जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार देशद्रोह क़े आरोपों से इतना ज्यादा चर्चा में हैं कि इन्हें कई पार्टियां अपना चुनावी मोहरा बनाने की तैयारी में हैं। लेकिन कन्हैंया से पहले कभी छात्र नेता रह चुके इन राजनेताओं ने भी संसद तक में अपना लोहा मनवाया है।
छात्र राजनीति से देश की सियासत में चमके ये नेता
1970 में 12वीं की परीक्षा पास करने बाद ही ममता बनर्जी ने राजनीति में उतर चुकी थीं। 1970 में कोलकाता के जोगमाया महिला कॉलेज से स्नातक करने के दोरान ही उन्होंने छात्र संगठन परिषद को मजबूत किया था। यूपीए सरकार में रेल मंत्री रह चुकीं ममता बनर्जी 2011 से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री हैं।
पूर्व केंद्रीय खेल मंत्री और कांग्रेस के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन एक बेहतरीन छात्र नेता भी थे। दिल्ली विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान में बीएससी (ऑनर्स) करने दौरान ही 1985 में दिल्ली छात्र संघ के अध्यक्ष बन गए थे। अजय माकन केंद्रीय गृह राज्यमंत्री भी रह चुके हैं।
भारतीय काम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव और राज्यसभा सांसद सीताराम येचुरी अपने कॉलेज दिनों से ही राजनीति में सक्रिय हो चुके थे। स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया में सदस्य बने और आपातकाल के बाद जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद राजनीत में उनका कद लगातार बढ़ता गया।
असम के नागोन जिले से आने वाले राजनेता प्रफुल्ल कुमार महंता आज की खुद की बनाई पार्टी 'असम गण परिषद' के अध्यक्ष हैं। अपनी ही पार्टी के दम पर दो बार असम के मुख्यमंत्री रह चुके प्रफल्ल कुमार भी एक प्रबल छात्र नेता थे। ऑल असम स्टुडेंट यूनियन के अध्यक्ष रहे चुके हैं।