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यादें: शहीद बेटे को याद कर नम हुईं मां-पिता की आंखें, 19 दिन बाद होनी थी शादी, बंट चुके थे कार्ड

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, देहरादून Published by: अलका त्यागी Updated Sun, 16 Feb 2020 11:41 AM IST
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Pulwama Encounter Martyr Major Chitresh Bisht First Death Anniversary Mother Father Emotional
- फोटो : अमर उजाला

साल 2019 में 16 फरवरी को सरहद की रक्षा करते हुए शहीद हुए मेजर चित्रेश बिष्ट शहीद हो गए थे। शहादत की बसरी पर नम आंखों से बेटे को याद कर पिता एसएस बिष्ट ने कहा कि बेटा देश की हिफाजत करते हुए शहीद हुआ है, इसका उन्हें गर्व है, लेकिन आखिर कब तक यूं ही हमारे बेटे शहीद होते रहेंगे। पाकिस्तान वह कैंसर है, जो नासूर बन चुका है। इसलिए इसका इलाज जरूरी हो गया है, ताकि वह फिर से जख्म न दे सके।

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- फोटो : अमर उजाला

मेजर चित्रेश की शहादत की खबर उस समय आई जबकि उनके घर पर शादी की तैयारियां चल रही थीं। क्योंकि मेजर चित्रेश की शादी सात मार्च 2019 को होनी थी। शादी के कार्ड भी बंट चुकेथे। इससे पहले दून का यह लाल देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गया। मेजर चित्रेश को मरणोपरांत सेना मेडल (गैलेंट्री) मिला है जो कि सेना दिवस पर सेना प्रमुख से उनके पिता ने प्राप्त किया था। 

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- फोटो : अमर उजाला

शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट दून के ओल्ड नेहरू कॉलोनी के रहने वाले थे। पिछले वर्ष 16 फरवरी को राजौरी के नौसेरा सेक्टर में हुए आईईडी ब्लास्ट में वह शहीद हो गए थे। आतंकियों ने एलओसी क्रॉस कर यहां पर ई-प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस लगाया हुआ था। सूचना मिलने पर सैन्य टुकड़ी ने इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया। वह इंजीनियरिंग कोर में तैनात थे और उन्हें आईईडी डिफ्यूज्ड करने में महारत हासिल थी, लेकिन इसी बीच आईईडी ब्लास्ट होने से वह शहीद हो गए। 

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मूलरूप से अल्मोड़ा जिले केरानीखेत तहसील के अंतर्गत पिपली गांव के रहने वाले मेजर चित्रेश बिष्ट का परिवार देहरादून के ओल्ड नेहरू कॉलोनी में रहता है। उनके पिता सुरेंद्र सिंह बिष्ट उत्तराखंड पुलिस से इंस्पेक्टर पद से रिटायर हैं। सरहद पर शहादत के दौरान मेजर चित्रेश की उम्र 28 साल की थी। भारतीय सैन्य अकादमी से सैन्य प्रशिक्षण पूरा कर वह वर्ष 2010 में पास आउट हुए थे। 

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बेटे की शहादत की बरसी पर पूरा परिवार गमजदा है। देश की हिफाजत करते हुए उनका बेटा शहीद हुआ है। इसके लिए उन्हें गर्व तो है, लेकिन दोबारा ऐसा न हो इसके लिए सख्त कदम उठाने की बात परिजन कह रहे हैं। मेजर चित्रेश के पिता ने नम आंखों और रुंधे गले से कहा कि उनका बेटा देश के हिफाजत के लिए शहीद हुआ है, लेकिन आखिर ऐसा कब तक चलता रहेगा।

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