कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनकी जिंदगी बहुत प्रेरणादायी होती है। उनकी जिंदगी जर्रे से आफताब बनने के सफर की होती है। ऐसे ही लोगों में शामिल हैं गुलशन कुमार। संगीत जगत का ऐसा नाम जो अपनी मेहनत और लगन के बल पर इतना ऊंचा उठे कि कुछ लोगों को उनसे परेशानी होने लगी और उन्हीं लोगों ने उन्हें मौत के घाट उतार दिया। आज वही दिन है 12 अगस्त जब 1997 में मुम्बई के साउथ अंधेरी इलाके में स्थित जीतेश्वर महादेव मंदिर के बाहर गोली मारकर गुलशन की हत्या कर दी गई थी। आज हम आपको उन्हीं गुलशन कुमार के बचपन से लेकर पूरी जिंदगी के बारे में कई ऐसी रोचक बातें बताने जा रहे हैं जो आप शायद ही जानते हों...
अगर ऐसा हो जाता तो बच सकती थी गुलशन कुमार की जान, कैसेट किंग से जुड़े 10 राज
- गुलशन कुमार का जन्म 5 मई 1951 को दिल्ली के एक पंजाबी अरोड़ा परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम चंद्रभान दुआ था जो दिल्ली के दरियागंज बाजार में एक फ्रूट जूस विक्रेता थे। गुलशन कुमार का असली नाम गुलशन दुआ था, लेकिन बाद में उन्होंने इसे कुमार कर लिया।
- बचपन में गुलशन कुमार अपने पिता की जूस की दुकान पर उनकी मदद करते थे और यहीं से उन्होंने व्यापार की बारीकियां सीखीं और उनमें इसके प्रति रुचि भी पैदा हुई।
- शुरुआत में गुलशन कुमार वास्तविक गानों को दूसरे गायकों की आवाज में रिकॉर्ड कराकर कैसेट बेचते थे। अगर अन्य कैसेट के दाम 28 रुपये होते थे तो गुलशन कुमार अपने कैसे सिर्फ 15 से 18 रुपये में बेचते थे। इस दौरान उन्होंने भक्ति गीत रिकॉर्ड करना शुरू किया। इन गानों को वह खुद भी गाते थे।
- 70 का दशक में गुलशन कुमार के कैसेट की मांग बढ़ती गई और धीरे-धीरे वह संगीत दुनिया में सफल बिजनेसमैन के तौर पर स्थापित हो गए। इसके बाद उन्होंने सिनेमा की दुनिया की ओर रुख किया और मुंबई चले गए। इसके बाद वह हिंदू पौराणिक कथाओं से संबंधित फिल्मों और सीरियल्स के निर्माता बन गए।
- धर्म में उनकी काफी रूची थी और वे वैष्णो देवी के भक्त थे। उन्होंने वैष्णो देवी आने वाले भक्तों के लिए भंडारे का आयोजन कराया था, जो आज भी चलता है।
- मौत से पहले गुलशन कुमार ने सुबह सात बजे प्रोड्यूसर झामु सुगंध को फोन कर कहा था कि कि एक सिंगर और फिर एक दोस्त से मिलने के बाद वो मंदिर जाएंगे और उसके बाद उनसे मिलने आएंगे। लेकिन इस कॉल के तीन घंटे बाद यानी तकरीबन साढ़े दस के करीब अंधेरी के जीतेश्वर महादेव मंदिर के सामने गुलशन कुमार को एक के बाद एक 16 गोलियां मार दी गईं। उनकी जान तुरंत चली गई। जिस देसी तमंचे से गुलशन कुमार की हत्या की गई उस पर बम्हौर लिखा था।