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APJ Abdul Kalam : इस रणनीति के तहत एपीजे अब्दुल कलाम बनाए गए थे भारत के राष्ट्रपति

न्यूज़ डेस्क, अमर उजाला, नैनीताल Published by: Nirmala Suyal Nirmala Suyal Updated Mon, 27 Jul 2020 03:11 PM IST
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APJ Abdul Kalam death anniversary in Hindi Untold stories : reason behind making him president of india
- फोटो : File Photo

अटल बिहारी वाजपेयी 2002 में 28 से 31 मार्च तक नैनीताल में रहे। उनका प्रवास निजी था। लेकिन, उसके बाद के घटनाक्रम ने देश की राजनीति को नया मोड़ दिया। 2002 में राष्ट्रपति के रूप में एपीजे अब्दुल कलाम का चयन और गुजरात में उनके प्रख्यात उपदेश का तानाबाना नैनीताल में ही बुना।

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APJ Abdul Kalam death anniversary in Hindi Untold stories : reason behind making him president of india

वाजपेयी गुजरात के गोधरा कांड और उसके बाद के दंगों से बेहद व्यथित थे। इन दंगों से दुखी होकर ही उन्होंने उस वर्ष होली न मनाने और होली का अवकाश एकांत में बिताने का निर्णय लिया था। इसके लिए उन्होंने नैनीताल को चुना।  नैनीताल से जाते वक्त यहां लिखी गई कविता पर पत्रकारों के सवाल में वे संकेतों में कह गए थे कि मन में बहुत कुछ उमड़ रहा है, जल्द वर्षा होगी।

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उनके विचारों की यह बारिश तीन दिन बाद गुजरात में बरसी, जब उन्होंने खुलेआम कहा कि वे इन दंगों से शर्मिंदा हैं और सात से 11 अप्रैल की अपनी प्रस्तावित सिंगापुर-कंबोडिया की यात्रा में वहां के लोगों को क्या मुंह दिखाएंगे। गुजरात में 27 फरवरी 2002 को गोधरा में हिंदू तीर्थयात्रियों से भरी ट्रेन की बोगी में उपद्रवियों ने आग लगा दी थी, जिसमें 58 तीर्थयात्री जिंदा जल गए थे।
 

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- फोटो : social media
28 फरवरी से गुजरात में भीषण दंगे हुए, जिनमें 1044 लोग मारे गए। हजारों लोगों को शरणार्थी शिविरों में रहना पड़ा। गुजरात में तब भाजपा सरकार थी और मोदी मुख्यमंत्री। इन दंगों को लेकर मोदी और भाजपा पर गंभीर आरोप लगे और भाजपा की छवि एंटी मुस्लिम की बनने लगी। 

 
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नैनीताल से वापसी के तीसरे दिन वाजपेयी अहमदाबाद के शाह आलम शरणार्थी कैंप गए, जहां 9000 मुस्लिम शरणार्थी थे। इन दंगों पर वाजपेयी ने सार्वजनिक रूप से शर्मिंदगी जताई और पीड़ितों को पूरी सुरक्षा और न्याय का भरोसा दिलाया। उस रोज दी गई उनकी राजधर्म की नसीहत और ‘पागलपन का जवाब पागलपन नहीं हो सकता, इसे रोको’ जैसे बयान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हुए और सराहे गए।
 

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