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उत्तराखंड: रामगढ़ में कदम-कदम पर दिख रहे आपदा के जख्म, कई घरों की बुनियादें तक गायब, तस्वीरें

संवाद न्यूज एजेंसी, सुकना/झूतिया Published by: अलका त्यागी Updated Sat, 23 Oct 2021 04:45 PM IST
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Uttarakhand Disaster: Ground Zero Report of Sukma after destroy everything in rain and Flood
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रामगढ़ में आपदा - फोटो : अमर उजाला
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नैनीताल के रामगढ़ के झूतिया और सकुना में कदम-कदम पर आपदा के जख्म दिख रहे हैं। जगह-जगह पहाड़ों से निकलकर सड़कों पर बह रहा पानी ऐसा प्रतीत होता है मानो जख्म से खून बह रहा हो। कीचड़ से लथपथ सड़कें और घरों के आंगन उस रात आई प्रलय की कहानी बयां कर रहे हैं। गांव में इक्का दुक्का दुकानें खुली हैं लेकिन न आपूर्ति ठप होने से सामान न के बराबर रह गया है। कई घरों की तो नींव तक उखड़ गई है।

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ग्राहक भी कम ही है। लोगों की जुबान पर सिर्फ और सिर्फ मौतों की ही बातें हैं। कई नाली जमीन बह जाने से जहां किसान सिर पकड़ कर बैठे हैं, वहीं बिहार से मजदूरों के शव लेने आए परिजनों की आंखें नम और गले भरे हुए हैं। अमर उजाला की टीम ने ग्राउंड जीरो पर जाकर पड़ताल की तो हालात बद से बदतर दिखे। 

सुबह 9 बजे : 
मल्ला रामगढ़ से तल्ला रामगढ़ तक सड़क बेहद खतरनाक है। अमर उजाला की टीम शुक्रवार को जब झूतिया गांव के लिए निकली। बारिश के कहर से गागर में बिजली के पोल धराशायी हो गए हैं। कई जगह तो आधी सड़क बह गई है। हिमालयन हाइट्स रिसॉर्ट के ठीक नीचे सड़क का आधा हिस्सा ढह गया है। यहां खाई की ओर वाहन जाने से रोकने के लिए एक दो पत्थर रखे गए थे। अगर गलती से कोई वाहन खाई की ओर आता है तो कमजोर पड़ी जमीन खिसकना तय है। 
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रामगढ़ में आपदा - फोटो : अमर उजाला
सुबह साढ़े 9 बजे 
मुक्तेश्वर तिराहे से नीचे तल्ला रामगढ़ के लिए जाने वाले मार्ग पर कई जगह भारी मात्रा में मलबा आया है। यहां मलबे को बीच से हटाकर यातायात सुचारू किया गया है लेकिन सड़क पर इतने पत्थर हैं कि वाहनों की रफ्तार पर लगातार ब्रेक लग रहा है। सड़क पर आए बड़े बोल्डर को हटाकर टीम आगे बढ़ी। 

सुबह 10:30 बजे 
टीम तल्ला रामगढ़ पहुंची। यहां प्रशासन और पुलिस की गाड़ियां खड़ी मिलीं। पूछने पर पता चला कि अधिकारी आपदा प्रभावित क्षेत्र में गए हैं। यहां से आगे का सफर पैदल ही तय करना था। टीम ने वाहन यहीं छोड़कर आगे का सफर पैदल तय किया। सकुना की ओर जाने के लिए जैसे ही टीम तल्ला रामगढ़ से नीचे उतरी तो यहां का मंजर बारिश के कहर को बयां कर रहा था। रास्ता पूरी तरह बर्बाद हो चुका है। कई घरों की बुनियाद तक बह गई। हर चेहरे पर आपदा का खौफ साफ देखा जा सकता है। दुकानों में इतना मलबा जमा है कि आपदा के तीन दिन बीतने के बाद भी गाद (मलबा) पूरी तरह साफ नहीं हो पाई है। लोग एक दूसरे की मदद कर जिंदगी को पटरी पर लाने की कवायद में जुटे हैं। 
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रामगढ़ में आपदा - फोटो : अमर उजाला
सुबह 10:45 बजे 
यहां से आगे के हालात और भी बदतर हैं। सड़क है लेकिन नहीं भी। मतलब न कोई वाहन आ सकता है और न ही जा सकता है। इक्का दुक्का लोग सड़क पर तल्ला रामगढ़ से दैनिक जरूरतों का सामान ले जाते दिखाई दे सकते हैं। लगभग सभी के चेहरों से मुस्कान गायब है। 

