Draupadi Murmu Net Worth: भारत को अपना 15वां राष्ट्रपति मिल गया है। रविवार की शाम रामनाथ कोविंद ने बतौर राष्ट्रपति अपना विदाई भाषण दिया। वहीं सोमवार यानी आज द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली। एनडीए की ओर से द्रौपदी मुर्मू प्रत्याशी थीं, जिनका मुकाबला विपक्ष के यशवंत सिन्हा से था। हालांकि द्रौपदी मुर्मू ने भारी मतों से राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की। इसकी के साथ द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बन गईं। इसके अलावा वह भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति भी हैं। द्रौपदी मुर्मू से पहले श्रीमती प्रतिभा पाटिल को देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त हुआ था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि द्रौपदी मुर्मू कौन हैं? उनका अब तक का जीवन कैसा रहा? देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनने का सफर कैसा था। पारिवारिक और राजनैतिक संघर्षों को पार करते हुए द्रौपदी मुर्मू ने ये पद हासिल किया है। चलिए जानते हैं द्रौपदी मुर्मू लाइफस्टाइल, उनके घर, परिवार के बारे में।
Draupadi Murmu Lifestyle: ऐसी ही द्रौपदी मुर्मू की दिनचर्या, अवसाद से बाहर आने के लिए किया ये काम
द्रौपदी मुर्मू की जीवन परिचय
ओडिशा की आदिवासी महिला नेता और झारखंड की राज्यपाल रह चुकीं द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा में मयूरभंज जिले के एक आदिवासी परिवार में हुआ था। मुर्मू के पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू था। वह गांव के मुखिया हुआ करते थे। उन्होंने गृह जनपद से शिक्षा प्राप्त करने के बाद भुवनेश्वर के रामादेवी महिला महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। बाद में बतौर शिक्षिका अपने करियर की शुरुआत की। परिवार में पति और बेटों को खोया। राजनीति में प्रवेश के बाद पार्षद, विधायक और राज्य सरकार में मंत्री बनी। झारखंड की गवर्नर बनने का मौका मिला।
द्रौपदी मुर्मू की दिनचर्या
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, द्रौपदी मुर्मू एक व्यवस्थित जीवन जीती हैं। वह कितनी भी व्यस्त क्यों न हों, लेकिन सुबह जल्दी उठकर सैर करना, ध्यान और योग करना कभी नहीं भूलतीं। द्रौपदी रोजाना सुबह 3:30 बजे उठ जाती हैं। इसके बाद वह सैर पर जाती हैं। घर पर ही योग करती हैं। समय को लेकर मुर्मू बहुत पाबंद हैं। कहा जाता है कि मुर्मू कभी देरी से नहीं पहुंचतीं।
साथ रखती हैं दो किताबें
द्रौपदी मुर्मू हमेशा अपने साथ दो किताबें साथ रखती हैं। एक ट्रांसलेट और दूसरी भगवान शिव की एक पुस्तिका। वह कहीं भी जाएं तो उन्हें बातचीत में दिक्कत न हो, इसके लिए अनुवाद बुक रहती है। साथ ही उनका ध्यान न टूटे, इसके लिए वह शिव पुस्तिका का पाठ करती रहती हैं।
अवसाद से ऐसे निकलीं बाहर
द्रौपदी मुर्मू के जीवन में एक दौर ऐसा आया जब उनके परिवार के चार सदस्य एक एक कर उन्हें छोड़कर दुनिया से दूर हो गए। उनके तीन बच्चों और पति की मौत से वह पूरी तरह टूट गईं। रिपोर्ट के मुताबिक, द्रौपदी मुर्मू के बड़े बेटे का निधन रहस्यमयी तरीके से हुआ था। उनके निधन के बाद मुर्मू लगभग 6 महीने तक डिप्रेशन में रहीं। लेकिन उन्होंने खुद को इस अवसाद से बाहर निकाला। तीन साल बाद छोटे बेटे की भी मौत हो गई। उसके लगभग एक साल बाद पति भी दुनिया से अलविदा कह गए। सबसे छोटी बेटी का निधन महज तीन साल की उम्र में ही हो गया था। डिप्रेशन से निकलने के लिए वह ध्यान लगाने लगीं।