दुनिया एक रंगमंच है और हम सब इस रंगमंच की कठपुतलियां हैं। विलियम शेक्सपियर की यह पंक्तियां रंगमंच के प्रत्येक कलाकार की दुनिया का फलसफा है। स्टेज तो छोड़िए कलाकारों की जिंदगी में रंगमंच उनकी नस नस में बसा होता है। ऐसे ही कलाकारों के उत्साह का जश्न मनाने के लिए 27 मार्च को पूरी दुनिया में विश्व रंगमंच दिवस के रूप में याद किया जाता है। इस मौके पर जी थियेटर के टेलीप्लेज से जुड़े कलाकारों ने भी अपने उत्साह को साझा किया। उन्होंने अपनी पुरानी यादों से लेकर शुरुआती नाटकों, शिक्षकों और अनुभवों का जिक्र किया।
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रंगमंच को पहला प्यार मानते हैं सिनेमा जगत के ये कलाकार, विश्व रंगमंच दिवस पर लगाया पुरानी यादों में गोता
अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
Published by: भावना शर्मा
Updated Fri, 27 Mar 2020 10:07 AM IST
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himani shivpuri shikha talsania
- फोटो : social media
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Himani Shivpuri and Alok Nath
हिमानी शिवपुरी
संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार हासिल कर चुकी अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी जी थिएटर के टेलीप्ले हमीदबाई की कोठी से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने अपने रंगमंच की यादों को साझा करते हुए कहा, 'थिएटर हमेशा मेरा पहला प्यार था। स्कूल और कॉलेज में थिएटर करने के बाद, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा ने एक कलाकार के तौर पर खुद को विकसित करने में काफी मदद की। मैंने नाटक मित्रो मरजानी में मित्रो की भूमिका निभाई, जो बी.एम. शाह द्वारा निर्देशित था और यह वास्तव में आश्चर्यजनक था। दरअसल इसमें मैंने पहली भारतीय रंगमंच में, एक ऐसी महिला का किरदार निभाया जो अपनी शारीरिक जरूरतों के बारे में बोल्ड है और अपने शरीर पर गर्व करती है।'
संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार हासिल कर चुकी अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी जी थिएटर के टेलीप्ले हमीदबाई की कोठी से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने अपने रंगमंच की यादों को साझा करते हुए कहा, 'थिएटर हमेशा मेरा पहला प्यार था। स्कूल और कॉलेज में थिएटर करने के बाद, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा ने एक कलाकार के तौर पर खुद को विकसित करने में काफी मदद की। मैंने नाटक मित्रो मरजानी में मित्रो की भूमिका निभाई, जो बी.एम. शाह द्वारा निर्देशित था और यह वास्तव में आश्चर्यजनक था। दरअसल इसमें मैंने पहली भारतीय रंगमंच में, एक ऐसी महिला का किरदार निभाया जो अपनी शारीरिक जरूरतों के बारे में बोल्ड है और अपने शरीर पर गर्व करती है।'
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Shikha Talsania
- फोटो : Social Media
शिखा तलसानिया
जी थिएटर के टेलीप्ले इंटरनल अफेयर्स की अभिनेत्री शिखा तलसानिया कहती हैं, 'मेरा बचपन बहुत हद तक बैकस्टेज ही बीता है क्योंकि मेरे माता-पिता थिएटर आर्टिस्ट हैं। हर बार जब वे स्टेज पर जाते थे उन्हें जादुई रूप से नए रूप में देखना दिलचस्प होता था। मुझे यकीन नहीं था कि मैं थिएटर में अपना करियर बनाऊंगी, लेकिन मुझे पता था कि मैं किसी ना किसी तरह से थिएटर का हिस्सा बनूंगी।' अपने दिल के सबसे करीब के नाटक के बारे में उन्होंने कहा, 'सखा सय्यरा जिसका प्रोडक्शन मेरे माता पिता ने किया था इसके साथ ही द अग्ली वन, और देख बहन आज भी मेरे सबसे करीब है।' अभिनेत्री ने कहा, 'मुझे लगता है कि मैं थिएटर समुदाय का हिस्सा बनकर काफी सम्मानित महसूस कर रही हूं। प्रत्येक व्यक्ति जो किसी भी नाटक का हिस्सा होता है और जो दर्शक हमें देखने आती है वह हीरो होती है।'
