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Waqf Law: वक्फ कानून को लेकर मोदी सरकार के 1332 पन्नों के हलफनामे में क्या खास? अब 'सुप्रीम' सुनवाई का इंतजार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिषेक दीक्षित Updated Sat, 26 Apr 2025 08:52 AM IST
सार

केंद्र ने अपने 1,332 पन्नों के हलफनामे में शीर्ष अदालत से कानून की वैधता को चुनौती देने वाली उन याचिकाओं को खारिज करने का आग्रह किया, जिनमें कानून के कुछ प्रावधानों के बारे में शरारतपूर्ण झूठी कहानी गढ़ी गई है। आइए जानते हैं केंद्र के हलफनामें क्या-क्या खास...

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वक्फ कानून पर सरकार का पक्ष - फोटो : Amar Ujala
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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून, 2025 का बचाव करते हुए कहा कि यह कानून स्पष्ट रूप से सांविधानिक आधार पर खड़ा है और किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं करता। केंद्र ने कहा, संसद से पारित ऐसा कानून जो सांविधानिक आधार पर खड़ा हो, उसपर पूर्ण रोक नहीं लगा सकते। केंद्र ने कहा, यह कोर्ट सुनवाई के दौरान याचिकाओं में दी गई चुनौतियों की जांच करेगा, लेकिन यदि याचिकाएं खारिज हो जाती हैं तो सामान्य मामलों में (यहां तक कि मुस्लिम समुदाय के सदस्यों पर भी) ऐसे स्थगन आदेश के प्रतिकूल परिणामों (खासकर कानून की वैधता के संदर्भ में) के बारे में जाने बिना, कानून पर पूर्ण या आंशिक स्थगन देना अनुचित होगा। केंद्र ने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ, जो 5 मई को याचिकाओं पर अंतरिम आदेश देने वाली है, से अनुरोध किया कि कानून के प्रावधानों पर कोई स्थगन न दिया जाए।

केंद्र ने अपने 1,332 पन्नों के हलफनामे में शीर्ष अदालत से कानून की वैधता को चुनौती देने वाली उन याचिकाओं को खारिज करने का आग्रह किया, जिनमें कानून के कुछ प्रावधानों के बारे में शरारतपूर्ण झूठी कहानी गढ़ी गई है। सरकार ने कहा, वक्फ कानून राज्य की विधायी शक्ति का एक वैध और विधिसम्मत उपयोग है, जो वक्फ संस्था को मजबूत करता है। यह कानून वक्फ प्रबंधन को सांविधानिक सिद्धांतों के साथ जोड़ता है और समकालीन समय में वक्फ के समग्र कार्यान्वयन की सुविधा प्रदान करता है।

यह भी पढ़ें- 'हिंदू धार्मिक संस्थानों से वक्फ कानून की तुलना का आधार नहीं', केंद्र ने हलफनामे में क्यों कहा ऐसा?

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है, कानून में संशोधन केवल संपत्तियों के प्रबंधन के संबंध में धर्मनिरपेक्ष पहलू के विनियमन के लिए हुआ है, इसलिए, संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत मिल धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी का यह कानून कोई उल्लंघन नहीं करता। यह संशोधन अधिनियम पूरी तरह से राज्य को मिली हुई नियामकीय शक्ति के अंतर्गत है। सरकार ने कहा कि कानून में सरकारी भूमि की सुरक्षा के लिए विशेष प्रावधान मनमाने नहीं हैं और सार्वजनिक संपत्ति की अखंडता को बनाए रखने के लिए एक सुविचारित विधायी उपाय हैं।
केंद्र ने कहा, कानून में यह तय स्थिति है कि सांविधानिक अदालतें किसी वैधानिक प्रावधान पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रोक नहीं लगाएंगी और विवाद की स्थिति में मामले पर अंतिम फैसला सुनाया जाएगा। सांविधानिक धारणा है जो संसद द्वारा बनाए गए कानूनों पर लागू होती है।

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केंद्र का हलफनामा - फोटो : Amar Ujala

2013 के बाद वक्फ संपत्तियों में 116 फीसदी की चौंकाने वाली वृद्धि
निजी और सरकारी संपत्तियों पर अतिक्रमण करने के लिए वक्फ प्रावधानों के कथित दुरुपयोग का जिक्र करते हुए हलफनामे में कहा गया है कि मुगल काल से पहले, आजादी से पहले और आजादी के बाद के दौर में कुल वक्फ भूमि की संख्या 18,29,163.896 एकड़ थी। चौंकाने वाली बात यह है कि 2013 के बाद वक्फ भूमि में 20,92,072.536 एकड़ की बढ़ोतरी हुई है। यानी 2013 से वक्फ संपत्तियों में 116 प्रतिशत की चौंकाने वाली वृद्धि हुई है।

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Waqf Board - फोटो : अमर उजाला

वक्फ बाय यूजर संपत्तियों के पंजीकरण पर रोक लगाना अदालत से कानून बनाने जैसा
केंद्र ने 8 अप्रैल तक वक्फ बाय यूजर संपत्तियों के आवश्यक पंजीकरण के बारे में दिए गए तर्कों का भी यह कहते हुए विरोध किया कि यदि इस प्रावधान में अंतरिम आदेश के जरिए हस्तक्षेप किया गया, तो यह न्यायिक आदेश के जरिए कानून बनाने की व्यवस्था करने जैसा होगा। केंद्र ने कहा कि किसी वक्फ बाय यूजर संपत्ति के वास्तविक होने का दावा करने के बाद भी संपत्ति यदि पंजीकृत नहीं है तो इस बारे में तर्क देने के लिए अब बहुत देर हो चुकी है।

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किरेन रिजिजू, केंद्रीय मंत्री - फोटो : ANI

वक्फ बोर्डों में मुस्लिमों के अल्पसंख्यक होने को गलत बताया
हलफनामे में केंद्र सरकार ने उन दलीलों का खंडन किया गया है कि कानून में बदलाव के कारण केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में मुसलमान सदस्य अल्पसंख्यक हो सकते हैं। हलफनामे में कहा गया है कि केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों की संरचना में बदलाव अनुच्छेद 26 का उल्लंघन नहीं करता है क्योंकि केंद्रीय वक्फ परिषद में 22 में से कम से कम 18 और वक्फ बोर्डों में 11 में से कम से कम 8 मुस्लिम सदस्य बने रहेंगे।

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वक्फ संशोधन कानून, 2025 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई। - फोटो : PTI

अदालत तक पहुंच सुनिश्चित करता है कानून
सरकार ने कहा, वक्फ संशोधन कानून यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी व्यक्ति को अदालत की पहुंच से वंचित नहीं किया जाए। वक्फ कानून यह भी सुनिश्चित करता है कि नागरिकों के संपत्ति के अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता और सार्वजनिक दान को प्रभावित करने वाले निर्णय निष्पक्षता और वैधता की सीमाओं के भीतर किए जाए। कानून में किए गए संशोधन की मंशा वक्फ प्रबंधन में न्यायिक जवाबदेही, पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना है।

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