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Devi Ahilya Birth Anniversary: पीएम मोदी जारी करेंगे देवी अहिल्या की याद में 300 रुपये का सिक्का और डाक टिकट

Kamlesh Sen कमलेश सेन
Updated Mon, 26 May 2025 01:08 PM IST
सार

अहिल्या बाई होलकर के ससुर मल्हारराव होलकर के कार्यकाल में पानीपत युद्ध (1761) के दौरान अनाज की कमी और सैन्य खर्च की पूर्ति करने के लिए चांदी के सिक्के जारी किए गए थे। ये सिक्के मल्हारशाही सिक्के कहलाते थे।

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PM Narendra Modi will release Rs 300 coin and special postage stamp in memory of Queen Devi Ahilya Bai Holkar
महारानी देवी अहिल्या बाई होलकर की 300 वीं जयंती। - फोटो : अमर उजाला

महारानी देवी अहिल्या बाई होलकर की 300 वीं जयंती के अवसर पर भारत सरकार उनकी स्मृति में 300 रुपये का सिक्का और विशेष डाक टिकट जारी करने जा रही है। इसकी अधिसूचना जारी हो गई है। इंदौर में होलकर रियासत की शासिका रही देवी अहिल्या बाई पर सिक्का एक ऐतिहासिक कदम होगा। यह देवी अहिल्या बाई के प्रति देश के सम्मान का सूचक है। देवी अहिल्या बाई होलकर का त्रि जन्म शताब्दी मुख्य समारोह 31 मई को भोपाल में होगा। इस अवसर पर महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह सिक्का और विशेष डाक टिकट जारी करेंगे।



होलकर कालीन सिक्कों का रोचक है इतिहास 
होलकर राज्य के सिक्कों का इतिहास अति प्राचीन नहीं है। अहिल्या बाई होलकर के ससुर मल्हारराव होलकर के कार्यकाल में पानीपत युद्ध (1761) के दौरान अनाज की कमी और सैन्य खर्च की पूर्ति करने के लिए चांदी के सिक्के जारी किए गए थे। ये सिक्के मल्हारशाही सिक्के कहलाते थे। आज ये सिक्के दुर्लभ हैं। जे. एफ. शेकल्टन की पुस्तक में मल्हारशाही सिक्कों का विवरण है।  

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अहिल्या बाई के कार्यकाल के सिक्के पर बना शिव और त्रिशूल। - फोटो : अमर उजाला

अहिल्या बाई के राज में सिक्के पर शिवलिंग अंकित था
इंदौर में अहिल्या बाई का कार्यकाल शुरू होने के बाद 1767 का सिक्का पाया गया है। यह सिक्का मल्हारनगर (इंदौर) की टकसाल में ढाला गया था। देवी अहिल्या बाई के कार्यकाल में मल्हारनगर (इंदौर) के साथ महेश्वर में भी सिक्कों को ढालने की टकसाल स्थापित की गई थी। प्रोफेसर एलसी धारीवाल की इंदौर स्टेट गजेटियर के खंड एक में उल्लेख है कि महेश्वर में ढाले गए सिक्के केवल धार्मिक कार्यों के उपयोग किए जाते थे। महेश्वर की टकसाल ढले चांदी के सिक्कों पर शिवलिंग, जलधारी और बिल्वपत्र अंकित था। मल्हारनगर (इंदौर) में ढाले गए सिक्कों पर सूर्य और चंद्र अंकित थे। बैतूल से प्राप्त अहिल्या बाई के कार्यकाल के सिक्के भी मल्हारनगर (इंदौर) में ढाले गए थे। 

चांदी के सिक्कों का मूल्य ज्यादा था
होलकर रियासत काल में सिक्के चांदी और तांबे के प्रचलन में थे, सोने के सिक्के प्रचलन में नहीं रहे हैं। चांदी के सिक्के एक रुपया। आठ आना, चार आना, दो आना और एक आना के थे, तांबे के सिक्के आधा आना, पाव आना और धेले मूल्य के थे।

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अहिल्या बाई के कार्यकाल के सिक्के पर सूर्य - फोटो : अमर उजाला

आलमशाही के सिक्के भी चलन में थे
होलकर राज में लंबे समय तक सलीमशाही या शाह आलमशाही के सिक्के भी प्रचलन में थे। ये सिक्के उदयपुर, प्रतापगढ़, देवला, कोटा, टोंक, भोपाल और ग्वालियर रियासतों द्वारा ढाले जाते थे। अहिल्या बाई के कार्यकाल में शाह आलमशाही सिक्के प्रचलन में थे। व्यापारी और आम जनता को इनका मूल्य आंकने में परेशानी होती थी, इसलिए अहिल्या बाई ने शाह आलमशाही सिक्कों का 12 प्रतिशत मूल्य राज्य में कम करवा दिया था। हालांकि, यह व्यवस्था अहिल्या बाई की मृत्यु के बाद लागू नहीं रही। 1832-33 में महेश्वर टकसाल बंद कर दी गई और इंदौर की टकसाल कार्य करती रही। अब देश में एक जैसी मुद्रा चलन में है, ऐसे दौर में आज की पीढ़ी को देवी अहिल्या बाई की स्मृति में जारी हो रहा 300 रुपये का सिक्का देखने को मिलेगा।

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