जी थिएटर के टेलीप्ले इंटरनल अफेयर्स की अभिनेत्री शिखा तलसानिया कहती हैं, 'मेरा बचपन बहुत हद तक बैकस्टेज ही बीता है क्योंकि मेरे माता-पिता थिएटर आर्टिस्ट हैं। हर बार जब वे स्टेज पर जाते थे उन्हें जादुई रूप से नए रूप में देखना दिलचस्प होता था। मुझे यकीन नहीं था कि मैं थिएटर में अपना करियर बनाऊंगी, लेकिन मुझे पता था कि मैं किसी ना किसी तरह से थिएटर का हिस्सा बनूंगी।' अपने दिल के सबसे करीब के नाटक के बारे में उन्होंने कहा, 'सखा सय्यरा जिसका प्रोडक्शन मेरे माता पिता ने किया था इसके साथ ही द अग्ली वन, और देख बहन आज भी मेरे सबसे करीब है।' अभिनेत्री ने कहा, 'मुझे लगता है कि मैं थिएटर समुदाय का हिस्सा बनकर काफी सम्मानित महसूस कर रही हूं। प्रत्येक व्यक्ति जो किसी भी नाटक का हिस्सा होता है और जो दर्शक हमें देखने आती है वह हीरो होती है।'
Ahana Kumra
आहाना कुमरा
लिपिस्टिक अंडर मॉय बुर्का और रंगबाज की अभिनेत्री आहाना कुमरा ने विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर अपनी यादों पर प्रकाश डालते हुए कहा, 'जब मैं 14 वर्ष की थी तब पृथ्वी थियेटर की एक कार्यशाला का हिस्सा बनी थी। इसके बाद ही रंगमंच के प्रति मेरी दिवानगी पैदा हुई। वह कार्यशाला नीरज काबी की देखरेख में हुई थी। जिसके बाद थियेटर मेरी जिंदगी का अटूट हिस्सा बन गया।' आहाना ने आगे बताया, 'नसीर सर और रत्ना मैम मेरे मेंटर थे और मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है। बाय जॉर्ज मेरा पहला नाटक है और यह मेरे दिल के बहुत ही करीब है। फैसल राशिद के साथ भी मैंने काम किया है। मुझे अब भी एनसीपीए पर हमारा पहला शो याद है। मैं सीधे गई और जाकर नसीर सर को गले लगा लिया और कहा मुझे यह मौका देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।'
लिपिस्टिक अंडर मॉय बुर्का और रंगबाज की अभिनेत्री आहाना कुमरा ने विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर अपनी यादों पर प्रकाश डालते हुए कहा, 'जब मैं 14 वर्ष की थी तब पृथ्वी थियेटर की एक कार्यशाला का हिस्सा बनी थी। इसके बाद ही रंगमंच के प्रति मेरी दिवानगी पैदा हुई। वह कार्यशाला नीरज काबी की देखरेख में हुई थी। जिसके बाद थियेटर मेरी जिंदगी का अटूट हिस्सा बन गया।' आहाना ने आगे बताया, 'नसीर सर और रत्ना मैम मेरे मेंटर थे और मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है। बाय जॉर्ज मेरा पहला नाटक है और यह मेरे दिल के बहुत ही करीब है। फैसल राशिद के साथ भी मैंने काम किया है। मुझे अब भी एनसीपीए पर हमारा पहला शो याद है। मैं सीधे गई और जाकर नसीर सर को गले लगा लिया और कहा मुझे यह मौका देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।'
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joy sen gupta
- फोटो : amar ujala
जॉय सेन गुप्ता
जी थियेटर के नाटक शिरीन शान के अभिनेता जॉय सेन गुप्ता कहते हैं कि उनकी थियेटर की शुरुआत काफी रोचक रही। उनके अनुसार, 'मैं एक बेहद शर्मीला व्यक्ति था जिसने अपना आत्मविश्वास स्टेज पर पाया। हमने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में अपने दूसरे वर्ष के दौरान एंटोन चेखव द्वारा एक नाटक किया। इस नाटक का नाम ड्यूरिंग द थ्री सिस्टर्स था।' वर्ल्ड थियेटर डे के मौके उन्होंने अपने गुरु हबीब तनवीर और सफदर हाशमी को भी याद किया।
जी थियेटर के नाटक शिरीन शान के अभिनेता जॉय सेन गुप्ता कहते हैं कि उनकी थियेटर की शुरुआत काफी रोचक रही। उनके अनुसार, 'मैं एक बेहद शर्मीला व्यक्ति था जिसने अपना आत्मविश्वास स्टेज पर पाया। हमने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में अपने दूसरे वर्ष के दौरान एंटोन चेखव द्वारा एक नाटक किया। इस नाटक का नाम ड्यूरिंग द थ्री सिस्टर्स था।' वर्ल्ड थियेटर डे के मौके उन्होंने अपने गुरु हबीब तनवीर और सफदर हाशमी को भी याद किया।