नैनीताल के रामगढ़ के झूतिया और सकुना में कदम-कदम पर आपदा के जख्म दिख रहे हैं। जगह-जगह पहाड़ों से निकलकर सड़कों पर बह रहा पानी ऐसा प्रतीत होता है मानो जख्म से खून बह रहा हो। कीचड़ से लथपथ सड़कें और घरों के आंगन उस रात आई प्रलय की कहानी बयां कर रहे हैं। गांव में इक्का दुक्का दुकानें खुली हैं लेकिन न आपूर्ति ठप होने से सामान न के बराबर रह गया है। कई घरों की तो नींव तक उखड़ गई है।
उत्तराखंड आपदा: आपबीती सुना सहम उठा 'जलप्रलय' में बचा मजदूर, बोला- पानी का ऐसा रेला आया कि सब तबाह हो गया
ग्राहक भी कम ही है। लोगों की जुबान पर सिर्फ और सिर्फ मौतों की ही बातें हैं। कई नाली जमीन बह जाने से जहां किसान सिर पकड़ कर बैठे हैं, वहीं बिहार से मजदूरों के शव लेने आए परिजनों की आंखें नम और गले भरे हुए हैं। अमर उजाला की टीम ने ग्राउंड जीरो पर जाकर पड़ताल की तो हालात बद से बदतर दिखे।
सुबह 9 बजे :
मल्ला रामगढ़ से तल्ला रामगढ़ तक सड़क बेहद खतरनाक है। अमर उजाला की टीम शुक्रवार को जब झूतिया गांव के लिए निकली। बारिश के कहर से गागर में बिजली के पोल धराशायी हो गए हैं। कई जगह तो आधी सड़क बह गई है। हिमालयन हाइट्स रिसॉर्ट के ठीक नीचे सड़क का आधा हिस्सा ढह गया है। यहां खाई की ओर वाहन जाने से रोकने के लिए एक दो पत्थर रखे गए थे। अगर गलती से कोई वाहन खाई की ओर आता है तो कमजोर पड़ी जमीन खिसकना तय है।
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सुबह 9 बजे :
मल्ला रामगढ़ से तल्ला रामगढ़ तक सड़क बेहद खतरनाक है। अमर उजाला की टीम शुक्रवार को जब झूतिया गांव के लिए निकली। बारिश के कहर से गागर में बिजली के पोल धराशायी हो गए हैं। कई जगह तो आधी सड़क बह गई है। हिमालयन हाइट्स रिसॉर्ट के ठीक नीचे सड़क का आधा हिस्सा ढह गया है। यहां खाई की ओर वाहन जाने से रोकने के लिए एक दो पत्थर रखे गए थे। अगर गलती से कोई वाहन खाई की ओर आता है तो कमजोर पड़ी जमीन खिसकना तय है।