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MPPSC Topper: डिप्टी कलेक्टर बनने के बाद हर्षिता ने खोला राज, कहा- "मैं रोज 13 घंटे..."
अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर
Published by: अर्जुन रिछारिया
Updated Sat, 13 Sep 2025 09:11 PM IST
सार
MPPSC: इंदौर की हर्षिता दवे ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) 2024 परीक्षा में लड़कियों के बीच शीर्ष स्थान हासिल कर डिप्टी कलेक्टर का पद प्राप्त किया है।
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हर्षिता दवे
- फोटो : अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) 2024 की परीक्षा में इंदौर की बेटी हर्षिता दवे ने अपनी लगन और मेहनत से सफलता का परचम लहराया है। हर्षिता ने न केवल यह प्रतिष्ठित परीक्षा उत्तीर्ण की है, बल्कि लड़कियों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करते हुए डिप्टी कलेक्टर का पद भी हासिल किया है। उनकी यह सफलता वर्षों की कड़ी मेहनत, अटूट दृढ़ संकल्प और परिवार के निरंतर समर्थन का परिणाम है।

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परिवार के साथ हर्षिता
- फोटो : अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर
अतिरिक्त गतिविधियों का मिला लाभ
हर्षिता का मानना है कि प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों को केवल किताबी ज्ञान तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि अन्य गतिविधियों में भी सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए। वे स्वयं भी भाषण, वाद-विवाद और निबंध लेखन में गहरी रुचि रखती रही हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में नेतृत्व भी कर चुकी हैं। उन्होंने बताया, इन गतिविधियों का लाभ मुझे परीक्षा में मिला। मेरा हिंदी का पेपर सबसे बेहतर रहा।
परिवार और शिक्षकों का मिला पूरा साथ
इस कठिन सफर में हर्षिता को अपने शिक्षकों, माता-पिता और विशेष रूप से अपनी दादी का भरपूर सहयोग मिला। उनकी मां, सुनीता दवे ने बताया कि पढ़ाई के दौरान वे और हर्षिता की दादी हमेशा उसका ख्याल रखती थीं। हर्षिता ने अपनी सफलता के लिए अपने प्रारंभिक विद्यालय सरस्वती शिशु मंदिर, माधव विद्यापीठ और कोचिंग संस्थान आजाद पी-3 क्लासेस के शिक्षकों का भी आभार व्यक्त किया है।
बचपन से ही प्रतिभा की धनी
हर्षिता की मां सुनीता दवे, गर्व से बताती हैं कि उनकी बेटी बचपन से ही प्रतिभाशाली रही है। मात्र ढाई साल की उम्र में ही उन्होंने मंच पर बोलना शुरू कर दिया था। वह एक बेहतरीन वक्ता और अंतरराष्ट्रीय स्तर की डिबेटर रही हैं। उनकी मां के अनुसार, हर्षिता की जिद और लक्ष्य बनाकर आगे बढ़ने की आदत ने ही उसे यह सफलता दिलाई है। हाई स्कूल से लेकर कॉलेज तक उन्हें स्कॉलरशिप मिलती रही, जिससे उनकी पढ़ाई का खर्च भी काफी कम रहा। साहित्य अकादमी के निदेशक और हर्षिता के पिता, डॉ. विकास दवे ने बेटी की सफलता का श्रेय उसके गुरुओं को दिया। उन्होंने कहा, अब समय आ गया है, जब हम यह गर्व से कह सकते हैं कि बेटियां अपने पूरे कुल को गौरवान्वित करने में सक्षम हैं। कोई भी बेटी बेटे से कम नहीं है।
हर्षिता का मानना है कि प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों को केवल किताबी ज्ञान तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि अन्य गतिविधियों में भी सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए। वे स्वयं भी भाषण, वाद-विवाद और निबंध लेखन में गहरी रुचि रखती रही हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में नेतृत्व भी कर चुकी हैं। उन्होंने बताया, इन गतिविधियों का लाभ मुझे परीक्षा में मिला। मेरा हिंदी का पेपर सबसे बेहतर रहा।
परिवार और शिक्षकों का मिला पूरा साथ
इस कठिन सफर में हर्षिता को अपने शिक्षकों, माता-पिता और विशेष रूप से अपनी दादी का भरपूर सहयोग मिला। उनकी मां, सुनीता दवे ने बताया कि पढ़ाई के दौरान वे और हर्षिता की दादी हमेशा उसका ख्याल रखती थीं। हर्षिता ने अपनी सफलता के लिए अपने प्रारंभिक विद्यालय सरस्वती शिशु मंदिर, माधव विद्यापीठ और कोचिंग संस्थान आजाद पी-3 क्लासेस के शिक्षकों का भी आभार व्यक्त किया है।
बचपन से ही प्रतिभा की धनी
हर्षिता की मां सुनीता दवे, गर्व से बताती हैं कि उनकी बेटी बचपन से ही प्रतिभाशाली रही है। मात्र ढाई साल की उम्र में ही उन्होंने मंच पर बोलना शुरू कर दिया था। वह एक बेहतरीन वक्ता और अंतरराष्ट्रीय स्तर की डिबेटर रही हैं। उनकी मां के अनुसार, हर्षिता की जिद और लक्ष्य बनाकर आगे बढ़ने की आदत ने ही उसे यह सफलता दिलाई है। हाई स्कूल से लेकर कॉलेज तक उन्हें स्कॉलरशिप मिलती रही, जिससे उनकी पढ़ाई का खर्च भी काफी कम रहा। साहित्य अकादमी के निदेशक और हर्षिता के पिता, डॉ. विकास दवे ने बेटी की सफलता का श्रेय उसके गुरुओं को दिया। उन्होंने कहा, अब समय आ गया है, जब हम यह गर्व से कह सकते हैं कि बेटियां अपने पूरे कुल को गौरवान्वित करने में सक्षम हैं। कोई भी बेटी बेटे से कम नहीं है।