मशहूर कवि, गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर अपने बेबाक बयान के लिए जाने जाते हैं। वह समाज समेत इंडस्ट्री के विभिन्न विषयों पर भी अपने विचार साझा करते नजर आते हैं। हाल ही में, प्रसिद्ध पटकथा लेखक ने माधुरी दीक्षित और दिवंगत श्रीदेवी को दिग्गज अदाकारा नरगिस या नूतन जितना ही प्रतिभाशाली बताया है और सवाल किया कि क्या उन्हें पूरे करियर में कोई अच्छी भूमिका मिली?
Javed Akhtar: माधुरी-श्रीदेवी को अपने पूरे करियर में कोई अच्छी भूमिका मिली? जावेद अख्तर ने क्यों पूछा यह सवाल
हाल ही में, एनडीटीवी के एक साक्षात्कार में, दिग्गज गीतकार और पटकथा लेखक ने बताया कि कैसे एक नायक की बदलती छवि ने बड़े पर्दे पर कहानी कहने को प्रभावित किया है। उन्होंने यह भी कहा कि माधुरी दीक्षित और श्रीदेवी जैसी अभिनेत्रियों को दिवंगत दिग्गज अदाकारा मीना कुमारी या नरगिस जितनी शक्तिशाली भूमिकाएं नहीं मिलीं।
जावेद अख्तर अपनी नई डॉक्यूमेंट्री सीरीज 'एंग्री यंग मेन' के प्रचार में व्यस्त हैं। हाल ही में उन्होंने कहा, "इन लड़कियों को देखिए, माधुरी और श्रीदेवी । वे मीना कुमारी, नरगिस और मधुबाला से कम प्रतिभाशाली नहीं थीं। माफ कीजिए। वे इन महान अभिनेत्रियों जितनी ही प्रतिभाशाली थीं। लेकिन क्या उन्हें अपने पूरे करियर में अच्छी भूमिका मिली? लार्जर दैन लाइफ मीना कुमारी के पास साहिब बीबी और गुलाम (1962) और पाकीजा (1972) थीं। नरगिस के पास मदर इंडिया (1957) थी। नूतन के पास बंदिनी (1963) और सुजाता (1959) थी।"
जावेद अख्तर ने बताया कि कैसे हिंदी सिनेमा के स्वर्ण युग के दौरान महिला पात्र अपने पुरुष सह-कलाकारों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी थीं और कई स्तर की भूमिकाएं निभाती थीं, जो आने वाले वर्षों में महिला कलाकारों को नहीं दी गईं।
जावेद अख्तर ने कहा, "आपने श्रीदेवी को या माधुरी को कौन सा यादगार रोल दिया? क्या इसलिए नहीं कि आपकी उनसे कुछ दुश्मनी थी? आपके पास बेहतरीन रोल नहीं थे। और बेहतरीन रोल इसलिए नहीं थे क्योंकि जब मीना कुमारी थीं तब मैं चुप रहूंगी गुण था... अब मैं चुप रहूंगी गुण नहीं है। तो फिर गुण क्या है? लोगों को समझ नहीं आ रहा है। जब 70 के दशक में एक युवक सत्ता के खिलाफ खड़ा हुआ तो वह गुण था। क्या आज जेल जाना भी गुण है? आप नहीं जानते, आपको ऐसा रवैया आत्मघाती लगेगा।"