Brain Health: मस्तिष्क हमारे शरीर का मास्टर है, यही बताता है कि हमें किस समय क्या करना है, कैसे करना है और क्या नहीं करना है? मसलन पूरे शरीर को संचालित करने में इसकी सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, जिस तरह से लोगों की दिनचर्या और खान-पान गड़बड़ हो गया है इसका असर मस्तिष्क की सेहत पर सीधे तौर पर देखा जा रहा है। न सिर्फ कम उम्र के लोगों में ब्रेन से संबंधित समस्याएं बढ़ गई हैं बल्कि कुछ आदतों के कारण हमारा मस्तिष्क समय से पहले ही बूढ़ा भी होता जा रहा है।
Health Alert: ये आदत मस्तिष्क को समय से पहले बना रही बूढ़ा, कम उम्र में ही होने लगीं बुजुर्गों वाली बीमारियां
- विशेषज्ञ कहते हैं, जो लोग अच्छी या पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं, उनके मस्तिष्क के समय से पहले बूढ़ा होने का खतरा हो सकता है, जो उनके शरीर के बाकी हिस्सों की तुलना में तेजी से बढ़ता है।
- सभी वयस्कों को रोजाना कम से कम 7-9 घंटे की नींद लेनी चाहिए
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नींद की कमी समय से पहले दिमाग को बना रही है बूढ़ा
नेशनल स्लीप फाउंडेशन की रिपोर्ट कहती है कि सभी वयस्कों को रोजाना कम से कम 7-9 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए, जबकि किशोरों और बच्चों को इससे भी ज्यादा नींद की जरूरत होती है। लेकिन आजकल लोग औसतन सिर्फ 5-6 घंटे ही सो पा रहे हैं। इसका सीधा असर याददाश्त, ध्यान और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।
द लैंसेट डिस्कवरी साइंस, ईबायोमेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने खराब नींद को समय से पहले मस्तिष्क की उम्र बढ़ाने वाला बताया है।
विशेषज्ञ कहते हैं, जो लोग अच्छी या पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं, उनके मस्तिष्क के समय से पहले बूढ़ा होने का खतरा हो सकता है, जो उनके शरीर के बाकी हिस्सों की तुलना में तेजी से बढ़ता है। नींद की गड़बड़ी उम्र के कारण होने वाली तंत्रिकाओं की बीमारियों का खतरा भी कम उम्र में बढ़ा देती है।
अध्ययन में क्या पता चला?
इसके लिए शोधकर्ताओं ने 27,000 से अधिक वयस्कों की जांच की और मस्तिष्क की उम्र का अनुमान लगाने के लिए ब्रेन स्कैन का उपयोग किया। जिन लोगों की नींद मध्यम स्तर की या खराब थी यानी रोजाना 6 घंटे से कम थी उनका मस्तिष्क उनकी असल उम्र से अधिक बूढ़ा हो गया था। मध्यम नींद वाले लोगों का मस्तिष्क 0.6 वर्ष बूढ़ा, जबकि जिनकी नींद बहुत खराब थी उनका मस्तिष्क उनकी जैविक उम्र से एक वर्ष से अधिक बूढ़ा देखा गया।
कम नींद लेने के नुकसान
शोधकर्ताओं ने पाया कि नींद की कमी से क्रॉनिक इंफ्लेमेशन यानी सूजन का खतरा बढ़ जाता है, जो मस्तिष्क की उम्र बढ़ने का प्रमुख कारण था। अपर्याप्त नींद और मस्तिष्क की उम्र बढ़ने के बीच लगभग 10 प्रतिशत संबंध सूजन से जुड़ा है, जो मस्तिष्क की कोशिकाओं यानी न्यूरॉन्स को प्रभावित करती है। नींद की कमी समय साथ मस्तिष्क की कोशिकाओं के क्षतिग्रस्त होने का कारण बनती है जिससे मस्तिष्क की उम्र तेजी से बढ़ती है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि नींद की कमी मस्तिष्क में हानिकारक प्रोटीन जमा कर देती है, जिससे अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। ये बीमारियां 65 के उम के बाद अधिक होती हैं पर अब 50 वालों में भी हो रही हैं।
न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का खतरा
लंबे समय तक नींद की कमी सिर्फ थकान और तनाव ही नहीं लाती, बल्कि गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का कारण भी बन सकती है। रिसर्च बताती है कि नींद के दौरान मस्तिष्क ग्लिम्फेटिक सिस्टम एक्टिव करता है, जो हानिकारक टॉक्सिन और अपशिष्ट पदार्थों को साफ करता है। अगर नींद कम हो, तो ये हानिकारक पदार्थ जमा होने लगते हैं, जिससे कई बीमारियों का खतरा हो सकता है।
जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस के शोध के अनुसार, लगातार नींद की कमी वाले लोगों में स्ट्रोक, डिमेंशिया और पार्किंसन जैसी बीमारियों का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है।
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स्रोत
Poor sleep health is associated with older brain age: the role of systemic inflammation
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