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Pashupatinath Temple: सावन में करें पशुपतिनाथ के दर्शन, जानिए कम बजट में नेपाल यात्रा की पूरी गाइड
लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिवानी अवस्थी
Updated Wed, 16 Jul 2025 11:37 AM IST
सार
Pashupatinath Temple: नेपाल यात्रा के लिए बजट की चिंता है तो यह लेख आपके काम का है। यहां भारतीयों के लिए कम पैसों में नेपाल यात्रा और पशुपतिनाथ मंदिर तक पहुंचने की पूरी जानकारी दी जा रही है।
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सावन में पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन कैसे करें
- फोटो : adobe
Pashupatinath Temple: सावन का महीना शिव भक्तों के लिए सबसे पवित्र समय माना जाता है। इस माह शिवालयों, ज्योतिर्लिंगों और शिव मंदिरों में भक्तों की अत्यधिक भीड़ आती है। सभी भगवान शिव के दर्शन और पूजन करना चाहते हैं। हालांकि भारतीय अगर विदेश में स्थित शिव मंदिरों के दर्शन की इच्छा रखते हैं तो नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में दर्शन के लिए भी जा सकते हैं। यह मंदिर भगवान शिव के सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। काठमांडू में बागमती नदी के किनारे स्थित यह मंदिर UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट भी है।सावन सोमवार और महाशिवरात्रि पर यहां भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
भारतीयों के लिए नेपाल की यात्रा वीजा फ्री है। ऐसे में वह आसानी से पशुपतिनाथ मंदिर में दर्शन और पूजन कर पाएंगे। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि नेपाल के सबसे प्रसिद्ध और पवित्र स्थलों में से एक है। यात्रा के लिए बजट की चिंता है तो यह लेख आपके काम का है। यहां भारतीयों के लिए कम पैसों में नेपाल यात्रा और पशुपतिनाथ मंदिर तक पहुंचने की पूरी जानकारी दी जा रही है।
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कैसे जाएं नेपाल?
- फोटो : Adobe Stock
कैसे पहुंचें पशुपति नाथ मंदिर?
पशुपतिनाथ मंदिर काठमांडू में है। यहां आप दिल्ली से ट्रेन, फ्लाइट या बस के माध्यम से पहुंच सकते हैं। बजट में यात्रा के लिए ट्रेन का विकल्प अपनाएं। दिल्ली समेत कई मुख्य शहरों से रक्सौल रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन चलती है। दिल्ली के आनंद विहार से शाम पांच बजे सत्याग्रह एक्सप्रेस रक्सौल तक चलती है। रक्सौल रेलवे स्टेशन से ऑटो रिक्शा के माध्यम से नेपाल बॉर्डर तक पहुंच सकते हैं।यहां आप भारतीय रुपयों को नेपाल की करेंसी में एक्सचेंज करा सकते हैं। नेपाल बॉर्डर पहुंचकर काठमांडू के लिए बस या टैक्सी बुक कर लें।
इसके अलावा गोरखपुर पहुंचकर यहां से सनोली तक बस यात्रा करें जो आपको नेपाल बॉर्डर पहुंचा देगी और फिर काठमांडू के लिए यहां से बस मिल जाएगी। हालांकि अगर फ्लाइट से जाना चाहते हैं तो दिल्ली से काठमांडू के लिए सीधी हवाई सेवा है। काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से शहर महज 5 किलोमीटर की दूरी पर है।
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परिवहन में खर्च
- फोटो : instagram
कम बजट में नेपाल कैसे जाएं?
परिवहन में खर्च
दिल्ली से रक्सौल तक रेल किराया लगभग 500 रुपये और गोरखपुर से सनोली बॉर्डर तक बस या शेयर टैक्सी का किराा 150 से 200 रुपये। नेपाल बोर्डर तक पहुंचने में कुल 700 रुपये तक व्यय हो सकता है। बाॅर्डर से काठमांडू की लोकल बस 500 से 700 रुपये में मिल जाएगी। सनोली बाॅर्डर से काठमांडू पहुंचने में करीब 10-12 घंटे लगते हैं।
रहने-खाने का खर्च
काठमांडू में बजट होटलों में 600 से 1000 रुपये प्रति रात में अच्छे कमरे मिल जाते हैं। धर्मशालाओं में 200 से 300 रुपये में रहने की व्यवस्था हो जाएगी। यहां खान-पान में 500 से 700 रुपये व्यय करने पड़ सकते हैं।
नेपाल यात्रा का कुल खर्च
अगर आप पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन के लिए नेपाल की तीन दिन और दो रातों की यात्रा कर रहे हैं तो 2000 से तीन हजार रुपये प्रति व्यक्ति अनुमानित खर्च आ सकता है।
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मंदिर के कपाट कब खुलते हैं?
- फोटो : adobe
कब खुलता है पशुपतिनाथ मंदिर
पशुपतिनाथ मंदिर प्रतिदिन सुबह 4 बजे से रात्रि 9 बजे तक खुलता है। सुबह चार बजे की आरती में शामिल होना न भूलें। दोपहर और शाम पांच बजे मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं। दर्शन के लिए सबसे उत्तम समय सुबह या फिर देर शाम है। पूरे मंदिर परिसर के भ्रमण में एक से डेढ़ घंटे का वक्त लगता है।
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पशुपतिनाथ मंदिर
- फोटो : adobe
मंदिर से जुड़ी मान्यता और खासियत
पशुपतिनाथ मंदिर देवपाटन गांव बागमती नदी के किनारे स्थित है। यहां भगवान शिव की एक पांच मुख वाली मूर्ति भी है। मान्यता है कि पशुपतिनाथ मंदिर का ज्योतिर्लिंग पारस पत्थर के समान है। भगवान शिव की पंचमुखी मूर्ति तक पहुंचने के लिए चार दरवाजे हैं, जो चांदी के हैं। पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग को केदारनाथ मंदिर का आधा भाग माना जाता है।
कहा जाता है कि जो भी पशुपतिनाथ के दर्शन के लिए आता है, उसे किसी भी जन्म में पशु की योनि नहीं मिलती है। ध्यान रखें कि दर्शन के लिए जाएं तो शिवलिंग से पहले नंदी जी के दर्शन न करें। मंदिर परिसर में ही बासुकीनाथ मंदिर, उन्मत्त भैरव मंदिर, सूर्य नारायण मंदिर , कीर्ति मुख भैरव मंदिर, 184 शिवलिंग मूर्तियां और बूंदा नीलकंठ मंदिर आदि मौजूद हैं।
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