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आलीशान महल से कम नहीं है पायलट बाबा का आश्रम, रहने-खाने से लेकर लिफ्ट तक की सुविधा, तस्वीरें
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नैनीताल
Published by: Nirmala Suyal Nirmala Suyal
Updated Sat, 06 Apr 2019 11:08 AM IST
धोखाधड़ी के मामले में आत्मसमर्पण के बाद न्यायिक हिरासत में जेल भेजे गए पायलट बाबा का आश्रम आलीशान महल से कम नहीं है। यहां रहने, खाने से लेकर लिफ्ट तक हर सुविधा है। कई बीघे में फैले बाबा के आश्रम में कई सुंदर मूर्तियां हैं। बाबा से जुड़े लोगों को यहां हर सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है, लेकिन यह आश्रम आम लोगों के लिए नहीं है। यहां सिर्फ बाबा के देशी और विदेशी भक्तों को ही प्रवेश दिया जाता है।
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जानकार बताते हैं कि एक समय ऐसा भी था जब कपिल अद्वैत उर्फ पायलट बाबा नगर के एक होटल में रहते थे। बाद में वह नल दमयंती ताल (नौकुचियाताल) चले गए। वहां उन्होंने साधना की। इसके बाद वह सिद्ध पुरुष कहलाने लगे। बाबा से जुड़े रहे लोगों का कहना है कि बाबा ने गेठिया स्थित आश्रम की शुरुआत 80 के दशक में चंद कमरों से की थी। जैसे-जैसे बाबा की प्रसिद्धि बढ़ी आश्रम भी भव्य होता गया। आश्रम में साल भर निर्माण कार्य चलते रहते हैं। आश्रम में ही बच्चों का एक स्कूल भी चलाया जा रहा है। बाबा का यहां कभी कभार ही आना होता था।
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साल 2006 में आइकावा की फ्रेंचाइजी लेने की होड़ मची थी। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, बिहार समेत कई प्रदेशों के लोग फ्रेंचाइजी लेने को लालायित रहते थे। उस दौरान आइकावा की फ्रेंचाइजी लेना आसान नहीं था। प्रतिमाह एक रुपये में कंप्यूटर सिखाने का प्रचार-प्रसार इस कदर था कि लोग दूर-दूर से यहां आकर डेरा डाल देते थे। खुद को पायलट बाबा का भांजा बताने वाला हिमांशु रॉय इसका पूरा काम देखता था। फ्रेंचाइजी लेने को लोग प्रभावशाली स्थानीय लोगों से सिफारिश भी करवाते थे।
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आइकावा फ्रॉड केस में वांटेंड बाबा मंगल गिरि को लेकर चौंकाने वाली बात सामने आई हैं। गेठिया के लोगों का कहना है कि लगभग 33 अरब रुपये के इस फ्रॉड में सातवें नंबर का आरोपी मंगल गिरि फरार नहीं हुआ है। बल्कि पुलिस उसे पकड़ने का प्रयास ही नहीं कर रही है। वह आश्रम में ही रह रहा है। गुरुवार को भी मंगल गिरि हमेशा की तरह गेठिया की सड़कों पर घूमता हुआ देखा गया।
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पायलट बाबा का नैनीताल से पुराना नाता रहा है। 1970 से 75 के दौर में वह हर साल गर्मियों में सप्ताह भर के लिए नैनीताल अवश्य आते थे। तब वह बहुत स्टाइलिश जीवन शैली के व्यक्ति थे। यहां हर वर्ष वे प्रसिद्ध अलका होटल में ठहरते थे। बाबा के हाथ में हमेशा सिगार रहती थी। अलका होटल के स्वामी वेद साह बताते हैं कि महंगे फैशनेबल कपड़ों के शौकीन बाबा ज्यादातर वेलवेट का कोट और सफेद बेल बॉटम पहनते थे। बाद में सुना गया कि वह नौकुचियाताल में रहने लगे और साधू बन गए। वेद ने बताया कि साधू बनने के बाद भी वह एक दो बार होटल आए थे। फिर उनका आना बंद हो गया।
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