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Delhi Pollution: पुरुष या महिला, दिल्ली में प्रदूषण का असर किसपर सबसे ज्यादा? रिपोर्ट ने खोली पोल

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Fri, 19 Dec 2025 06:26 PM IST
सार

  • दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का गंभीर दुष्प्रभाव देखा जा रहा है। दिल्ली के लोगों के फेफड़ों में बारीक पार्टिकुलेट मैटर का जमाव भारत के एयर क्वालिटी स्टैंडर्ड के हिसाब से जितना होना चाहिए, उससे लगभग 10 गुना ज्यादा पाया गया है।

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प्रदूषण के कारण होने वाली दिक्कतें - फोटो : Freepik.com

Pollution In Delhi-NCR: राजधानी दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का कहर देखा जा रहा है। पिछले करीब दो महीने से हवा की गुणवत्ता यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) खराब से बेहद खराब स्तर की बनी हुई है। शुक्रवार (19 दिसंबर) को दिल्ली के कई हिस्सों में एक्यूआई 400 से अधिक दर्ज किया गया। प्रदूषित हवा का लोगों की सेहत पर कई प्रकार से नकारात्मक असर हो सकता है, जिसको लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को अलर्ट कर रहे हैं। 



मेडिकल रिपोर्ट्स से पता चलता है कि दिल्ली में बढ़ता वायु प्रदूषण गंभीर स्वास्थ्य संकट बन चुका है। लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेना शरीर के लगभग हर अंग पर नकारात्मक असर डाल रहा है। बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और पहले से बीमार लोग इसकी चपेट में सबसे पहले आते हैं।

प्रदूषित हवा का सबसे ज्यादा नकारात्मक असर किसपर हो रहा है? अगर आपके मन में भी ये सवाल है तो हालिया रिपोर्ट में इस संबंध में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। 

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फेफड़ों में जमा हो रहे प्रदूषक तत्व - फोटो : Freepik.com

प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं पुरुष

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, हवा में मौजूद सूक्ष्म कण जैसे पीएम 2.5 सीधे फेफड़ों और खून में पहुंचकर शरीर के कई अंगों के लिए दिक्कत बढ़ा सकते हैं। दिल्ली जैसे स्थानों पर जहां प्रदूषण का असर ज्यादा है वहां लोगों के फेफड़ों में वायु प्रदूषकों का जमाव भी अधिक देखा जा रहा है। प्रदूषित हवा वैसे तो सभी लोगों के लिए खतरनाक है, पर दिल्ली में इसके कारण पुरुषों की सेहत पर गंभीर असर हो रहा है।

पांच साल तक किए गए एक अध्ययन के अनुसार, दिल्ली में महिलाओं की तुलना में पुरुषों की सेहत पर प्रदूषण का ज्यादा असर देखा जा रहा है। पुरुषों के फेफड़ों में प्रदूषकों का जमाव भी अधिक पाया गया है।

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वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव - फोटो : Adobe Stock

अध्ययन में क्या पता चला?

दिल्ली की नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने नोएडा की एक एनवायरनमेंटल कंसल्टेंसी की टीम के साथ प्रदूषण के कारण होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में अध्ययन किया। 

'रेस्पिरेटरी डिपोजिशन ऑफ पार्टिकुलेट मैटर इन दिल्ली' नाम के इस पेपर में टीम ने 2019 से 2023 के बीच दिल्ली भर के 39 एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों से डेटा का एनालिसिस रिपोर्ट प्रकाशित किया है। इसमें पाया गया है कि हवा में मौजूद हानिकारक तत्वों के फेफड़ों में जमा होने के मामले महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक थे।

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फेफड़ों की बढ़ती समस्याएं - फोटो : Adobe stock

पुरुषों के फेफड़ों में प्रदूषक तत्वों का जमाव अधिक

शोध के अनुसार बैठे रहने के दौरान पुरुषों के फेफड़ों में महिलाओं की तुलना में पीए2.5 का जमाव लगभग 1.4 गुना और पीएम 10 का जमाव लगभग 1.34 गुना ज्यादा पाया गया।

वहीं चलते समय पुरुष ज्यादा प्रदूषक तत्व सांस के माध्यम से अंदर लेते हैं, जिसमें पीए2.5 और पीएम10 का फेफड़ों में जमाव महिलाओं की तुलना में लगभग 1.2 गुना ज्यादा था। यह अंतर पुरुषों में ज्यादा सांस लेने की मात्रा और एयरफ्लो से जुड़ा है, जिससे ज्यादा प्रदूषित हवा फेफड़ों में जाती है।

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वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों को लेकर अध्ययन - फोटो : Freepik.com

रिपोर्ट ने बढ़ाई चिंता

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर माने गए साइंटिफिक मॉडल का इस्तेमाल करके शोधकर्ताओं ने सिर्फ हवा में मौजूद प्रदूषण को मापने के बजाय, यह भी कैलकुलेट किया कि कितना पार्टिकुलेट मैटर असल में फेफड़ों के अलग-अलग हिस्सों में जाता है और जमा होता है।

अध्ययनकर्ताओं ने कहा, दिल्ली के लोगों के फेफड़ों में बारीक पार्टिकुलेट मैटर का जमाव भारत के एयर क्वालिटी स्टैंडर्ड के हिसाब से जितना होना चाहिए, उससे लगभग 10 गुना ज्यादा था। वहीं  वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) की गाइडलाइंस के तहत अनुमानित लेवल से लगभग 40 गुना ज्यादा था।

विशेषज्ञों ने कहा, ये सेहत के लिहाज से बहुत गंभीर संकेत है और भविष्य में फेफड़े और सांस के मरीजों की संख्या में भारी उछाल आने की आशंका है।



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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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