मनरेगा के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले कार्यों में आए दिन कुछ न कुछ घोटाले सामने आते रहते हैं। हद तो तब हो गई जबकि बंजारावाला क्षेत्र का एक व्यक्ति वर्ष 2009 में मर चुका है।
मनरेगा के तहत यहां 'आत्मा' से लिया जा रहा काम
इसके बावजूद वर्ष 2016 तक में उसे काम करता हुआ दर्शा कर उसके नाम के बिल पास कराए जा रहे हैं। अधिकारियों तक मामला पहुंचा तो हड़कंप मच गया और मामले की जांच कराई जा रही है।
मनरेगा योजना के तहत कहीं काम नहीं होने के बावजूद काम दर्शा कर प्रधान और ग्राम विकास अधिकारी पैसा डकार जाते हैं तो कहीं छात्रों को मजदूर दिखाकर पैसा ले लिया जाता है। ऐसे घोटाले अक्सर लोगों की शिकायत पर ही सामने आते हैं। लेकिन अब तो बंजारावाला क्षेत्र के एक मरे हुए व्यक्ति को ही जिंदा दर्शाया गया है।
मामले का खुलासा तब हुआ जबकि क्षेत्र के वार्ड सदस्य किशन थापा ने आरटीआई लगाई। थापा ने बताया कि क्षेत्र में रहने वाले खेम बहादुर थापा का निधन 31 जुलाई वर्ष 2009 में हो गया था।
इसके बावजूद वर्ष 2016 में एक नहीं दो-दो कार्यों में उन्हें मजदूर दिखाया गया है। थापा ने आरोप लगाया कि प्रधान और ग्राम विकास अधिकारी की मिलीभगत से ऐसा हुआ। कहा कि मामले की शिकायत की जा चुकी है।