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UP Politics: क्या फिर भाजपा के साथ आएंगे ओम प्रकाश राजभर? समझें यूपी की सियासत का ताजा समीकरण

रिसर्च डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु मिश्रा Updated Sat, 24 Sep 2022 02:03 PM IST
सार

ओम प्रकाश राजभर की नजदीकियां फिर से भाजपा से बढ़ने के संकेत हैं। राजभर खुले मंच से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ करने लगे हैं। सरकार ने भी उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा उपलब्ध करा दी है। राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि एक बार फिर से दोनों पार्टियां साथ आ सकती हैं। आइए समझते हैं इसके मायने? 

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Will Om Prakash Rajbhar join BJP alliance again? Understand the latest equation of UP politics
तीन दिन पहले ही ओम प्रकाश राजभर ने अपने बेटे के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी। - फोटो : अमर उजाला
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद से राज्य की सियासत में तेजी से बदलाव आया है। विपक्ष के जिन दलों ने एकसाथ मिलकर चुनाव लड़ा था, अब वही एक-दूसरे के खिलाफ हैं। हम बात कर रहे हैं समाजवादी पार्टी और ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की। 


इस वक्त दोनों पार्टियों के नेता एक-दूसरे पर जमकर निशाना साध रहे हैं। इस बीच ओम प्रकाश राजभर की नजदीकियां फिर से भाजपा से बढ़ने के संकेत हैं। राजभर खुले मंच से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ करने लगे हैं। सरकार ने भी उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा उपलब्ध करा दी है। राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि एक बार फिर से दोनों पार्टियां साथ आ सकती हैं। आइए समझते हैं इसके मायने? 
 
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ओम प्रकाश राजभर, अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ। - फोटो : अमर उजाला
क्या है मौजूदा समीकरण, क्यों भाजपा से गठबंधन चाहते हैं राजभर? 
हमने इसके लिए वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह से बात की। उन्होंने कहा, 'ओम प्रकाश राजभर की पार्टी को पहचान 2017 में मिली। तब भाजपा से गठबंधन करके ही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को चार सीटों पर जीत मिली थी। इसके पहले इस पार्टी का कोई खास अस्तित्व नहीं था। इसके बाद योगी आदित्यनाथ की सरकार में ओपी राजभर को कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया और उनके बेटे को भी राज्यमंत्री का दर्जा मिला। यहीं से ओपी राजभर को बड़ी पहचान मिली। इसके बाद ओपी राजभर को लगा कि वह खुद के दम पर काफी कुछ कर सकते हैं। फिर 2022 विधानसभा चुनाव तक उन्होंने भाजपा को डैमेज करने की खूब कोशिश की। समाजवादी पार्टी के साथ आए, मजबूत गठबंधन बनाने की कोशिश की लेकिन फायदा नहीं हुआ।'



 
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ओम प्रकाश राजभर। - फोटो : अमर उजाला
प्रमोद आगे कहते हैं, 'विधानसभा चुनाव के बाद ओपी राजभर को अखिलेश ने एक तरह से किनारे लगा दिया। एमएलसी, राज्यसभा और फिर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति चुनाव तक में नहीं पूछा। ओपी राजभर चाहते थे कि सपा गठबंधन से उनके बेटे को एमएलसी बना दिया जाए, लेकिन अखिलेश ने इससे इंकार कर दिया। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के कई बड़े नेता राजभर का साथ छोड़कर साइकिल की सवारी शुरू कर चुके हैं। इससे ओपी राजभर खौफ में हैं। उन्हें डर है कि उनकी पार्टी ही खत्म हो जाएगी।'
 
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जौनपुर में सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर - फोटो : अमर उजाला
प्रमोद के अनुसार, अब ओपी राजभर जानते हैं कि अगर उन्हें राजनीति में टिकना है तो सत्ता के करीब रहना ही पड़ेगा। इसलिए ओपी राजभर तो फिर से गठबंधन में शामिल होने के लिए बहुत कोशिश कर रहे हैं, लेकिन भाजपा अभी वेट एंड वॉच की स्थिति में है।
 
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सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर - फोटो : अमर उजाला
तो क्या सच में भाजपा से होगा गठबंधन? 
इसे समझने के लिए हमने योगी सरकार में मंत्री और भाजपा यूपी के एक वरिष्ठ नेता से बात की। उन्होंने कहा, 'भाजपा ने अकेले दम पर यूपी में सरकार बनाई है। अभी हमारे साथ अनुप्रिया पटेल और संजय निषाद का मजबूत गठबंधन है। ऐसे में फिलहाल किसी तीसरी पार्टी से गठबंधन की बात नहीं बनती है। हालांकि, ओपी राजभर को लेकर पार्टी काफी संभलकर फैसला लेगी।’ भाजपा नेता ने दावा किया, ‘राजभर ही नहीं, कई छोटे दल और यहां तक की समाजवादी पार्टी के कई विधायक भी हमारे साथ आने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अभी हम ये देख रहे हैं कि उनको साथ लाने से हमें क्या फायदा होगा? पार्टी कई बिंदुओं पर परखने के बाद ही कुछ फैसला लेगी।'

भाजपा नेता आगे कहते हैं, 'सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को लेकर पार्टी के अंदर कई तरह के विचार हैं। चूंकि वह स्थिर नहीं हैं, इसलिए उनको लेकर कोई फैसला लेने से पहले काफी सोच-विचार करने की जरूरत है। अभी 2024 लोकसभा चुनाव में काफी समय है। ऐसे में फिलहाल इसपर फैसला लेना जल्दबाजी होगा।'

 
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