सिकल सेल रोग वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है, ये रक्त को प्रभावित करने वाली बीमारी है। इस रोग के कारण रक्त कोशिकाओं के भीतर हीमोग्लोबिन का स्तर प्रभावित होने लगता है। सिकल सेल रोग (एससीडी) सबसे आम वंशानुगत रक्त विकार है। रक्त वाहिकाओं में हीमोग्लोबिन की मात्रा महत्वपूर्ण है, इसी की मदद से आपके पूरे शरीर में ऑक्सीजन का संचार होता है। एससीडी के शिकार लोगों को कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम हो सकता है।
Sickle Cell Awareness: भारत के आदिवासी इलाकों में सिकल सेल रोग बड़ा खतरा, बचपन में ही दिखने लगते हैं लक्षण
एनीमिया और सिकल सेल एनीमिया में क्या अंतर है?
सिकल सेल रोग कई अलग-अलग प्रकार के सिकल सेल विकारों के लिए प्रयोग किया जाने वाला अंब्रेला टर्म है। एससीडी की गंभीर स्थिति को सिकल सेल एनीमिया के रूप में जाना जाता है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि सिकल सेल रोग लगभग एक लाख अमेरिकियों को प्रभावित करता है। भारत में भी इस रोग का जोखिम अधिक देखा जा रहा है।
भारत के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में जिन स्वास्थ्य समस्याओं का बोझ सबसे अधिक देखा जाता रहा है, सिकल सेल एनीमिया की समस्या उनमें शीर्ष पर है।
2047 तक राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन का लक्ष्य
सिकल सेल रोग के बढ़ते जोखिमों को देखते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2023 भाषण के दौरान साल 2047 तक इस रोग को भारत से जड़ से खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया था। जुलाई 2023 में मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में आयोजित एक कार्यक्रम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन 2047 की शुरुआत की थी।
क्यों होती है सिकल सेल डिजीज?
सिकल सेल रोग का मुख्य कारण एचबीबी जीन में होने वाला आनुवंशिक उत्परिवर्तन है। यही जीन हीमोग्लोबिन के एक बड़े हिस्सा को बनाने के लिए जिम्मेदार है। माता-पिता से कुछ बच्चों को आनुवांशिक रूप से यह रोग मिल सकता है। सिकल सेल रोग के लक्षण 5 से 6 महीने की उम्र में दिखने लगते हैं। एससीडी के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं। सिकल सेल रोग आपके शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित कर सकता है।
सिकल सेल रोग से बचाव और उपचार
सिकल सेल रोग को रोका नहीं जा सकता क्योंकि यह एक आनुवंशिक स्थिति है। यदि आप गर्भवती हैं आनुवंशिक परीक्षण के माध्यम से इसके खतरे का पता लगाने में मदद मिल सकती है। जिन बच्चों में इस रोग का निदान किया जाता है उन्हें उपचार के तौर पर दवाओं के साथ ब्लड ट्रांसफ्यूजन,बोन मैरो ट्रांसप्लांट और जीन थेरेपी की जरूरत हो सकती है।
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