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Batla House Movie Review: हालात के झूठ के सामने अपना सच साबित करने की शानदार कोशिश

मुंबई डेस्क, अमर उजाला Published by: शिप्रा सक्सेना Updated Fri, 16 Aug 2019 02:40 PM IST
सार

  • Movie Review: बाटला हाउस
  • कलाकार: जॉन अब्राहम, मृणाल ठाकुर, रवि किशन, मनीष चौधरी, राजेश शर्मा और नोरा फतेही आदि
  • निर्देशक: निखिल आडवाणी
  • निर्माता: भूषण कुमार, जॉन अब्राहम आदि

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Batla House Movie Review John Abraham Mrunal Thakur in lead role
Batla House - फोटो : Social Media

पहले तो यही लग रहा था कि 'बाटला हाउस' शायद कोर्ट कचहरी के चक्कर में सिनेमाघरों तक 15 अगस्त को पहुंचे ही नहीं, लेकिन रिलीज से ठीक पहले फिल्म को मिली राहत ने हिंदी पट्टी के दर्शकों को देशभक्ति का रोमांच महसूस करने और दिल में अपने कर्तव्यों को लेकर मचलते जज्बात को जीने का सही मौका दे दिया है। जॉन अब्राहम इस फिल्म से अपने करियर के शीर्ष पर पहुंचते दिख रहे हैं। उनके सीने में सुलगती आग और आंखों से रिसता दर्द हर उस भारतीय की कहानी है जिसे हालात के झूठ के सामने अपना सच साबित करने के लिए हर घड़ी भिड़ना होता है।



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Batla House Movie Review John Abraham Mrunal Thakur in lead role
बाटला हाउस - फोटो : सोशल मीडिया

सीरियल बम धमाकों की जांच कर रही टीम को सूचना मिलता है कि दिल्ली के 'बाटला हाउस' इलाके में कुछ आतंकवादी छुपे हैं। पुलिस की टीम छापा मारती है। दो आतंकवादी मारे जाते हैं। एक भाग जाता है। दिल्ली पुलिस का एक अफसर शहीद हो जाता है, दूसरा गंभीर रूप से घायल होता है। शुरू हो जाता है तुष्टिकरण की राजनीति का एक ऐसा सिलसिला, जिसमें खाकी की पूजा करने वाले एक अफसर का जीते जी ही पोस्टमार्टम होने लगता है। अफसर की बीवी पत्रकार है। वह सच के साथ रहने की कोशिश में अपने ही पति के खिलाफ जाते दिखती तो है लेकिन उसके भीतर की इंसानियत उसे वह सच भी दिखाती है जिसे आमतौर पर आजकल के पत्रकार देखना नहीं चाहते।

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Batla House Movie Review John Abraham Mrunal Thakur in lead role
batla house - फोटो : twitter

जॉन अब्राहम देशभक्ति से ओतप्रोत एक ऐसे सिनेमा के वाहक बन चुके हैं जिसमें मुद्दों की बात होती है। वह एक पहले से खींची लकीर को ही गाढ़ा नहीं करते रहते हैं। वह हर बार एक नई लकीर खींचते हैं और उसे अपनी पहले की खिंची लकीर से लंबा करने की कोशिश करते हैं। अक्षय कुमार और जॉन अब्राहम की अदाकारी का यही बड़ा फर्क है। अक्षय जहां दर्शकों के मन में पहले से बसी देशभक्ति को ही दुलराते हैं, जॉन का सिनेमा दर्शकों के दिलों के किसी कोने में दबी पड़ी एक ऐसी जिजीविषा को जगाते हैं, जिसे कुरेदने से दर्द बहुत होता है।

Batla House Movie Review John Abraham Mrunal Thakur in lead role
BATLA HOUSE - फोटो : file photo

अभिनय के मामले पूरी फिल्म में वैसे तो जॉन अब्राहम ही अपने करियर के एक बेहतरीन रोल में दिखाई देते हैं। उनके चेहरे के भाव उनके किरदार के पेशे के अनुरूप ही हैं। इसरो के वैज्ञानिकों की गरिमा भले मिशन मंगल में धूमिल होती दिखती हो, जॉन ने दिल्ली पुलिस की वर्दी पर आंच नहीं आने देने की पहले सीन से ठान रखी है। हालांकि, वह कुछ चुटीले तंज भी इस दौरान कसते हैं, ‘आतंकवादियों से भिड़ने के जितने पैसे हमें मिलते हैं, उतने पैसे तो ट्रैफिक का सिपाही एक दिन में कमाता है।’

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Batla House Movie Review John Abraham Mrunal Thakur in lead role
batla house - फोटो : file photo

निर्देशक के तौर पर निखिल आडवाणी ने अपने करियर में नया रास्ता चुना है। वह लीक से इतर सिनेमा बजाने की बजाय अब मुख्यधारा के उस सिनेमा की धार में बह चले हैं, जिसमें दर्शकों की उम्मीदों को हर संवाद, हर अतिरेक से परवान चढ़ाना होता है। फिल्म का संतुलन बनाए रखने में निखिल को सबसे ज्यादा मदद मिली है मृणाल ठाकुर से। मृणाल ने अभिनय का रास्ता वहां से पकड़ा है, जिस मुकाम पर कभी हिंदी सिनेमा ने शबाना आजमी, नंदिता दास या फिर दीप्ति नवल जैसी अभिनेत्रियों का काम देखा है। 

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