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Rajasthan News: आजादी के बाद पहली बार दलित दूल्हा घोड़े पर चढ़ा, 35 साल पुरानी सामाजिक बंदिश टूटी; तस्वीरें...

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोटपूतली Published by: हिमांशु प्रियदर्शी Updated Sat, 06 Dec 2025 08:36 PM IST
सार

Kotputli News: खेड़ा निहालपुरा में दलित दूल्हे की पहली घुड़चढ़ी शांतिपूर्वक सम्पन्न हुई, जिससे 35 साल पुरानी सामाजिक रोक खत्म हो गई। प्रशासन की कड़ी सुरक्षा और समाज की सहभागिता से यह ऐतिहासिक कदम संभव हुआ, जो समानता व संवैधानिक अधिकारों की जीत का प्रतीक बना।
 

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Kotputli News: For first time since Independence, Dalit groom rides horse, breaking a 35-year-old social taboo
घोड़ी पर चढ़कर दलित दूल्हें ने निकाली बारात - फोटो : अमर उजाला

राजस्थान के कोटपूतली क्षेत्र के खेड़ा निहालपुरा गांव में शनिवार का दिन इतिहास बन गया, जब आजादी के बाद पहली बार दलित समाज के दूल्हे की घोड़ी पर बारात निकली। 35 वर्षों से चली आ रही वह सामाजिक बंदिश, जिसे कोई चुनौती नहीं दे पा रहा था, इस विवाह में टूट गई। यह सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि समानता, संवैधानिक अधिकारों और सामाजिक बदलाव की बड़ी जीत बनकर सामने आई।


 
सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम
दूल्हे कालूराम आर्य, पुत्र मूलचंद आर्य ने बारात से पहले संभावित विरोध की जानकारी प्रशासन को दी थी। शिकायत के बाद जिला प्रशासन पूरी तरह सतर्क हो गया। डीएसपी राजेंद्र बुरड़क के नेतृत्व में सरूंड और कोटपूतली थाना पुलिस, साइबर यूनिट सहित 70 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई। तहसीलदार, नायब तहसीलदार और अन्य अधिकारी लगातार मौके पर मौजूद रहे।
 
 

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Kotputli News: For first time since Independence, Dalit groom rides horse, breaking a 35-year-old social taboo
दलित दूल्हे की बारात में चौकन्ना रहा पुलिस प्रशासन - फोटो : अमर उजाला

शांतिपूर्वक निकली निकासी, गांव ने दिया संदेश
दोपहर करीब साढ़े तीन बजे दूल्हा पारंपरिक वेशभूषा में सजी घोड़ी पर सवार होकर गांव की गलियों से निकला। पूरे मार्ग में शांति और सहयोग का वातावरण रहा। कहीं कोई विरोध नहीं हुआ और निकासी सकुशल संपन्न हुई। जिस परंपरा को वर्षों तक दबाव और डर के कारण कोई बदल नहीं सका था, वही प्रशासन और समाज की संयुक्त इच्छाशक्ति से समाप्त होती नजर आई।

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समरसता और एकजुटता की मिसाल
इस ऐतिहासिक मौके पर सामाजिक एकता की अनोखी तस्वीर भी सामने आई। प्रागपुरा के एडवोकेट देवांश सिंह शेखावत ने घोड़ी की नकेल पकड़कर भाईचारे का संदेश दिया। सेवानिवृत्त फौजी सरजीत बोपिया, सामाजिक कार्यकर्ता राजेश कुमार हाड़िया, मेघवाल विकास समिति और डॉ. भीमराव अंबेडकर विचार मंच कोटपूतली के अध्यक्ष जगदीश मेघवाल सहित कई लोगों ने विश्वास और सौहार्द का माहौल बनाने में भूमिका निभाई। राजपूत, ओबीसी, एससी-एसटी सहित विभिन्न समाजों की संयुक्त भागीदारी ने यह साबित किया कि जब समाज साथ खड़ा हो जाए, तो दशकों पुरानी गलत परंपराएं भी खत्म हो सकती हैं।
 

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Kotputli News: For first time since Independence, Dalit groom rides horse, breaking a 35-year-old social taboo
गांव में तैनात पुलिस - फोटो : अमर उजाला

अंबेडकर के समानता संदेश की साकार तस्वीर
खेड़ा निहालपुरा की यह घुड़चढ़ी डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा दिए गए समानता और संवैधानिक अधिकारों के संदेश को वास्तविक रूप में जीती हुई दिखाई दी। गांव में पहली बार निकली यह निकासी सामाजिक परिवर्तन की दिशा में मील का पत्थर बनी।

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