सब्सक्राइब करें

कमेंट

कमेंट X

😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त

हैंडलूम दिवस आज: भारत ही नहीं, विदेशों तक प्रसिद्ध हैं महेश्वरी हैंडलूम साड़ियां

नरेंद्र चौधरी, अमर उजाला, महेश्वर Published by: दिनेश शर्मा Updated Thu, 07 Aug 2025 06:01 AM IST
सार

महेश्वरी साड़ियां अपनी पारंपरिक कारीगरी, ऐतिहासिक विरासत और नारीशक्ति की प्रतीक हैं। देवी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा शुरू की गई इस कला को रेवा सोसायटी ने पुनर्जीवित किया। आज हजारों बुनकर इससे जुड़े हैं। सरकार की योजनाएं व प्रधानमंत्री की सराहना इस उद्योग को नई ऊंचाई दे रही हैं।

विज्ञापन
Handloom Day today: Maheshwari handloom sarees are famous not only in India but also abroad
महेश्वर में लगभग 5000 हथकरघे कार्यरत हैं, जिनमें 6500 से अधिक परिवार जुड़े हैं। - फोटो : अमर उजाला
महेश्वरी साड़ियां अपनी विशिष्ट ज्यामितीय कशीदाकारी, आकर्षक रंग संयोजन और पारंपरिक वैभव के कारण केवल महेश्वर नगर ही नहीं, बल्कि देश और विदेशों में भी अत्यंत प्रसिद्ध हैं। ये साड़ियां ना केवल एक परिधान हैं, बल्कि समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक परंपरा की प्रतीक भी हैं।


इतिहास की बुनाई में रची बसी महेश्वरी साड़ी
महेश्वरी साड़ियों का आरंभ देवी अहिल्याबाई होल्कर के शासनकाल से जुड़ा है। 1767 में अहिल्याबाई ने हैदराबाद, मांड़व, गुजरात जैसे क्षेत्रों से कुशल करघा कारीगरों को महेश्वर बुलाया और यहां वस्त्र निर्माण की परंपरा को संरक्षित व प्रोत्साहित किया। उन कारीगरों द्वारा निर्मित सूती साड़ियां, पगड़ियां, साफे और अंगवस्त्रों ने महेश्वर को एक कारीगरी केंद्र में परिवर्तित कर दिया।

ये भी पढ़ें- सीएम डॉ. यादव बोले- प्रदेश में धूमधाम से मनाई जाएगी जन्माष्टमी और बलराम जयंती

 
Trending Videos
Handloom Day today: Maheshwari handloom sarees are famous not only in India but also abroad
केंद्र सरकार द्वारा बुनकरों के लिए ''समर्थ योजना'', 90% अनुदान पर करघा वितरण, मुद्रा लोन जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं। - फोटो : अमर उजाला
हथकरघा की परंपरा और तकनीकी विकास
महेश्वर में हथकरघा उद्योग एक प्राचीन और सशक्त परंपरा रही है। यहां के डबल बॉक्स करघे पर कार्य करने वाले सिद्धहस्त बुनकर अत्यंत कुशलता से काम करते हैं। वर्ष 1921 में तत्कालीन शासक श्रीमंत तुकोजीराव होलकर ने ''विविंग एंड डाइंग डेमोंस्ट्रेशन फैक्ट्री'' की स्थापना की, ताकि बुनकरों को तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान किया जा सके। यह संस्थान आज "शासकीय हथकरघा महेश्वर" के नाम से जाना जाता है।

रेवा सोसायटी: पुनरुत्थान की कहानी
1978 में देवी अहिल्याबाई होल्कर के वंशज प्रिंस शिवाजीराव होल्कर व शालिनी देवी होल्कर ने "रेवा सोसायटी" की स्थापना कर महेश्वरी साड़ियों को एक नया स्वरूप दिया। इस संस्था ने सैकड़ों बुनकरों को प्रशिक्षित कर उन्हें रोजगार प्रदान किया और महेश्वरी हैंडलूम को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठित किया।

डिजाइनों में रचनात्मकता और नर्मदा की छाप
महेश्वरी साड़ियों की डिजाइनों में समयानुकूल परिवर्तन होते रहे हैं। घाटों, मंदिरों, किलों और नर्मदा की लहरों से प्रेरित कलाकृतियां साड़ियों की बॉर्डर और पल्लू पर उकेरी जाती हैं। आज भी राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता श्याम रंजन सेन गुप्ता जैसे डिजाइनर बुनकरों को नवीनतम डिजाइनों की प्रेरणा देते रहते हैं।

ये भी पढ़ें- एम्स की डॉ. रुपिंदर कौर को मिला बायोमेडिकल रिसर्च लीडर ऑफ द ईयर अवॉर्ड, दुनिया के 100 लीडर्स में शामिल


 
विज्ञापन
विज्ञापन
Handloom Day today: Maheshwari handloom sarees are famous not only in India but also abroad
महेश्वर में हथकरघा उद्योग एक प्राचीन और सशक्त परंपरा रही है। - फोटो : अमर उजाला
बुनकरों का सम्मान और कीर्तिमान
महेश्वर में लगभग 5000 हथकरघे कार्यरत हैं, जिनमें 6500 से अधिक परिवार जुड़े हैं। यहां के बुनकरों ने वर्ष 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भाग लेने वाले देशों के राष्ट्रीय ध्वजों के साथ स्कार्फ, टेबलकवर आदि हैंडलूम पर बुने, जो एक अद्भुत कीर्तिमान था। अलाउद्दीन अंसारी (2012) और बसंत श्रृवणेकर (2015) जैसे बुनकरों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। संत कबीर सम्मान पाने वाले 18 बुनकरों में महिलाएं भी शामिल हैं, जो इस गौरव को और ऊंचाई देता है।

सरकार का सहयोग और योजनाएं
केंद्र सरकार द्वारा बुनकरों के लिए ''समर्थ योजना'', 90% अनुदान पर करघा वितरण, मुद्रा लोन जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं। इससे न केवल बुनकरों का कौशल उन्नत हुआ है, बल्कि उनके जीवन स्तर में भी सुधार आया है।

 
Handloom Day today: Maheshwari handloom sarees are famous not only in India but also abroad
हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में मनाया जाता है। - फोटो : अमर उजाला
पीएम ने की थी मन की बात में प्रशंसा
महेश्वरी साड़ियों ने महेश्वर को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर भी स्थापित किया है। इनकी कलात्मकता और रंग संयोजन ने वैश्विक मंचों पर भारतीय पारंपरिक वस्त्रों की प्रतिष्ठा को सुदृढ़ किया है। यह हमारे लिए गौरव का क्षण रहा जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ''मन की बात'' कार्यक्रम में महेश्वरी साड़ियों की प्रशंसा की। महेश्वरी साड़ी केवल एक वस्त्र नहीं, बल्कि हमारे इतिहास, परंपरा, कारीगरी, आत्मनिर्भरता और नारीशक्ति की प्रतीक है। यह बुनकरों के स्वाभिमान और कला प्रेमियों की पसंद का गौरवशाली संगम है।

7 अगस्त को मनाया जाता है हथकरघा दिवस
2015 से भारत सरकार ने हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। इसके तहत देशभर में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। 
विज्ञापन
अगली फोटो गैलरी देखें

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed