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Ladakh Violence:...तो सुनियोजित थी लद्दाख को अशांत करने की साजिश, कौन थे वो जो नहीं चाहते हल शांतिपूर्ण निकले

अमर उजाला नेटवर्क, जम्मू Published by: शाहरुख खान Updated Thu, 25 Sep 2025 12:37 PM IST
सार

लद्दाख में छठी अनुसूची को लेकर आंदोलन हिंसक हो गया। आगजनी और गोलीबारी में चार प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई। 80 घायल हो गए हैं। कर्फ्यू लगा दिया गया है। तोड़फोड़ और पथराव के बीच प्रदर्शनकारियों ने भाजपा प्रदेश कार्यालय भी फूंक दिया। इसके अलावा कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया। कांग्रेस काउंसलर पर एफआईआर दर्ज की गई है।

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Ladakh Violence Conspiracy External Elements Suspected in Attempt to Destabilize Region Know Details
Ladakh Violence - फोटो : पीटीआई
छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य दर्जे के लिए चल रहे आंदोलन में हिंसा अचानक नहीं भड़की बल्कि यह लद्दाख जैसे शांत क्षेत्र को अस्थिर करने की सुनियोजित साजिश थी। स्थानीय लोगों को इसमें बाहरी तत्वों का हाथ होने की भी आशंका है।


स्थानीय लोगों के अनुसार लद्दाख जैसे संवेदनशील प्रदेश में इससे पहले इस तरह की स्थिति कभी देखने को नहीं मिली। वर्ष 2019 में एकीकृत जम्मू-कश्मीर राज्य से अलग होकर केंद्र शासित प्रदेश बन जाने के बाद से ही लद्दाख के निवासी अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। 
 
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Protests in Ladakh - फोटो : पीटीआई
इनमें स्थानीय युवाओं को सरकारी नौकरियां और रोजगार भी एक बड़ा मुद्दा है। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से इस साल मई में डोमिसाइल नीति लाकर उनके रोजगार संबंधी मसले को हल करने का प्रयास किया गया था लेकिन लोग अलग लद्दाख लोक सेवा आयोग और लद्दाख कर्मचारी चयन आयोग की मांग कर रहे हैं।

 
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Protests in Ladakh - फोटो : पीटीआई
वे लद्दाखी डोमिसाइल नीति से भी संतुष्ट नहीं थे। उनका कहना था कि इसे उस रूप में नहीं दिया गया जैसा वे चाहते थे। भाषा और संस्कृति के संरक्षण के साथ ही अपनी जमीन और संसाधनों पर अपने हक की लड़ाई वे प्रमुखता से लड़ रहे थे। 
 
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Protests in Ladakh - फोटो : पीटीआई
कुछ ही समय पहले इस आंदोलन की बागडोर प्रख्यात पर्यावरणविद सोनम वांगचुक ने अपने हाथ में ली थी और वे लद्दाख को पूर्ण राज्य बनाए जाने व संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे थे।

 
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Protests in Ladakh - फोटो : पीटीआई
बुधवार को भी सब कुछ शांतिपूर्ण चल रहा था लेकिन इसी बीच अचानक कुछ युवाओं ने आकर इस शांतिपूर्ण आंदोलन में खलल डाल दिया। खलल इसलिए क्योंकि लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक मोर्चा (केडीए) के नुमाइंदों की केंद्रीय गृह मंत्रालय से छह अक्तूबर को बैठक तय हो चुकी थी।
 
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