मंजरी चतुर्वेदी का नाम उस समय सुर्खियों में आया जब लखनऊ में उनकी परफार्मेंस को बीच में ही रोक दिया गया। दरअसल, लखनऊ में मशहूर कथक नृत्यांगना मंजरी चतुर्वेदी का कार्यक्रम चल रहा था कि अचानक उसे रोककर उन्हें मंच से नीचे उतार दिया गया था। लखनऊ की इस घटना के बाद बहुत से लोगों का ध्यान इस नृत्यांगना की ओर गया। गंगा-जमुनी तहजीब को एक कर मंजरी ने एक नई विधा निकाली थी सूफी कथक।
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मंजरी चतुर्वेदी: कथक को जोड़ा गंगा-जमुनी तहजीब से और बना दिया एक नया डांस फार्म
लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अपराजिता शुक्ला Updated Sat, 20 May 2023 05:52 PM IST
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मंजरी का जन्म दिसंबर 1974 को लखनऊ में हुआ था। उनके पिता प्रोफेसर थे और पिता से प्रभावित होकर ही मंजरी ने एनवायरमेंटल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएट किया। मंजरी लखनऊ घराने की ओर से शास्त्रीय नृत्य करती हैं।
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मंजरी को नृत्य की शिक्षा पंडित अर्जुन मिश्र से मिली है। नृत्य की शुरूआत उन्होंने कथक विधा से ही की थी। नृत्य पर गहन अध्ययन करने के लिए वो पंजाब, अवध, कश्मीर, तुर्कमेनिस्तान, ईरान और किर्गिस्तान भी गईं थीं। वहां उन्होंने कलाकारों से संगीत और डांस फार्म्स की शिक्षा भी ली।

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मंजरी सूफी कथक की एक नई विधा को ईजाद करने के लिए जानी जाती हैं। लेकिन उनकी इस विधा को प्यूरिस्ट्स नहीं मानते हैं। लेकिन मंजरी अपने सूफी नृत्य को आगे बढ़ा रही हैं। इस नृत्य में वो निर्गुण भक्ति संगीत पर परफार्मेंस देती हैं।
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