जिस उम्र में अकसर लोग बीमारी या अन्य वजह से बिस्तर पर बैठ जाते हैं या किसी दूसरे के सहारे चलते हैं उस उम्र के पड़ाव में मास्टर एथलीट चीते की तरह दौड़ रहे हैं और दूसरों के लिए रोल मॉडल बन गए हैं। बुजुर्ग पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाओं में भी युवाओं जैसा जोश है। बढ़ती उम्र में महिलाएं किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त होकर घर पर बैठ जाती हैं, उसी उम्र में कुछ महिलाएं खेल के मैदान पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा दूसरों के लिए प्रेरणा बन रही हैं। ये महिलाएं अपनी उम्र से ज्यादा लोगों को प्रेरित कर रही हैं और दिखा रही हैं कि उम्र सिर्फ एक नंबर है।
बुजुर्गों में युवाओं जैसा जोश: जज्बे के आगे उम्र हार गई...फुर्ती देख हर कोई हैरान, तस्वीरें देख आप कहेंगे वाह
मास्टर्स एथलीट जब उम्र को भुलाकर मैदान पर अपनी फिटनेस और कौशल का प्रदर्शन करते है तो सब हैरान रह जाते हैं। यह खिलाड़ी उम्र के बावजूद शानदार प्रदर्शन करते हैं और अपने खेल से सबको प्रेरित करते हैं।
13 फ्रैक्चर के बाद भी मैदान पर जलवा बरकरार, जीता गोल्ड
एथलेटिक्स इवेंट की दौड़ में हिस्सा लेते हुए सुरजीत धनोआ ने 75 प्लस आयु वर्ग में हिस्सा लेते हुए गोल्ड मेडल जीत कर दिखा दिया कि अगर आप में आगे बढ़ने का ललक हो मो कोई भी बाधा पार की जा सकती है। सुरजीत ने बताया कि उनका परिवार आर्मी बैकग्राउंड से है और एडवेंचर और खेलों मे हिस्सा लेना मेरी हॉबी में शुमार है। खेलों के दौरान हाउस राइडिंग और मोटर बाइकिंग करते हुए उनके शरीर में 13 फ्रैक्चर भी हुए हैं। सिर में चोटें भी आईं लेकिन मैदान पर पहुंचते हुए उन्हें जीत ही लक्ष्य दिखाई देता है।
जीतने की ललक मैदान पर ले आती है : विद्यावति
एथलेटिक्स में 3000 मीटर वॉक में इवेंट में हिस्सा लेते हुए विद्यावति ने 36.34 का समय लेते हुए गोल्ड मेडल जीतकर दिखाया दिया कि 84 वर्ष की उम्र में भी उनका मैदान पर जलवा कायम है। पहले पूरी जिंदगी सरकारी नौकरी की। रिटायरमेंट के बाद खुद को बिजी रखने के लिए एक दिन सहेली के साथ मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हिस्सा लेने गई। इसके बाद लगातार 15 साल से प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हुए मेडल जीत रही हैं। इन्होंने बताया कि जीतने की ललक मुझे हर बार मैदान पर ले आती है। खेलों में हिस्सा लेने की बदौलत मुझे किसी बीमारी ने नहीं घेरा है।
जब मेडल जीतती हूं तो बच्चों को खुशी देखने लायक होती है
मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में दौड़ में हिस्सा लेते हुए दीपिका मलिक ने गोल्ड मेडल हासिल किया। इन्होंने 45 प्लस आयु वर्ग में इस मेडल को हासिल किया। दीपिका गृहिणी हैं। उन्होंने बताया कि एक बार मैंने मैदान पर बड़ी उम्र के लोगों को दौड़ते हुए देखा उनका जज्बा देखते हुए मुझे अहसास हुआ कि जब यह लोग मैदान पर अपना कमाल दिखा सकते है तो मैं क्यों नहीं। इसके बाद मैंने भी दौड़ और अन्य इवेंट में हिस्सा लेने शुरू कर दिया। अब जब भी मेडल जीतकर लाती हूं तो मेरे बच्चों की खुशी देखने लायक होती है। वह भी प्रेरित होकर खेलों में हिस्सा ले रहे हैं।
फिटनेस का दिखाया शानदार नमूना
मास्टर्स एथलीट जब उम्र को भुलाकर मैदान पर अपनी फिटनेस और कौशल का प्रदर्शन करते है तो सब हैरान रह जाते हैं। यह खिलाड़ी उम्र के बावजूद शानदार प्रदर्शन करते हैं और अपने खेल से सबको प्रेरित करते हैं। ऐसा ही नजारा रविवार को 47वीं मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप के दौरान देखने को मिला। मुकाबलों का आयोजन सेक्टर 7 स्थित स्पोर्ट्स कांप्लेक्स में किया गया। इसमें महिला और पुरुष महिला एथलीटों ने विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा लेते हुए गोल्ड, सिल्वर, ब्रांज मेडल जीतकर कर दिखा दिया कि वह भी किसी से कम नहीं है। मास्टर्स चैंपियनशिप में 100 मीटर, 200 मीटर, 400 मीटर, 5000 मीटर रेस, 3 किलोमीटर वॉक, शॉट पूट, डिस्कस थ्रो, और अन्य इवेंट में प्रतिभगियों ने हिस्सा लिया।