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Waqf Law: 'हिंदू धार्मिक संस्थानों से वक्फ कानून की तुलना का आधार नहीं', केंद्र ने हलफनामे में क्यों कहा ऐसा?
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Sat, 26 Apr 2025 08:08 AM IST
सार
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने सुनवाई की थी। इस दौरान केंद्र सरकार को हलफनामा दायर करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया गया था। लोकसभा और राज्यसभा में लंबी बहस के बाद इस महीने की शुरुआत में संसद ने वक्फ संशोधन विधेयक पारित किया था।
केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन कानून 2025 का बचाव करते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कानून को चुनौती देने वाली किसी भी याचिका में व्यक्तिगत मामले में अन्याय की कोई शिकायत नहीं की गई है। ऐसे में ये किसी नागरिक अधिकार का मसला नहीं है। इसलिए इसका हिंदू धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन से तुलना या समानता किए जाने का कोई आधार नहीं बनता।
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वक्फ कानून पर सरकार का पक्ष
- फोटो : Amar Ujala
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने शीर्ष कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा कि वक्फ संशोधन कानून मुस्लिम समाज की बेहतरी और पारदर्शिता के लिए लाया गया कानून है, जिससे किसी सांविधानिक अधिकार का हनन नहीं होता। वक्फ राज्य बोर्डों और राष्ट्रीय परिषद की तुलना चैरिटी से नहीं की जा सकती। वक्फ संशोधन कानून इस बात की पुष्टि करता है कि वक्फ संपत्ति की पहचान, वर्गीकरण और नियमन कानूनी मानकों तथा न्यायिक निगरानी के अधीन होना चाहिए। वक्फ कानून दृढ़ सांविधानिक आधार पर टिका है और नागरिक अधिकारों के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता। इस कानून में अधिकृत वक्फ प्रबंधन के धर्मनिरपेक्ष, प्रशासनिक पहलुओं को वैध रूप से नियमन करने का प्रावधान किया गया है। कानूनी नियमन में इबादत को अछूता छोड़ते हुए मुस्लिम समुदाय की धार्मिक प्रथाओं के सम्मान का ख्याल रखा गया गया है।
वक्फ बोर्डों ने बिना दस्तावेज सरकारी जमीनों पर दावा ठोका
केंद्र ने कहा, इस कानून के प्रावधानों को लागू करने की जरूरत इसलिए उत्पन्न हुई क्योंकि वक्फ बोर्डों ने सिर्फ अपने एकतरफा रिकॉर्ड पर भरोसा करते हुए बिना किसी दस्तावेज, सर्वेक्षण या फैसले के सरकारी भूमि, सार्वजनिक उपयोगिताओं और संरक्षित स्मारकों पर स्वामित्व का दावा ठोक दिया। इन दावों में कई जगह कलेक्टरों के कार्यालय, सरकारी स्कूल, एएसआई-संरक्षित विरासत स्थल और राज्य या नगरपालिका अथॉरिटी में निहित संपत्तियां शामिल थीं। ऐसे कई उदाहरण हैं जो दिखाते हैं कि कैसे वक्फ बाय यूजर और वक्फ बोर्ड द्वारा किसी भी भूमि को वक्फ घोषित करने की शक्ति सरकारी संपत्तियों और निजी संपत्तियां कब्जाने का जरिया बनी हैं।
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सुप्रीम कोर्ट
- फोटो : एएनआई (फाइल)
वक्फ संपत्तियों का प्रशासन धार्मिक कार्य नहीं
केंद्र ने कहा, वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की उपस्थिति अनुच्छेद 26 का उल्लंघन नहीं करती। वक्फ संपत्तियों का प्रशासन अनुच्छेद 26 के तहत संरक्षित धार्मिक कार्य नहीं है। वास्तव में, यह धर्मनिरपेक्ष कार्यों की श्रेणी में आएगा जो कानून के अधीन हैं। वक्फ से जुड़ी धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष गतिविधियों के बीच अंतर किया जाना चाहिए।
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सुप्रीम कोर्ट
- फोटो : ANI
धार्मिक प्रक्रिया में दखल भी नहीं
सरकार ने कहा, वक्फ (संशोधन) अधिनियम स्पष्ट रूप से प्रबंधन के धर्मनिरपेक्ष आयामों (जैसे रिकॉर्ड प्रबंधन, प्रक्रियात्मक सुधार और प्रशासनिक संरचना) तक ही सीमित है, न कि अनुष्ठान, प्रार्थना या मौलिक इस्लामी दायित्वों के किसी मामले में दखल देता है। इसलिए यह अधिनियम, खुद को गैर-आवश्यक प्रथाओं तक सीमित रखते हुए, संविधान द्वारा गारंटीकृत धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने से पूरी तरह दूर रहता है।
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