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एक हीरोइन की कोरोना डायरी: खुद किया पिता का अंतिम संस्कार, ‘देवदूत’ बनकर मदद करने आए थे पड़ोसी

अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई Published by: Mishra Mishra Updated Sat, 30 Jan 2021 07:48 PM IST
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actress Kavitta Verma corona Diary lost her father faced many challenges
कविता अपने पिता के साथ - फोटो : अमर उजाला, मुंबई

कोरोना महामारी का प्रकोप जैसे जैसे कम हो रहा है, लोग घरों से बाहर आ रहे हैं। अपने परिचितों से मिल रहे हैं और एक दूसरे के हाल चाल भी पूछ रहे हैं। इन मुलाकातों में कुछ कहानियां ऐसी भी सामने आ रही हैं, जिन्हें सुनकर दिल धक से रह जाता है। किसी ने अपने घरवालों को खो दिया। किसी ने अपनों को अपनी आंखों के सामने जाते देखा तो किसी को इसी संकट की घड़ी में ‘भगवान’ भी मिले।

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actress Kavitta Verma corona Diary lost her father faced many challenges
चरण सिंह - फोटो : अमर उजाला, मुंबई

ऐसी ही एक कहानी है अभिनेत्री कविता वर्मा की। कविता ने पिछले तीन चार-साल में काफी निजी नुकसान झेला है। उनकी बहन की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मां सदमे में चल बसीं। पिता चरण सिंह सेना के रिटायर्ड कर्नल तो रहे लेकिन बुजुर्ग होने के कारण लगातार दूसरों पर आश्रित रहे। बेटे ने उनको सहारा नहीं दिया तो कविता अपने पिता को मुंबई ले आईं।

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चरण सिंह - फोटो : अमर उजाला, मुंबई

कविता बताती हैं, “पापा मेरे साथ कई साल से थे। उनका लगातार इलाज चल रहा था। लेकिन कोरोना महामारी फैली तो सब पहले जैसा नहीं रहा। हालांकि मैं शुक्रगुजार हूं उन चिकित्सकों की जो पहले की तरह ही पापा को देखने आते रहे और उनका इलाज सुचारू रूप से जारी रखने में मदद करते रहे। मुंबई में मैं और मेरे पापा, बस यही दो लोग घर पर साथ रहते थे।”

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कविता अपने पिता के साथ - फोटो : अमर उजाला, मुंबई

लेकिन, कविता वर्मा को संकट का असली मतलब समझ आया जून के महीने में। जब उनके पिता का स्वास्थ्य एकदम से बिगड़ने लगा। एक सुबह तो हालत इतनी बिगड़ गई कि कुछ समझ ही नहीं आया। कविता कहती हैं, “पापा को नियमित देखने आने वाले डॉक्टर ने बताया कि उनके अंग काम करना बंद कर रहे हैं। पापा को तुरंत आईसीयू में ले जाने की जरूरत थी। मैंने एंबुलेंस बुलाई और पापा को लेकर अस्पताल भागी। लेकिन, अस्पताल? मुंबई में सब कुछ मिलने लगा था लेकिन अस्पताल मिलना ही मुश्किल था।”

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चरण सिंह - फोटो : अमर उजाला, मुंबई
सुबह 10 बजे से लेकर शाम के छह बजे तक अभिनेत्री कविता वर्मा ने सारे जतन कर लिए, अपने साथ काम करने वाले तमाम कलाकारों को फोन कर लिया। तमाम बड़े जानने वालों से मदद मांग ली। लेकिन, कुछ काम न आया। कविता के मुताबिक, “मैं सारे जतन कर हार चुकी थी। ईश्वर का नाम लेते हुए मैंने एंबुलेंस चालक को वापस घर चलने को कहा। ये सोचते हुए कि अगर पापा को अंतिम मदद नहीं मिलनी है तो फिर मैं क्या कर सकती हूं? हमने पापा को एंबुलेंस से उतारा ही था कि सामने से एक सज्जन भागते हुए आए। कोरोना काल में ऐसे किसी का मदद के लिए आना ही अचरज लगता है, पर वह पास आए, अपना परिचय दिया और मेरी समस्या पूछी।”

 
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