दिल्ली गेट इलाके में शुक्रवार शाम को हुई हिंसा के दौरान वहां मौजूद मोहम्मद अकरम ने बताया कि भीड़ को देखकर वह भी वहां पहुंच गया था। जब पुलिस ने लाठीचार्ज किया, तो उसके पैरों में भी लाठियां लगीं और वह वहां से भागकर दूर चला गया। जहां से उसने देखा कि जो भी वहां रुका था, उन सबको पुलिस ने पकड़ लिया। किसी को भी कुछ कहने का मौका नहीं दिया। अकरम ने बताया कि प्रदर्शन करने के बाद लोग अपने घरों को जाने लगे, लेकिन इसी दौरान सीलमपुर की ओर से आए कुछ लोगों ने पुलिस पर पथराव कर दिया। पुलिस शांति की अपील करती रही, लेकिन उन लोगों को पकड़ नहीं पाई, जिन्होंने बवाल किया था।
दिल्ली हिंसा: 'जो रुका, उसे पुलिस ने पकड़ लिया', प्रत्यक्षदर्शी और परिजनों की सुनिए दास्तां
खजूरी निवासी मोहम्मद इशफाक (60) को पुलिस ने हिंसा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया है। उसकी पत्नी का कहना है कि इशफाक जामा मस्जिद इलाके में लोहे का काम करते हैं। उनके चार बेटे और बहुएं हैं। जब वह शाम तक घर नहीं लौटे तो उन लोगों ने टीवी पर दरियागंज में हिंसा होने का समाचार देखा। इसी बीच थाने से फोन आया कि इशफाक को गिरफ्तार कर लिया गया है। पत्नी ने बताया कि एक बुजुर्ग शख्स हिंसा में कैसे शामिल हो सकता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस दूर-दूर से लोगों को यह कहकर अपने साथ ले गई कि प्रदर्शन के बारे में पूछताछ करनी है और ऐसे लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
वहीं बढ़ई का काम करने वाले मोहम्मद रहीम के भाई चांद मोहम्मद ने बताया कि घटना के समय रहीम नमाज पढ़ने के बाद वापस आ रहा था, तभी लोग उग्र हो गए। चूंकि उसने कुछ भी नहीं किया था इसलिए वह वहां से जाने लगा। इसी दौरान पुलिस ने उसे पकड़ लिया। रात 10 बजे तक रहीम घरवालों को बताता रहा कि उसे पुलिस वाले अधिकारी के आने के बाद छोड़ने की बात कह रहे हैं, लेकिन शनिवार सुबह पता चला कि उसे भी दंगा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है।
वकीलों ने हरसंभव मदद देने का दिया आश्वासन
दिल्ली गेट पर हुई हिंसा के बाद गिरफ्तार किए गए लोगों के समर्थन में वकील भी आ गए हैं। हालांकि शुक्रवार रात वकीलों ने आरोप लगाया कि उन्हें अपने मुवक्किलों से मिलने नहीं दिया गया। साथ ही इनके समर्थन में दिल्ली कई विश्वविद्यालय के छात्र आ गए, जिनके पुलिस मुख्यालय पर प्रदर्शन करने के बाद पुलिस ने हिरासत में लिए गए 16 नाबालिगों को छोड़ दिया।
थाने के बाहर मौजूद गिरफ्तार लोगों के परिवार वालों से शनिवार को वकील मिले और उन्हें कानूनी मदद देने का आश्वासन दिया। अधिवक्ता रहमान ने बताया कि कई ऐसे व्यक्तियों को दंगा फैलाने का आरोपी बनाया गया है, जो अपने काम से दरियागंज आए थे। पुलिस ने उन्हें झूठे केस में फंसाया है। उन्होंने बताया कि उनका लीगल ऐड सेंटर है, जिसमें काफी संख्या में वकील हैं। जो ऐसे बेकसूरों के मामले में उनकी मदद करते हैं।