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Housekeeping: बरसात में परेशानी बढ़ा सकती हैं ये पांच घरेलू वस्तुएं, स्वस्थ रहने के लिए इन्हें रखें साफ

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: स्वाति शर्मा Updated Tue, 23 Aug 2022 06:57 PM IST
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Housekeeping Tips: Monsoon and clean home Change these 5 things regularly
बारिश में घर को रखें अधिक साफ़ - फोटो : file photo

शीर्षक पढ़कर आपको थोड़ा अटपटा लगेगा। लेकिन बात स्वास्थ्य से जुड़ी है इसलिए इसपर गौर करना जरूरी है। असल में जिन 5 साधनों की बात यहाँ हो रही है वे रोजमर्रा की हमारी ज़िंदगी में बहुत उपयोगी होते हैं लेकिन बारिश के नम दिनों में ये ही मुसीबत का कारण भी बन सकते हैं। इसकी वजह है इन सामानों का मूल स्वरूप। इसलिए बारिश के दिनों में इन साधनों को बदल देना या ठीक तरह से इनका रख रखाव करना आपके स्वास्थ्य को अच्छा बनाये रखने में भी मदद करता है आपको नुकसान से बचाने में भी। इन 5 साधनों में शामिल हैं आपका रोजाना उपयोग में आने वाला तौलिया, रसोई में बर्तन मांजने वाला स्क्रबर, बाथरूम में रखा पूमिस स्टोन व लूफाह और घर के भीतर रखा जाने वाला डोर मैट या पैर पोंछ। ये वे साधन हैं जिनमें बारिश के दौरान सबसे अधिक खतरा पनप सकता है। इसलिए जरूरी है कि इनको लेकर खास सावधानी बरती जाए। जानिए कैसे करें बचाव। 

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डोरमैट की सफाई है बहुत जरूरी - फोटो : istock

पैर पोंछ या डोरमैट

घर के बाहर दरवाजे पर रखा हो, घर के अंदर या बाथरूम के पास, डोरमैट पर न केवल घरेलू गंदगी चिपकती है बल्कि आप बाहर के गंदे जूते-चप्पल के द्वारा बाहरी गंदगी भी इस तक पहुंचा देते हैं। यदि आपके यहाँ घर से बाहर पहनने के और बाथरूम में पहनने के फुटवेयर अलग हैं तो भी डोरमैट पर चिपकने वाली गंदगी का प्रतिशत काफी हो सकता है। जितनी बार आप साफ़ पैरों को इस पर पोंछते हैं, उतनी ही बार इसपर चिपकी गंदगी आपके पैरों पर लगती है और फिर घर भर में घूमती है। बारिश के दिनों में नमी और सीलन डोरमैट्स को कीटाणुओं का फेवरेट डेस्टिनेशन बना डालती हैं। इसलिए जरूरी है कि मानसून के दौरान डोरमैट की सफाई को लेकर बहुत सतर्कता बरती जाए। 

उपाय-

  • यदि डोरमैट कॉटन का या पतले कपड़े का है तो हर हफ्ते उसे धोएं। यदि डोरमैट रबर या सिंथेटिक मटेरियल का है तो उसे पानी से हर दो दिनों में अच्छे धो दें। 
  • हफ्ते में एक बार डोरमैट पर डिसइंफेक्टिंग स्प्रे या लिक्विड का प्रयोग करें। 
  • जिस समय डोरमैट को हटाएँ उस समय जिस जगह पर वह बिछा हुआ था वहां भी अच्छी तरह सफाई करें। 
  • बारिश के दिनों में कोशिश करें कि जल्दी सूखने वाले मटेरियल का डोरमैट ही घर के भीतर इस्तेमाल करें। 
  • यदि आप डोरमैट को हफ्ते भर में धो नहीं पा रहे तो उस पर बेकिंग सोडा छिड़ककर अच्छी तरह से उसे झाड़ दें। यह डोरमैट की बदबू को भी दूर करने में मदद करेगा। 
  • डोरमैट को हमेशा गुनगुने पानी में डिटर्जेंट डालकर अच्छे से धोएं, जब तक कि उसकी सारी गंदगी निकलना बंद न हो जाये। 
  • धुलाई के बीच की अवधि में आप चाहें तो वैक्यूम क्लीनर से भी डोरमैट को साफ़ कर सकते हैं। 
  • लगभग इसी तरह की प्रक्रिया छोटे कार्पेट्स के साथ भी अपनाई जा सकती है। बड़े कार्पेट्स के लिए हमेशा प्रोफेशनल्स की मदद लें। 
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जर्म्स का घर हो सकता है पूमिस स्टोन - फोटो : Pixabay

