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टोक्यो ओलंपिक: बजरंग पूनिया के परिवार को छोड़ना पड़ा था गांव, साढ़े छह साल बाद बेटे ने पदक जीत कर लौटाई खुशी

रवींद्र कौशिक, संवाद न्यूज एजेंसी, सोनीपत (हरियाणा) Published by: ajay kumar Updated Sat, 07 Aug 2021 08:25 PM IST
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Family had left village after selection of wrestler Bajrang Punia in SAI Center in Sonipat
पहलवान बजरंग पूनिया। - फोटो : अमर उजाला

टोक्यो ओलंपिक में देश के लिए कांस्य पदक जीतकर देश का मान बढ़ाने वाले पहलवान बजरंग पूनिया के लगातार आगे बढ़ने में परिवार के लोगों का भी बड़ा हाथ है। बजरंग पूनिया लगातार मेडल जीतकर तिरंगा ऊंचा करते रहे और उसके अभ्यास में कोई परेशानी न आए इसलिए परिवार वालों ने गांव तक छोड़ दिया। बजरंग पूनिया का साढ़े छह साल पहले सोनीपत के साई सेंटर में चयन हो गया था और उसके झज्जर के गांव खुड्डन से यहां रोजाना आकर अभ्यास करना नामुमकिन था तो यहां अकेले रहने पर भी अभ्यास पर असर पड़ता। बजरंग का अभ्यास ठीक नहीं होने से उसका मेडल जीतना भी मुश्किल था। बस यह सोचकर ही पिता बलवान सिंह व भाई हरेंद्र ने गांव छोड़ने का फैसला कर लिया। गांव में 10 एकड़ जमीन भी ठेके पर दी हुई है और पूरा परिवार बजरंग के खानपान से लेकर हर सुविधा का ध्यान रखता है। 

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Family had left village after selection of wrestler Bajrang Punia in SAI Center in Sonipat
जश्न मनाते लोग। - फोटो : अमर उजाला

ओलंपियन बजरंग पूनिया का परिवार पिछले साढ़े छह साल से सोनीपत में सुजान सिंह पार्क के पास रहता है। उनके परिवार में पिता बलवान सिंह के अलावा भाई हरेंद्र, मां ओमप्यारी, भाभी मोनिका व भतीजा नमन है। उनकी पत्नी संगीता पूनिया भी अंतरराष्ट्रीय पहलवान है। वह फिलहाल बैंगलुरु में रहकर अभ्यास कर रही हैं। उसकी तीन बड़ी बहन है, जिनकी शादी हो चुकी है। बजरंग के पिता बलवान सिंह की झज्जर में कृषि योग्य भूमि है और वह पहले खेती करते थे। 

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मैच देखते हुए बजरंग पूनिया का परिवार व अन्य लोग। - फोटो : अमर उजाला

शुरुआत में बजरंग ने चार-पांच महीने सोनीपत में अकेले रहकर अभ्यास किया लेकिन उसके अकेले रहने का अभ्यास पर असर पड़ता था और उसे अपने अन्य जरूरी कामों में समय देना पड़ता था। यह देखकर ही बजरंग के पिता व भाई ने फैसला किया कि वह भी परिवार के साथ सोनीपत में रहेंगे और वह झज्जर में अपना खुड्डन गांव छोड़कर यहां आ गए।

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बजरंग पूनिया की जीत का जश्न मनाते लोग। - फोटो : अमर उजाला

पिता बलवान सिंह व भाई हरेंद्र दोनों ही बजरंग के खाने का ध्यान रखने लगे तो उसके वजन व अन्य जरूरी काम भी भाई करने लगा। इसका असर भी बजरंग के खेल पर दिखाई देने लगा। वह केवल अभ्यास पर ध्यान देता है और यही कारण है कि वह देश के लिए लगातार बेहतर प्रदर्शन करके मेडल जीत रहा है। 

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बजरंग पूनिया - फोटो : सोशल मीडिया

बजरंग के स्वागत की कर रहे तैयारी
बजरंग पूनिया के देश के लिए कांस्य पदक जीतने से परिवार के लोग काफी खुश हैं। परिवार वाले बेटे को गोल्ड जीतता हुआ देखना चाहते थे लेकिन सेमीफाइनल में वह विपक्षी पहलवान से पार नहीं पा सके। ऐसे में शनिवार को उनका कांस्य पदक के लिए मुकाबला था। इसलिए मुकाबले की शुरुआत से बेटे की कुश्ती देखनी शुरू कर दी। बजरंग ने जब मेडल जीता तो परिवार वाले खुशी से उछल पड़े। बजरंग की जीत पर घर में जमकर खुशी मनाई गई। उसके पिता बलवान सिंह, भाई हरेंद्र, मां ओमप्यारी, भाभी मोनिका की खुशी का ठिकाना नहीं था और वह अब उसके लौटने पर स्वागत की तैयारी में जुटने की बात कह रहे हैं।

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