Polycystic Ovary Syndrome: आज की तेज रफ्तार और तनावपूर्ण जीवनशैली में महिलाओं की सेहत से संबंधित कई समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) भी ऐसी ही एक समस्या है। भारत में हर 5 में से 1 महिला इस स्थिति से जूझ रही है, और ये आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
Health Alert: सभी महिलाएं ध्यान दें, चुपचाप बढ़ता जा रहा है इस बीमारी का खतरा; अभी से हो जाइए सावधान
दुनियाभर में 60-70% प्रभावित महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) का निदान नहीं हो पाता है, जबकि प्रजनन-आयु वर्ग की अनुमानित 8-13 प्रतिशत महिलाएं पीसीओएस का शिकार होती हैं। आप भी तो इसका शिकार नहीं हैं?
दुनियाभर में बढ़ता जा रहा है इस रोग का खतरा
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं अधिकतर लोगों में इस रोग का समय पर पता ही नहीं चल पाता। दुनियाभर में 60-70% प्रभावित महिलाओं में इसका निदान नहीं हो पाता है, जबकि प्रजनन-आयु वर्ग की अनुमानित 8-13 प्रतिशत महिलाएं पीसीओएस का शिकार होती हैं। पीसीओएस में मासिक धर्म से संबंधित दिक्कतों के कारण प्रजनन क्षमता पर भी नकारात्मक असर हो सकता है इसलिए जरूरी है कि समय रहते इसके लक्षणों की पहचान और उपचार किया जाए।
आइए पीसीओएस में होने वाली समस्याओं के बारे में जानते हैं।
पीसीओएस के कारण होने वाली समस्याएं
पीसीओएस कई प्रकार की जटिलताएं बढ़ाने वाली दिक्कत है। पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को कई प्रकार के लक्षणों का अनुभव हो सकता है, जो हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं।
अनियमित मासिक धर्म की समस्या से लेकर चेहरे या शरीर पर अत्यधिक बाल आने, मुंहासे की दिक्कत और बालों का झड़ने (एलोपेसिया) की समस्या इसका आम लक्षण हैं। ये प्रजनन क्षमता में कमी, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं (तनाव, चिंता और अवसाद) और वजन बढ़ने का खतरा भी बढ़ा देती है।
मासिक धर्म की दिक्कत
मासिक धर्म में होने वाली समस्याओं के कई कारण हो सकते हैं, पर अगर बार-बार आपको ये दिक्कत बनी रहती है तो इसको लेकर गंभीरता से ध्यान देना और डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी हो जाता है। मासिक धर्म अगर बार-बार या सामान्य अवधि से अधिक समय तक बना रहता है तो इसे पीसीओएस की दिक्कत माना जा सकता है। पीसीओएस की समस्या पर ध्यान न दिया जाए तो इसके कारण गर्भधारण की दिक्कतें भी हो सकती है।
पीसीओएस हो जाए तो क्या करें?
जिन महिलाओं को पीसीओएस की समस्या है, उन्हें डॉक्टरी सलाह के साथ अपने खान-पान और लाइफस्टाइल में भी सुधार करना चाहिए।
- सबसे जरूरी है संतुलित आहार अपनाएं- फाइबर और प्रोटीन से भरपूर डाइट लें जिसमें खूब सारी फल-सब्जियां, साबुत अनाज हो।
- प्रोसेस्ड फूड, मीठा और फास्ट फूड से बचें। इसका सेहत पर नकारात्मक असर होता है।
- आहार में लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ चुनें। इससे शुगर भी बढ़ता है पीसीओएस की भी दिक्कतें बढ़ती हैं।
- हफ्ते में कम से कम 150 मिनट व्यायाम करें। शारीरिक रूप से सक्रिय रहना पीसीओएस के लक्षणों को कम करने में मददगार है।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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