उम्र कहने को भले ही एक आंकड़ा है, लेकिन इस बढ़ते आंकड़े का असर शरीर और दिमाग दोनों पर होता है। बढ़ती उम्र के साथ प्राकृतिक तौर पर मिली शारीरिक और मानसिक शक्तियां धीरे-धीरे कम होती जाती हैं। यह भी एक सहज प्रक्रिया है। यदि आप सही और संतुलित जीवन नहीं जीते, तो उम्र के ये निशान समय से पहले भी नजर आ सकते हैं। लेकिन कई बार आपने ऐसे लोगों को देखा होगा, जो उम्र के इस बढ़ते असर से बेफिक्र जीवन जीते हैं। ऐसे लोगों पर बढ़ती उम्र खास फर्क नहीं डालती। इसके बिल्कुल विपरीत कुछ लोग उम्र के बढ़ने के ख्याल से ही इस तरह परेशान हो जाते हैं कि वे मानसिक रूप से कई उलझनों के शिकार हो जाते हैं। मिडलाइफ क्राइसिस यानी उम्र के 45 से 65वें पड़ाव पर दिमाग को उलझाने वाली स्थिति। जब इंसान को अपनी उम्र और इससे जुड़ी स्थितियों को लेकर हताशा, चिड़चिड़ापन, एंग्जायटी आदि जैसे अनुभव होने लगते हैं। जरूरी नहीं कि यह हर व्यक्ति के साथ हो ही, लेकिन जिनके साथ होती है, उन्हें इससे समय रहते न निकाला जाए तो डिप्रेशन की घातक स्थिति भी बन सकती है। इसलिए मिडलाइफ क्राइसिस को लेकर सही कदम उठाना बहुत जरूरी है।
मिडलाइफ क्राइसिस: क्या आप भी हैं इस समस्या के शिकार? इन 15 लक्षणों को न करें नजरअंदाज
ये हो सकते हैं लक्षण
कई बार ऐसा भी होता है कि आपने अगर जीवन में शादी, करियर, परिवार सब कम उम्र में पा लिया तो मिडलाइफ क्राइसिस 40 साल के होने से पहले ही आ जाए, लेकिन ऐसा कम होता है। इस समस्या के मुख्य लक्षणों में शामिल हैं-
- जिंदगी को लेकर असंतुष्टि होने लगना
- निराशा और अवसाद की स्थिति बनना
- आगे जीवन मे क्या करना है यह नहीं सूझना
- खुद पर विश्वास न होना
- बदलती जिम्मेदारियों और भूमिकाओं को लेकर चिड़चिड़ापन और गुस्सा आना
- फ्रस्ट्रेशन और कुंठा का पनपना
- बदनदर्द, पेट दर्द, वजन बढ़ना, बार बार बीमार पड़ना, आदि
- खाने-पीने, सोने आदि के रूटीन में परिवर्तन
- दिनभर थकान महसूस करना
- रिश्तों, करियर आदि में उदासीनता और असंतुष्टि का बने रहना
- जिंदगी को खत्म कर लेने के बारे में सोचने लगना
- किसी भी गतिविधि में भाग लेने के लिए उत्साह की कमी होना, अपनी रुचियों से दूरी बनाना, कोई मोटिवेशन महसूस न करना
- बार-बार व्यवहार का बदलना
- आने वाले दिनों को लेकर घबराहट
- अपने शरीर पर आने वाले उम्र के निशानों को लेकर निराश होना, आदि
जिंदगी खत्म नहीं होती
उम्र के बढ़ने का मतलब जिंदगी या लक्ष्यों के खत्म हो जाना नहीं हो जाता। यह तो एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसे होना ही है। ऐसे में कुछ बातों पर गौर करके आप हर उम्र में खुद को खुश रखना सीख सकते हैं। ये छह बातें हैं-
- सबसे पहले इस तथ्य को दिमाग मे बैठाएं कि उम्र तो बढ़ेगी ही। आपको बस उसके हिसाब से खुद को ज्यादा से ज्यादा फिट रखने और खुश रखने का प्रयास करना है। इसके लिए एक्सरसाइज का रूटीन बनाएं। जो भी एक्सरसाइज आपको अच्छी लगती है, उसे शुरू करें। अगर 40 साल की उम्र तक आपने एक्सरसाइज शुरू नहीं की है तो भी अब कीजिए। यकीन मानिए, एक्सरसाइज जब भी शुरू करेंगे, आपकी सेहत पर उसका अच्छा प्रभाव पड़ेगा। एक्सरसाइज से आपके दिल, पाचन तंत्र, हड्डियों, मसल्स आदि को तो मजबूती मिलेगी ही, आप एंग्जायटी, स्ट्रेस जैसी स्थितियों से भी बाहर आ पाएंगे। इससे आपका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।