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Adampur Airbase: जहां से पीएम मोदी ने दुनिया को दिखाया हिंद की सेना का शाैर्य, जानिए उस एयरबेस की कहानी
सुरिंदर पाल, अमर उजाला, जालंधर (पंजाब)
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Wed, 14 May 2025 08:07 AM IST
सार
आदमपुर वायुसेना स्टेशन में वर्तमान में तैनात भारतीय वायुसेना की 47वीं स्क्वाड्रन ने राष्ट्र की गौरवशाली सेवा के 60 वर्ष पूरे कर लिए हैं। भारत पाक में तनाव के बीच मंगलवार को पीएम नरेंद्र मोदी के दाैरे ने जवानों में उत्साह भर दिया।
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आदमपुर एयरबेस पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी
- फोटो : ANI
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को जब जालंधर के आदमपुर एयरबेस पर पहुंचे तो पूरे देश की निगाहें पंजाब पर आ टिकी। पीएम ने यहां से दुश्मन को करारा जवाब दिया। मोदी के दाैरे से पाकिस्तान के झूठ का भंडाफोड़ तो हुआ ही, दुनिया ने भारतीय वायुसेना का शाैर्य स्थल भी देखा।
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पीएम नरेंद्र मोदी पहुंचे आदमपुर एयरबेस
- फोटो : ANI
65 की लड़ाई में हुआ था हमला
छह सितंबर 1965 को पाकिस्तानी वायुसेना ने पठानकोट, आदमपुर और हलवारा में भारतीय हवाई अड्डों पर हमला किया। आदमपुर और हलवारा पर हमले विफल रहे। स्ट्राइक ग्रुप आदमपुर पहुंचने से पहले ही वापस लौट गया।
यह भी पढ़ें: दर्जी निकला गद्दार: बठिंडा आर्मी कैंट का टेलर पाकिस्तान भेज रहा था सेना की जानकारी; अब रकीब का मोबाइल उगले राज
7 सितंबर 1965 को, पाक एयरफोर्स ने 135 स्पेशल सर्विसेज ग्रुप पैरा कमांडो को तीन भारतीय हवाई अड्डों (हलवारा, पठानकोट और आदमपुर) पर पैराशूट से उतारा। यह साहसी प्रयास एक पूरी तरह से विनाशकारी साबित हुआ। केवल दस कमांडो ही पाकिस्तान वापस लौट पाए, बाकी को युद्ध बंदी बना लिया गया (जिसमें ऑपरेशन के कमांडरों में से एक मेजर खालिद बट भी शामिल थे। आदमपुर में ये सैनिक रिहायशी इलाकों में उतरे, जहां ग्रामीणों ने उन्हें पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया।
छह सितंबर 1965 को पाकिस्तानी वायुसेना ने पठानकोट, आदमपुर और हलवारा में भारतीय हवाई अड्डों पर हमला किया। आदमपुर और हलवारा पर हमले विफल रहे। स्ट्राइक ग्रुप आदमपुर पहुंचने से पहले ही वापस लौट गया।
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7 सितंबर 1965 को, पाक एयरफोर्स ने 135 स्पेशल सर्विसेज ग्रुप पैरा कमांडो को तीन भारतीय हवाई अड्डों (हलवारा, पठानकोट और आदमपुर) पर पैराशूट से उतारा। यह साहसी प्रयास एक पूरी तरह से विनाशकारी साबित हुआ। केवल दस कमांडो ही पाकिस्तान वापस लौट पाए, बाकी को युद्ध बंदी बना लिया गया (जिसमें ऑपरेशन के कमांडरों में से एक मेजर खालिद बट भी शामिल थे। आदमपुर में ये सैनिक रिहायशी इलाकों में उतरे, जहां ग्रामीणों ने उन्हें पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया।
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PM Modi
- फोटो : ANi
71 की जंग में पठानकोट एयरबेस को किया कवर
पश्चिमी मोर्चे पर 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध 3 दिसंबर 1971 को ऑपरेशन चंगेज खान के साथ शुरू हुआ। पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन पर हमला हुआ और रनवे को भारी नुकसान पहुंचा। इस हमले के बाद आदमपुर से इंटरसेप्टर द्वारा पठानकोट को कवर किया गया, जबकि ग्राउंड क्रू को रनवे की मरम्मत करनी थी।
पश्चिमी मोर्चे पर 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध 3 दिसंबर 1971 को ऑपरेशन चंगेज खान के साथ शुरू हुआ। पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन पर हमला हुआ और रनवे को भारी नुकसान पहुंचा। इस हमले के बाद आदमपुर से इंटरसेप्टर द्वारा पठानकोट को कवर किया गया, जबकि ग्राउंड क्रू को रनवे की मरम्मत करनी थी।
पीएम मोदी और उनके पीछे खड़ा लड़ाकू विमान
- फोटो : ANI
कारगिल के युद्ध में दुश्मन के दांत किए थे खट्टे
1999 के कारगिल संघर्ष के दौरान आदमपुर एएफबी से उड़ान भरते हुए, नंबर 7 स्क्वाड्रन आईएएफ के मिराज ने टाइगरहिल, मुंथो ढालो और टोलोलिंग पर हमला किया। आदमपुर बेस देश का दूसरा सबसे बड़ा भारतीय वायुसेना बेस है और यहां दो फ्रंटलाइन फाइटर स्क्वाड्रन हैं। तीसरा मिग-29 फाइटर स्क्वाड्रन का मुख्य केंद्र है।
1999 के कारगिल संघर्ष के दौरान आदमपुर एएफबी से उड़ान भरते हुए, नंबर 7 स्क्वाड्रन आईएएफ के मिराज ने टाइगरहिल, मुंथो ढालो और टोलोलिंग पर हमला किया। आदमपुर बेस देश का दूसरा सबसे बड़ा भारतीय वायुसेना बेस है और यहां दो फ्रंटलाइन फाइटर स्क्वाड्रन हैं। तीसरा मिग-29 फाइटर स्क्वाड्रन का मुख्य केंद्र है।
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जवानों का अभिवादन करते पीएम मोदी
- फोटो : ANI
पाकिस्तान ने आदमपुर एयरबेस को बार-बार बनाया निशाना, नाकाम रहा
भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष के दौरान आदमपुर एयरबेस पड़ोसी मुल्क के निशाने पर रहा, लेकिन भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम मजबूूत होने के कारण कोई भी मिसाइल या ड्रोन यहां नहीं पहुंच पाया। पाकिस्तान ने इस एयरबेस पर हमले की तीन तरफ से कोशिश की, क्योंकि उसे सबसे अधिक खतरा इसी एयरबेस से है।
भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष के दौरान आदमपुर एयरबेस पड़ोसी मुल्क के निशाने पर रहा, लेकिन भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम मजबूूत होने के कारण कोई भी मिसाइल या ड्रोन यहां नहीं पहुंच पाया। पाकिस्तान ने इस एयरबेस पर हमले की तीन तरफ से कोशिश की, क्योंकि उसे सबसे अधिक खतरा इसी एयरबेस से है।