बाथरूम के लूफाह और पूमिस स्टोन 

हालांकि ये दोनों ही चीजें पिछले कुछ वर्षों में हमारे यहाँ ज्यादा प्रचलित हुई हैं। इसके पहले लोग कवेलू, ईंट के टुकड़े, नदियों में मिलने वाले पत्थर या कपड़ों का उपयोग शरीर और पैरों को रगड़ने के लिए किया करते थे। आजकल ज्यादातर घरों में लूफाह और पूमिस या पमिस स्टोन या वोल्केनिक रॉक होता है। ये दोनों ही ऐसी वस्तुएं हैं जो शरीर से मृत त्वचा को निकालने में मदद कर सकती हैं लेकिन चूंकि ये पहले से ही बाथरूम यानी नमी वाली जगह पर रहती हैं, ऐसे में बारिश का मौसम इन्हें जर्म्स और बैक्टीरिया का पसंदीदा घर बनने में और भी अधिक मदद कर देता है। इनके जरिये संक्रमण सीधे आपकी त्वचा तक पहुंच सकता है और यदि त्वचा पर कोई खुला घाव है तो उसके द्वारा शरीर के अंदर। 

उपाय-

  • उपयोग करने के बाद इन दोनों ही वस्तुओं को अच्छी तरह साफ़ करके और सूखा कर ही रखें। रखने के लिए भी बिलकुल सूखी जगह का उपयोग करें। 
  • शेविंग, वैक्सिंग के बाद या किसी चोट या घाव के साथ इनका प्रयोग कुछ दिन बिलकुल न करें।
  • चेहरे या प्राइवेट पार्ट्स के करीब कभी भी लूफाह का प्रयोग न करें। 
  • आमतौर पर एक लूफाह का उपयोग 2-3 महीने से ज्यादा नहीं करना चाहिए लेकिन अगर आप अच्छी तरह साफ़ रखते हैं तो 4-5 महीने इसे चला सकते हैं। 
  • पूमिस स्टोन को तब तक उपयोग में ला सकते हैं जब तक ये घिस नहीं जाता, टूट नहीं जाता या इसपर फंगस नहीं आ जाती। 
  • पूमिस स्टोन को हफ्ते-दो हफ्ते में एक बार उबलते पानी में डालकर निकालें और अच्छी तरह सूखा लें, इससे यदि इसमें कोई बैक्टीरिया आदि है तो खत्म हो सकता है। 
  • यदि आपको पूमिस स्टोन से बदबू आने लगे या इसकी सतह पर फंगस दिखे तो तुरंत उसे फेंक दें। 
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टॉवल और नैपकिन दोनों की सफाई रोज करें - फोटो : Pixabay

