ज्यों ही रात 12 बजे कान्हा का जन्म हुआ देवभूमि उत्तराखंड में चारों ओर शंख व घंटों की गूंज ने वातावरण में भक्ति का रस घोल दिया। इस दौरान भक्तिमय गीतों से आकाश गुंजायमान हो उठा। दून के विभिन्न मंदिरों में नटखट कन्हैया के दर्शन करने को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर घर और मंदिरों को आकर्षक लाइटों और फूलों से सजाया गया था। सभी जगह आधी रात में कान्हा के जन्म पर खूब उत्सव मनाया गया। चारों ओर नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल के स्वर गूंज उठे। कान्हा के जन्म के बाद शहद, घी, दही, दूध, गंगाजल आदि से उनकी मूर्ति को स्नान कराया गया। भगवान को आकर्षक परिधान पहनाकर भोग स्वरूप तुलसी, चरणामृत और 56 भोग अर्पित किए गए।
इसके बाद कान्हा को झूले में झूलाकर पुष्प वर्षा की गई। दून के पटेल नगर स्थित श्याम सुंदर मंदिर, आदर्श मंदिर, गढ़ी कैंट स्थित सत्यनारायण मंदिर, किशन नगर चौक स्थित राधा-कृष्ण मंदिर, पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर, टपकेश्वर महादेव समेत तमाम मंदिरों में कान्हा के जन्म की धूम रही। इस दौरान सुंदर झांकियां भी आकर्षण का केंद्र रही। व्रतधारियों ने कान्हा की पूजा-अर्चना कर व्रत खोला। वहीं, विभिन्न कॉलोनियों में भी कृष्णजन्मोत्सव का आयोजन किया गया। छोटे बच्चों ने कृष्ण और राधा की पोशाक पहन सुंदर कार्यक्रम पेश किए।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर घर और मंदिरों को आकर्षक लाइटों और फूलों से सजाया गया था। सभी जगह आधी रात में कान्हा के जन्म पर खूब उत्सव मनाया गया। चारों ओर नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल के स्वर गूंज उठे। कान्हा के जन्म के बाद शहद, घी, दही, दूध, गंगाजल आदि से उनकी मूर्ति को स्नान कराया गया। भगवान को आकर्षक परिधान पहनाकर भोग स्वरूप तुलसी, चरणामृत और 56 भोग अर्पित किए गए।
इसके बाद कान्हा को झूले में झूलाकर पुष्प वर्षा की गई। दून के पटेल नगर स्थित श्याम सुंदर मंदिर, आदर्श मंदिर, गढ़ी कैंट स्थित सत्यनारायण मंदिर, किशन नगर चौक स्थित राधा-कृष्ण मंदिर, पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर, टपकेश्वर महादेव समेत तमाम मंदिरों में कान्हा के जन्म की धूम रही। इस दौरान सुंदर झांकियां भी आकर्षण का केंद्र रही। व्रतधारियों ने कान्हा की पूजा-अर्चना कर व्रत खोला। वहीं, विभिन्न कॉलोनियों में भी कृष्णजन्मोत्सव का आयोजन किया गया। छोटे बच्चों ने कृष्ण और राधा की पोशाक पहन सुंदर कार्यक्रम पेश किए।