in Hindi etc. Stay updated with us for all breaking news from Bizarre and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed