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ICU Admission: किन मरीजों को आईसीयू में भर्ती करना है, किन्हें नहीं? स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की नई गाइडलाइन

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Tue, 02 Jan 2024 05:05 PM IST
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Union Health Ministry recent guidelines on ICU admissions when should patients admit in ICU
आईसीयू बेड की किन्हें हो सकती है जरूरत - फोटो : istock

देश में पहली बार, सरकार ने अस्पतालों को इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) के तहत इलाज के लिए मरीज की जरूरतों के आधार पर निर्णय लेने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। अधिकांश विकसित देशों में मरीजों के परीक्षण के लिए प्रोटोकॉल हैं ताकि संसाधनों का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग किया जा सके।



आईसीयू में मरीजों की भर्ती को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नए दिशानिर्देश जारी किए हैं जिसमें कहा गया है कि अस्पताल में गंभीर रूप से बीमार मरीजों को उनके और उनके रिश्तेदारों द्वारा इनकार करने की स्थिति में आईसीयू में भर्ती नहीं किया जा सकता है। 

आईसीयू प्रवेश के संबंध में ये दिशानिर्देश क्रिटिकल केयर मेडिसिन में विशेषज्ञता वाले 24 शीर्ष डॉक्टरों के एक पैनल द्वारा तैयार किए गए हैं। पैनल ने उन चिकित्सीय स्थितियों की एक सूची बनाई है जिनके तहत मरीज को आईसीयू में रखने की जरूरत होती है। 

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Union Health Ministry recent guidelines on ICU admissions when should patients admit in ICU
आईसीयू वार्ड - फोटो : Social media

शीर्ष डॉक्टरों के एक पैनल ने तैयार किए दिशा-निर्देश

गौरतलब है कि विशेष निगरानी की आवश्यकता वाले किसी भी रोगी के लिए गंभीर बीमारी के मामलों में आईसीयू देखभाल की भी सिफारिश की जाती है। पैनल में शामिल विशेषज्ञों में से एक ने कहा कि आईसीयू एक सीमित संसाधन है, हर किसी को इसमें भर्ती करने से, जरूरत पड़ने पर अति आवश्यक मामलों में रोगियों को बेड नहीं मिल पाते हैं, इसलिए ये दिशा निर्देश जरूरी हैं। इससे मरीज के परिजनों और अस्पताल प्रशासन के बीच पारदर्शिता भी बढ़ेगी।

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रोगियों की स्थिति के आधार पर आईसीयू में दें भर्ती - फोटो : iStock

किन्हें आईसीयू में भर्ती करना है, किन्हें नहीं?

इस संबंध में जारी गाइडलाइंस में स्पष्ट किया गया है कि गंभीर या असाध्य रूप से बीमार रोगियों का अस्पताल में यदि उपचार संभव या उपलब्ध नहीं है और चिकित्सा जारी रखने से भी रोगी के जीवित रहने पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, तो ऐसे रोगियों को आईसीयू में नहीं रखा जाना चाहिए।

पैनल ने कहा है, कुछ स्थितियां ऐसी हैं जिसमें रोगी को आईसीयू में रखा जाना बहुत जरूरी हो जाता है। ऐसे मामलों में जहां सर्जरी के बाद हालत खराब हो जाती है या जिन रोगियों को बड़ी सर्जरी के बाद जटिलताओं का खतरा हो सकता है उन्हें आईसीयू में भर्ती किया जाना आवश्यक है।

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आईसीयू एडमिशन - फोटो : Pixabay

प्राथमिकता वाले रोगियों को आईसीयू उपलब्ध कराने पर जोर

पैनल का कहना है, जिन लोगों को आईसीयू की सबसे ज्यादा जरूरत है उन्हें यह प्राथमिकता पर मिले, ये सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है। भारत में आईसीयू बेड्स सीमित हैं इसलिए इनके उपयोग को लेकर नियम स्पष्ट होने जरूरी हैं। गौरतलब है कि भारत में आईसीयू बेड अधिकांश निजी अस्पतालों और बड़े शहरों में स्थित हैं। गरीब लोग जो निजी अस्पतालों का खर्च वहन नहीं कर सकते, उन्हें आईसीयू बेड पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।

इसके अलावा आईसीयू बेड की प्रतीक्षा कर रहे रोगी की रक्तचाप, पल्स रेट, श्वसन दरऔर पैटर्न, हृदय गति, ऑक्सीजन की स्थिति और न्यूरोलॉजिकल स्थिति पर डॉक्टरों को गंभीरता से निगरानी करनी चाहिए।

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आईसीयू के दिशानिर्देश - फोटो : istock

इलाज कर रहे डॉक्टर करें चयन

दिशानिर्देशों में कहा गया है कि किसी मरीज को आईसीयू में भर्ती करने का मानदंड आर्गन फेलियर या चिकित्सा स्थिति में गिरावट की आशंका पर आधारित होना चाहिए। मरीज की चेतना का बदला हुआ स्तर, हेमोडायनामिक अस्थिरता, श्वसन सहायता जैसे ऑक्सीजन की आवश्यकता या बीमारी के बिगड़ने की आशंका में आईसीयू में प्रवेश जरूरी हो जाता है।

पैनल ने स्पष्ट किया है कि ये दिशानिर्देश बाध्यकारी नहीं हैं, केवल मार्गदर्शन के लिए हैं। आईसीयू में प्रवेश और डिस्चार्ज के मानदंड व्यापक प्रकृति के हैं और काफी हद तक इलाज करने वाले डॉक्टर इसका निर्णय ले सकते हैं। ये उनके विवेक पर ही छोड़ा जाना चाहिए।


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स्रोत और संदर्भ
INTENSIVE CARE UNIT ADMISSION AND DISCHARGE CRITERIA

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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