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Veer Zaara: ‘वीर जारा’ के गानों पर मदन मोहन के बेटे के दिलचस्प खुलासे, तीन मिनट में जानिए पूरी म्यूजिकल मेकिंग

अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई Published by: दीक्षा पाठक Updated Tue, 12 Nov 2024 12:32 PM IST
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Veer Zaara was the realization of my father’s musical legacy says Sanjeev Kohli son of Madan Mohan
वीर जारा, मदन मोहन - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई

संगीतकार मदन मोहन की बरसों पहले की बनाई धुनें जब निर्माता निर्देशक यश चोपड़ा ने सुनीं तो उन्होंने छूटते ही इन्हें अपनी फिल्म ‘वीर जारा’ में शामिल करने का फैसला कर लिया। हिंदी सिनेमा का ये अद्भुत प्रयोग रहा है जिसमें किसी संगीतकार की बनाई कोरी धुनों पर बाद में गीत लिखे गए और किसी फिल्म में इन धुनों को नए गानों की आत्मा के रूप में इस्तेमाल किया गया। संगीतकार मदन मोहन के बेटे संजीव कोहली ने फिल्म की दोबारा रिलीज पर इस संगीत को लेकर दिलचस्प खुलासे किए हैं।

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Veer Zaara was the realization of my father’s musical legacy says Sanjeev Kohli son of Madan Mohan
वीर जारा - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई

संजीव कोहली कहते हैं, “वीर जारा मेरे लिए एक ऐसा सपना था जिसे कभी सच मानने की हिम्मत भी नहीं कर सका। यह एक बेटे के अपने पिता की संगीत विरासत के लिए देखे गए सपने का साकार रूप था। मेरे पिता दिवंगत संगीतकार मदन मोहन का 1975 में केवल 51 साल की उम्र में निधन हो गया। उनके पास बहुत कुछ नया बनाने का मौका नहीं मिला। बड़े प्रोडक्शन हाउस और लोकप्रिय पुरस्कार उनसे हमेशा दूर रहे, और यह बात उन्हें बहुत तकलीफ देती थी।”

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Veer Zaara was the realization of my father’s musical legacy says Sanjeev Kohli son of Madan Mohan
वीर जारा - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई

साल 2003 में एक दिन यश चोपड़ा ने संजीव कोहली से ये साझा किया कि वह एक फिल्म निर्देशित करने का मन बना चुके हैं। इसके पहले यश चोपड़ा ने अपनी आखिरी फिल्म छह साल पहले बनाई थी। जानकारी के मुताबिक यश चोपड़ा एक ऐसी फिल्म चाहते थे जिसमें पुरानी दुनिया का संगीत हो लेकिन बिना पश्चिमी प्रभाव के। वह ऐसा संगीत चाहते थे जिसमें भारतीय ध्वनियों पर आधारित सशक्त मेलोडी हो, 60 और 70 के दशक की तरह का संगीत, जैसे हीर रांझा और लैला मजनू का संगीत था।

Veer Zaara was the realization of my father’s musical legacy says Sanjeev Kohli son of Madan Mohan
वीर जारा - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई

संजीव कोहली बताते हैं, “यशजी ने कई समकालीन संगीतकारों से बैठकों की थी, पर उस पुरानी मधुरता का जादू उन्हें नहीं मिल पाया, क्योंकि सभी ने अपने संगीत को आधुनिक पश्चिमी प्रभावों के साथ ढाल लिया था। यह सुनकर मैंने उनसे कहा कि मेरे पास कुछ पुराने समय की धुनें हैं, जो 28 सालों से नहीं सुनी गईं। यश जी इस विचार से उत्साहित थे और उन्होंने मुझे अपने पिता के अनसुने धुनों की खोज करने के लिए कहा।”

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वीर जारा - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई

यश चोपड़ा का ग्रीन सिगनल मिलने के बाद संजीव कोहली ने करीब एक महीने तक इन पुराने टेप्स को सुना। पहले के दो-तीन कैसेट्स उनके पास थे और उनमें से 3-4 धुनें संजीव को ऐसी लगीं जो नए दौर में भी चल सकती थीं। यश जी ने इन्हें सुना, फिर आदित्य चोपड़ा ने भी और दोनों को लगा कि इन मूल धुनों को नए सिस्टम के साथ रचा जाए तो मामला जम सकता है। संजीव बताते हैं, “ फिर मैंने तीन संगीतकारों की टीम बनाई और 30 धुनों को नए सिरे से रिकॉर्ड किया। मैंने खुद से डमी लिरिक्स लिखे और तीन युवा गायकों से उन्हें गवाया। जब यशजी और आदित्य ने इन धुनों को सुना, तो वे संतुष्ट थे। कुछ दिनों में उन्होंने 30 में से 10 गानों का चयन कर लिया और उन्हें अपनी स्क्रिप्ट में उपयुक्त स्थान दिया।”

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