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Health Alert: ये आदत मस्तिष्क को समय से पहले बना रही बूढ़ा, कम उम्र में ही होने लगीं बुजुर्गों वाली बीमारियां

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Fri, 03 Oct 2025 11:33 AM IST
सार

  • विशेषज्ञ कहते हैं, जो लोग अच्छी या पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं, उनके मस्तिष्क के समय से पहले बूढ़ा होने का खतरा हो सकता है, जो उनके शरीर के बाकी हिस्सों की तुलना में तेजी से बढ़ता है। 
  • सभी वयस्कों को रोजाना कम से कम 7-9 घंटे की नींद लेनी चाहिए

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समय से पहले बूढ़ा हो रहा है मस्तिष्क - फोटो : Freepik.com
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Brain Health: मस्तिष्क हमारे शरीर का मास्टर है, यही बताता है कि हमें किस समय क्या करना है, कैसे करना है और क्या नहीं करना है? मसलन पूरे शरीर को संचालित करने में इसकी सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, जिस तरह से लोगों की दिनचर्या और खान-पान गड़बड़ हो गया है इसका असर मस्तिष्क की सेहत पर सीधे तौर पर देखा जा रहा है। न सिर्फ कम उम्र के लोगों में ब्रेन से संबंधित समस्याएं बढ़ गई हैं बल्कि कुछ आदतों के कारण हमारा मस्तिष्क समय से पहले ही बूढ़ा भी होता जा रहा है।

आजकल की तेज रफ्तार जिंदगी में नींद हमारी सबसे बड़ी कुर्बानी बन गई है। काम का दबाव, मोबाइल-लैपटॉप पर लंबा समय बिताना और बदलती जीवनशैली के कारण लोग देर रात तक जागते रहते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि यह आदत मस्तिष्क की सेहत पर भारी पड़ रही है। 

विशेषज्ञ मानते हैं कि नींद हमारे दिमाग के लिए मरम्मत का काम करती है। जब हम सोते हैं, तब मस्तिष्क दिनभर की जानकारी को व्यवस्थित करता है, जरूरी चीजों को याद रखने में मदद करता है और शरीर को मानसिक ऊर्जा देता है। हालांकि जिन लोगों की नींद अक्सर बाधित रहती है उनका मस्तिष्क समय से पहले बूढ़ा होता देखा गया है। 

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नींद न पूरी होने की समस्या - फोटो : Freepik.com

नींद की कमी समय से पहले दिमाग को बना रही है बूढ़ा

नेशनल स्लीप फाउंडेशन की रिपोर्ट कहती है कि सभी वयस्कों को रोजाना कम से कम 7-9 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए, जबकि किशोरों और बच्चों को इससे भी ज्यादा नींद की जरूरत होती है। लेकिन आजकल लोग औसतन सिर्फ 5-6 घंटे ही सो पा रहे हैं। इसका सीधा असर याददाश्त, ध्यान और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।

द लैंसेट डिस्कवरी साइंस, ईबायोमेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने खराब नींद को समय से पहले मस्तिष्क की उम्र बढ़ाने वाला बताया है। 

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मस्तिष्क से संबंधित समस्याओं का खतरा - फोटो : Freepik.com

विशेषज्ञ कहते हैं, जो लोग अच्छी या पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं, उनके मस्तिष्क के समय से पहले बूढ़ा होने का खतरा हो सकता है, जो उनके शरीर के बाकी हिस्सों की तुलना में तेजी से बढ़ता है। नींद की गड़बड़ी उम्र के कारण होने वाली तंत्रिकाओं की बीमारियों का खतरा भी कम उम्र में बढ़ा देती है।

अध्ययन में क्या पता चला?

इसके लिए शोधकर्ताओं ने 27,000 से अधिक वयस्कों की जांच की और मस्तिष्क की उम्र का अनुमान लगाने के लिए ब्रेन स्कैन का उपयोग किया। जिन लोगों की नींद मध्यम स्तर की या खराब थी यानी रोजाना 6 घंटे से कम थी उनका मस्तिष्क उनकी असल उम्र से अधिक बूढ़ा हो गया था। मध्यम नींद वाले लोगों का मस्तिष्क 0.6 वर्ष बूढ़ा, जबकि जिनकी नींद बहुत खराब थी उनका मस्तिष्क उनकी जैविक उम्र से एक वर्ष से अधिक बूढ़ा देखा गया।

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ब्रेन की समस्याएं - फोटो : Freepik.com

कम नींद लेने के नुकसान

शोधकर्ताओं ने पाया कि नींद की कमी से क्रॉनिक इंफ्लेमेशन यानी सूजन का खतरा बढ़ जाता है, जो मस्तिष्क की उम्र बढ़ने का प्रमुख कारण था। अपर्याप्त नींद और मस्तिष्क की उम्र बढ़ने के बीच लगभग 10 प्रतिशत संबंध सूजन से जुड़ा है, जो मस्तिष्क की कोशिकाओं यानी न्यूरॉन्स को प्रभावित करती है। नींद की कमी समय साथ मस्तिष्क की कोशिकाओं के  क्षतिग्रस्त होने का कारण बनती है जिससे मस्तिष्क की उम्र तेजी से बढ़ती है। 

वैज्ञानिकों का कहना है कि नींद की कमी मस्तिष्क में हानिकारक प्रोटीन जमा कर देती है, जिससे अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। ये बीमारियां 65 के उम के बाद अधिक होती हैं पर अब 50 वालों में भी हो रही हैं।

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बीमारियों का बढ़ता खतरा - फोटो : Freepik.com

न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का खतरा

लंबे समय तक नींद की कमी सिर्फ थकान और तनाव ही नहीं लाती, बल्कि गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का कारण भी बन सकती है। रिसर्च बताती है कि नींद के दौरान मस्तिष्क ग्लिम्फेटिक सिस्टम एक्टिव करता है, जो हानिकारक टॉक्सिन और अपशिष्ट पदार्थों को साफ करता है। अगर नींद कम हो, तो ये हानिकारक पदार्थ जमा होने लगते हैं, जिससे कई बीमारियों का खतरा हो सकता है। 

जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस के शोध के अनुसार, लगातार नींद की कमी वाले लोगों में स्ट्रोक, डिमेंशिया और पार्किंसन जैसी बीमारियों का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है। 



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स्रोत
Poor sleep health is associated with older brain age: the role of systemic inflammation


अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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