Mallikarjun Kharge Health News: कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को कुछ स्वास्थ्य समस्याओं के चलते बुधवार (1 अक्तूबर) को बंगलूरू के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जांच के बाद डॉक्टर्स की टीम ने दिल की धड़कन से संबंधित समस्याओं का निदान किया और पेसमेकर लगाने की सलाह दी। उनके बेटे और कर्नाटक में मंत्री प्रियांक खरगे ने देर शाम जानकारी दी कि पेसमेकर लगाने की प्रक्रिया सफलापूर्वक पूरी हो गई है और अब वह स्वस्थ हैं।
Mallikarjun kharge: क्या होता है पेसमेकर और क्या है इसका काम? मल्लिकार्जुन खरगे की हुई है पेसमेकर सर्जरी
- कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की 1 अक्तूबर को सर्जरी हुई और पेसमेकर लगाया गया।
- पेसमेकर एक छोटा सा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होता है, जिसे छाती के अंदर लगया जाता है। इसका काम है दिल की धड़कन को नियंत्रित करना। ये हृदय को विद्युत आवेग भेजकर धड़कनों की लय को नियंत्रित करता है।
पहले जान लेते हैं कि पेसमेकर क्या होता है?
पेसमेकर एक छोटा सा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जिसे छाती के अंदर लगया जाता है। इसका काम है दिल की धड़कन को नियंत्रित करना। ये हृदय को विद्युत आवेग भेजकर धड़कनों की लय को नियंत्रित करता है। आमतौर पर जब हृदय बहुत धीमी या अनियमित हो जाती है और इसे सामान्य तरीके से मैनेज करना कठिन होता है तो डॉक्टर पेसमेकर की सलाह देते हैं।
ब्रैडीकार्डिया (धीमी हृदय गति), टैकीकार्डिया (तेज या अनियमित हृदय गति) और हृदय गति रुकने जैसी स्थितियों को ठीक करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। इस उपकरण में एक जनरेटर, तार और सेंसर होते हैं और इसे कॉलरबोन के पास त्वचा के नीचे एक छोटे से चीरे के माध्यम से प्रत्यारोपित किया जाता है।
पेसमेकर की जरूरत कब होती है?
डॉक्टर बताते हैं, पेसमेकर केवल उन लोगों को लगाया जाता है जिनके दिल की धड़कन सामान्य रूप से काम नहीं कर रही होती।
ब्रैडीकार्डिया की स्थिति में जब दिल की धड़कन 60 बीट प्रति मिनट या इससे कम हो जाती है और शरीर खुद इसे कंट्रोल नहीं कर पाता है तो ये उपकरण लगाया जा सकता है। धड़कन कम होने से मरीज को चक्कर, थकान, सांस लेने में तकलीफ और बेहोशी जैसी समस्या हो सकती है।
हार्ट ब्लॉकेज जैसी स्थिति में जब हृदय के ऊपरी और निचले हिस्से के बीच विद्युत संकेत बहुत धीमे पहुंचते हैं तो इससे दिल की पंपिंग क्षमता पर असर पड़ता है, ऐसी स्थिति में भी पेसमेकर लगाने की सलाह दी जा सकती है।
इसके अलावा जिन मरीजों को अचानक हार्ट अटैक या दिल की धड़कन रुकने का खतरा अधिक होता है, उन्हें भी पेसमेकर लगाया जाता है।
ये उपकरण काम कैसे करता है?
पेसमेकर का काम बहुत ही स्मार्ट तरीके से होता है। पेसमेकर हृदय की विद्युत गतिविधि को महसूस करके और उसकी लय को नियंत्रित करने के लिए विद्युत आवेग भेजकर काम करता है।
पेसमेकर लगातार दिल की धड़कन पर नजर रखता है। जब यह देखता है कि दिल की धड़कन सामान्य है तो यह कोई सिग्नल नहीं भेजता। लेकिन जैसे ही धड़कन बहुत धीमी हो जाती है या रुकने लगती है, पेसमेकर तुरंत इलेक्ट्रिकल पल्स दिल की मांसपेशियों को भेजता है। इससे दिल सिकुड़ता है और धड़कन फिर से सामान्य होने लगती है।
कुछ पेसमेकर केवल धीमी धड़कन को ठीक करते हैं, जबकि आधुनिक पेसमेकर डुअल चेंबर वाले होते हैं। ये न केवल धड़कन को नियंत्रित करते हैं बल्कि दोनों वेंट्रिकल्स को एक साथ पंप करने में मदद करते हैं। इससे खून का प्रवाह और भी बेहतर हो जाता है।
इन सावधानियों के बारे में जानना जरूरी
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हार्ट की रिपोर्ट के अनुसार पेसमेकर की बैटरी आमतौर पर 7 से 10 साल तक चलती है। यह उपकरण पूरी तरह सुरक्षित होता है और मरीज को सामान्य जीवन जीने में मदद करता है। पेसमेकर वाले मरीजों को बहुत तेज चुंबकीय तरंगों जैसे एमआरआई मशीन या कुछ इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से बचकर रहने की भी सलाह दी जाती है।
हाल ही में र्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के इंजीनियरों ने एक ऐसा पेसमेकर विकसित किया है जो इतना छोटा है कि इसे सिरिंज की नोक के अंदर फिट किया जा सकता है। इसके अलावा बिना किसी सर्जरी या चीर-फाड़ के आसानी से शरीर में इंजेक्ट भी किया जा सकता है। पूरी रिपोर्ट यहां पढ़ सकते हैं।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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