सुबह 11:00 बजे
सकुना के लिए बनी सड़क चकाचक है, लेकिन भूस्खलन से 10 से 15 जगह सड़क या तो बंद है यहां पूरी तरह टूट चुकी है। आवाजाही में लोगों को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कहीं खाई में उतरना पड़ रहा है तो कहीं टूटी सड़क के दूसरे छोर तक जाने के लिए भीड़े (सड़क से लगे पहाड़) पार करने पड़ रहे हैं। सड़क के अधिकतर हिस्से में मिट्टी भरी हुई है। इससे पांव जमीन पर धंस रहे हैं। चिकनी मिट्टी पर फिसलने से चोटिल होने का खतरा हर पल बना रहता है।
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रामगढ़ में आपदा - फोटो : अमर उजाला
दोपहर 12 बजे 
झूतिया में एक कलवर्ट के दोनों छोरों की सड़क बह गई है। यहां सड़क किनारे स्थित एक पार्किंग के फर्श से नीचे की आधी जमीन बह गई। लोग पत्थर लगाकर इसे बचाने की कवायद में जुटे हैं। पार्किंग में खड़ी कार के आने वाले कुछ महीनों तक बाहर निकलने के कोई आसार नहीं हैं। 

दोपहर 12:30 बजे 
बारिश से जगह-जगह स्रोत फूटे हैं। पानी ऐसे गिर रहा है मानो कोई झरना हो। आड़ू के बगीचों में मलबा भर गया है। कई जगह तो बागों का नामोनिशान ही मिट गया। लोग घरों से मलबा निकाल रहे हैं। सक्षम लोगों ने घर के भीतर से मलबा हटाने के लिए मजदूर लगाए हैं।

दोपहर 1 बजे
सकुना में मजदूरों की ढूंढ खोज जारी है। बिहार से आए मजदूरों के परिजन लाशों एक छोर पर बैठे हैं। सुबह बरामद हुई एक लाश को पोस्टमार्टम के लिए रखा गया है। एक अन्य व्यक्ति का शव नीचे बह रही नदी से बरामद होने की सूचना पर एसडीआरएफ और एनडीआरएफ वहां के लिए रवाना हुई। 
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रामगढ़ में आपदा - फोटो : अमर उजाला
दोपहर दो बजे 
झूतिया गांव में जहां आपदा से परिवार के तीन लोगों की जान गई, वहां घर का नामोनिशान नहीं है। हर ओर सिर्फ और सिर्फ मलबा ही दिख रहा है। यहीं से करीब 300 मीटर की दूरी पर स्थित एक और मकान आपदा की चपेट में आया है लेकिन आपदा से ठीक पहले लोगों ने मकान छोड़ दिया था, जिससे कोई जनहानि नहीं हुई। 

दोपहर ढाई बजे
अमर उजाला की टीम को अपने करीब देख क्षेत्र के कई ग्रामीण अपना दुखड़ा सुनाने आ गए। आपदा में गांव के एक ही परिवार के तीन लोगों की जान जाने से ये लोग अब भी खौफजदा हैं। इन ग्रामीणों की कई नाली जमीन तबाह हो गई है। बुजुर्गों कहते हैं कि ऐसी बारिश उन्होंने अपने जीवन में आजतक नहीं जीती। प्रशासन के यहां नहीं पहुंचने लोग गुस्साए हैं।
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