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अस्थमा है तो भूलकर भी ये 6 चीजें न खाएं, बचाव ही उपाय है...वरना बुरा अंजाम भुगतेंगे

न्यूज डेस्क/अमर उजाला, चंडीगढ़ Updated Fri, 29 Jun 2018 10:13 AM IST
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chandigarh, People Suffering From Asthma Should Avoid Milk and Milk Made Products
योग और स्वास्थ्य
अस्थमा की बीमारी से जूझ रहे हैं तो भूलकर भी ये 6 चीजें न खाएं। बचाव ही उपाय है, अगर ध्यान नहीं दिया तो बुरा अंजाम भुगतेंगे। जान पर भी बन सकती है। ऐसे में खाने-पीने पर ध्यान देना जरूरी है, डॉक्टर्स भी एहतियात बरतने की सलाह देते हैं।
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योग और स्वास्थ्य
बता दें कि अस्थमा, एक ऐसा रोग है, जिससे अक्सर पीड़ित और उनके परिवार वाले घबरा जाते हैं, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए। यदि समय पर रोग विशेषज्ञ के पास ले जाएं तो अस्थमा का उपचार आसानी से किया जा सकता है। आज अस्थमा लाइलाज बीमारी नहीं रह गई है। रोगियों और उनके परिजनों को बीमारी के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। जानकारी होगी तो आत्मविश्वास के साथ अपना उपचार करवा पाएंगे। वहीं इलाज में देरी और कोई भी लापरवाही, गंभीर परिणाम दे सकती है।
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इसे कहते हैं अस्थमा
अस्थमा फेफड़ों में श्वास नलियों में सिकुड़न का नाम है। श्वास नलियों का काम वातावरण से हवा लेकर फेफड़ों तक पहुंचाना है। इसके साथ ही बहुत सारे धूल के कण भी श्वास नलियों में पहुंच जाते हैं। यही धूल के कण हमारी श्वास नलियों में सूजन पैदा करते हैं और वे काफी अधिक सिकुड़ जाती हैं, जिससे दमा होता है। अस्थमा से न सिर्फ व्यस्क पीड़ित होते हैं, बल्कि बच्चों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। यदि बीमारी के प्रति जागरूक रहे तो इस पर आसानी से काबू किया जा सकता है।
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एलर्जी से होती है शुरुआत
अस्थमा की शुरुआत एलर्जी से होती है। कुछ लोगों को मौसम बदलने पर एलर्जी होती है और कुछ को धूल आदि से और कुछ को तो पूरे साल एलर्जी रहती है। यही एलर्जी बाद में दमा के रूप में सामने आती है। दमा के मुख्य लक्षण है कि बार-बार खांसी आना, छाती में घुटन या सांस फूलना आदि। छाती में जोर से आवाज होना। अस्थम अनुवांशिक रोग भी है यानी माता-पिता में से किसी को यह रोग है तो बच्चों को भी इसके होने की संभावना बनी रहती है। अस्थमा, अनुवांशिक और पर्यावरण, दोनों के कारण हो सकता है।
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ऐसे पता चलता है कि अस्थमा है
अस्थमा के लक्षण दिखने पर आपको एक रोग विशेषज्ञ के पास जाना चाहिए और एक साधारण सा टेस्ट करना होता है, जिसे स्पाइरोमैट्री कहते हैं। इससे सांस की रुकावट का पता लगाकर अस्थमा की जानकारी मिलती है। इसका उपचार प्रमुख तौर पर विशेष दवाओं से किया जाता है। वहीं श्वास नलियों में सूजन कम करने की दवाएं भी उपलब्ध हैं, क्योंकि रोग यहीं से बढ़ता है। ऐसे में इनको ठीक करके राहत प्राप्त की जा सकती है। इसके अलावा कुछ मरीजों में पीक फ्लो व लंग्स फंक्शन टेस्ट भी किया जाता है।

 
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