टॉवल या नैपकिन
 
हाथ या बदन पोंछने के लिए रखे गए नैपकिन और टॉवल भी बारिश के दिनों में खासकर जर्म्स और कीटाणुओं का घर बन जाते हैं। उसपर अगर ये टर्किश मटेरियल वाले हों तो मुश्किल और बढ़ सकती है। घर की तरह ही जिम में भी इन तौलियों और नैपकिन से आपको आसानी से संक्रमण मिल सकता है। एक बार हाथ पोंछने के बाद जब आप दुबारा टॉवल या नैपकिन से हाथ पोंछते हैं तो उस पर मौजूद जर्म्स आपके हाथों के जरिये आपके पास पहुंच जाते हैं। ऐसा ही कुछ हर उस व्यक्ति के साथ होता है जो उसी टॉवल या नैपकिन से हाथ पोंछता है। होटल्स और जिम आदि में लगे नैपकिन और टॉवल तो और भी खतरनाक हो सकते हैं क्योंकि इनका उपयोग एक से ज्यादा लोग करते हैं। 

उपाय-

  • बारिश के दिनों में कॉटन या पतले कपड़े के टॉवल का उपयोग करें। 
  • यदि रोयेंदार या टर्किश टॉवल का उपयोग करते हैं तो कोशिश करें कि टॉवल या नैपकिन रोजाना धुलें या बदले जाएँ। यदि रोज यह सम्भव नहीं तो कम से कम हर दो दिन में इन्हें धोएं। 
  • गीले या नमी भरे टॉवल या नैपकिन का इस्तेमाल हरगिज न करें। 
  • बारिश के दिनों में कई बैक्टीरिया या कीटाणु ऐसे भी होते हैं जो थोड़े डिटर्जेंट के उपयोग के बावजूद बच जाते हैं। इसलिए टॉवल या नैपकिन को गर्म पानी में धोएं। यदि सामान्य पानी से धो रहे हैं तो किसी एंटीसेप्टिक लिक्विड का उपयोग जरूर करें। 
  • टॉवल या नैपकिन से कभी भी खाने के बाद सिर्फ पानी से धुले या जूठे हाथ न पोंछें। ये जर्म्स के लिए और अधिक पोषक वातावरण बना सकते हैं। साबुन से अच्छी तरह से धुले हाथ ही पोंछें। 
     
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किचन स्क्रबर में पनप सकते हैं कई कीटाणु - फोटो : Pixabay

किचन का स्क्रबर या बर्तन मांजने का साधन 

शायद आप यह सोचते हों कि किचन में काम आने वाला स्क्रबर तो नियमित साबुन के सम्पर्क में आता है, फिर ये गंदा कैसे हो सकता है। लेकिन असल में चाहे ये स्क्रबर तार का हो, फाइबर का या अन्य किसी मटेरियल का, इसमें लगातार लगने वाले खाने के कण फंसे होते हैं जो नमी भरे वातावरण में कीटाणुओं, जर्म्स और गंदगी के साथ मिलकर भयावह रूप से ले सकते हैं। उसपर यदि किसी संक्रमित व्यक्ति के झूठे बर्तन भी आपने एक ही स्क्रबर या स्पंज से साफ़ किये हैं तो संक्रमण के फैलने का खतरा और भी बढ़ सकता है। बारिश में यह खतरा और बढ़ जाता है।एक शोध के अनुसार रसोई में रखे हुए स्पंज या स्क्रबर में किसी भी टॉयलेट से अधिक बैक्टीरिया व हानिकारण तत्व हो सकते हैं। 

उपाय-

  • स्क्रबर या स्पंज को हर महीने बदलें। यदि प्लस्टिक या तार का बना स्क्रबर है तो 3-4 महीने उसे चलाया जा सकता है या फिर जब तक वह बिखर या टूट-फट न जाए। 
  • हर हफ्ते स्क्रबर को भी गर्म पानी और साबुन से अच्छे से धोएं। 
  • जितनी बार बर्तन साफ़ करें, स्क्रबर को हमेशा साफ़ पानी से पूरी तरह धोकर ही वापस रखें। इसे किसी बर्तन में, साबुन के पानी के साथ ऐसे ही न छोड़ें, बल्कि सुखा कर रखें। 
  • यदि स्क्रबर में से बदबू आ रही है तो उसे तुरंत बदल दें। 
     
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