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मिलिए रियल लाइफ के 'पैडमैन' से, अक्षय कुमार की मूवी से मिलती है इनकी कहानी
रूबी सिंह/अमर उजाला, चंडीगढ़
Updated Wed, 31 Jan 2018 10:26 PM IST
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रियल लाइफ के 'पैडमैन'
हम आपको मिलाने जा रहे हैं, रियल लाइफ के उन 'पैडमैन' से, जिनकी कहानी अक्षय कुमार की मूवी से काफी मिलती है और जानकर आप कहेंगे वाह क्या बात है।
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तमिलनाडु में 1962 में जन्मे अरुणाचलम मुरुगनथम ने गांव-गांव जाकर महिलाओं को पैड के इस्तेमाल के प्रति जागरूक किया था। उनकी यह संघर्षपूर्ण कहानी 26 जनवरी को फिल्मी पर्दे पर बालीवुड अभिनेता अक्षय कुमार दर्शकों के सामने प्रस्तुत करने जा रहे हैं। कुछ ऐसा ही चंडीगढ़ के लोग रियल लाइफ में कर रहे हैं। वे पिछले कुछ वर्षों से कालोनियों एवं स्लम एरिया में महिलाओं व लड़कियों को सेनेटरी पैड और स्वच्छता के प्रति जागरूक कर रहे हैं।
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रियल लाइफ के 'पैडमैन'
यहीं नहीं, वे आर्थिक तौर पर कमजोर महिलाओं को निशुल्क पैड्स भी मुहैया करवा रहे हैं। जीनित रूट्स एनजीओ की ओर से पिछले एक साल से महिलाओं व लड़कियों को सेनेटरी पैड के प्रति जागरूक किया जा रहा है। एनजीओ हेड रेणु माथुर व उनकी टीम की ओर से कालोनियों में सप्ताह में घर-घर जाकर महिलाओं को जागरूक किया जाता है, हालांकि शुरुआती तौर पर इस एनजीओ को यह अभियान चलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
रियल लाइफ के 'पैडमैन'
माथुर ने बताया कि शुरू में महिलाएं इस बारे में बात करने एवं सुनने से भी हिचकती थीं। वे खुलकर बात नहीं कर पाती थीं, लेकिन एनजीओ ने उनसे रोजाना संपर्क किया और बातचीत के जरिए उन्हें सेनेटरी पैड के प्रयोग न करने से होने वाली बीमारियों के बारे में अवेयर किया। वर्तमान समय में यह एनजीओ राजीव कालोनी, मदनपुर गांव सेक्टर-26 और सकेतड़ी गांव और आसपास के इलाकों में जाकर यह अभियान चला रही हैं।
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रियल लाइफ के 'पैडमैन'
सेनेटरी पैड बनाना भी सिखाया जाता है
जीनित रूट्स के सदस्य नेहा अग्रवाल, शालू अग्रवाल और अभिषेक ने बताया कि आज भी कालोनी की महिलाओं को पीरियड एवं सेनेटरी पैड के बारे में बात करने में शर्म आती हैं, यह सबसे बड़ी मुश्किल है, लेकिन धीरे-धीरे वे इस पड़ाव को पार कर रहे हैं। यह ग्रुप महिलाओं को सस्ते पैड्स भी बनाना सिखता है। वे कपड़े से महिलाओं को सेनेटरी पैड बनाना भी सिखाते हैं।
जीनित रूट्स के सदस्य नेहा अग्रवाल, शालू अग्रवाल और अभिषेक ने बताया कि आज भी कालोनी की महिलाओं को पीरियड एवं सेनेटरी पैड के बारे में बात करने में शर्म आती हैं, यह सबसे बड़ी मुश्किल है, लेकिन धीरे-धीरे वे इस पड़ाव को पार कर रहे हैं। यह ग्रुप महिलाओं को सस्ते पैड्स भी बनाना सिखता है। वे कपड़े से महिलाओं को सेनेटरी पैड बनाना भी सिखाते हैं।