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ये थे शहीद जोरावर के आखिरी शब्द, बार-बार याद कर बेसुध हो रही पत्नी

सुनील धीमान, अमर उजाला, शाहपुर (कांगड़ा) Updated Fri, 23 Mar 2018 02:09 PM IST
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Encounter in jammu kupwara Martyr Havildar jorabar singh last words

कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में आतंकियों से लोहा लेते शहीद हुए हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा के जोरावर सिंह की शहादत पर पूरा गांव रुआंसा तो परिवार सदस्य बदहवास हो गए। 44 वर्षीय जोरावर की पार्थिव देह के सैन्य हेलीकॉप्टर से गांव में लाए जाने की सूचना पर पूरा गांव ही आखिरी झलक को उमड़ पड़ा। मातम में डूबे रैत गांव में शहीद की पत्नी रंजना का रुदन किसी से देखा नहीं जा रहा था। पति के इंतजार में रंजना हाईवे पर पहुंच गई और देर तक वहीं रोती-बिलखती रही। 

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हजारों की तादाद में लोग रैत गांव में इंतजार कर रहे थे तो रंजना हाईवे से हटने का नाम नहीं ले रही थी। पठानकोट-मंडी हाईवे पर शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचते ही मातम में डूबे माहौल के बीच लोगों ने जोरावर सिंह अमर रहे, भारत माता की जय और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए। इसके बाद तो शहीद की पत्नी समेत अन्य परिजनों को संभालना मुश्किल हो गया। शहीद के 75 वर्षीय पिता राय सिंह और 70 वर्षीय मां शकुंतला देवी भी अपनी बहू के साथ बेसुध हो गए।

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शहादत से पहले परिजनों से कहा- यहां सब ठीक है, मुझे फोन मत करना- शहीद जोरावर सिंह ने मुठभेड़ से पहले 37 वर्षीय पत्नी रंजना देवी से फोन पर बात करके घर वालों का कुशलमंगल पूछा था। जोराबर ने कहा था कि यहां सब ठीक है। आतंकियों की तलाशी का अभियान चलाया हुआ है। वे उसे फोन न करें। शाम के समय वह घर में खुद फोन कर देंगे

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शहीद की बेटियां हरीतिका (12) और कृतिका (10) चुप होने का नाम नहीं ले रही थीं। उनकी आंखों से लगातार अश्रुधारा फूटती रही। वहीं 4 वर्षीय बेटे रुद्रांश को भी पता नहीं चल रहा था कि आखिर आज घर में हो क्या हो गया है। रैत पंचायत में पंच मदन शर्मा ने बताया कि जोरावर मिलनसार थे। शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी और वन निगम के पूर्व उपाध्यक्ष केवल सिंह पठानिया भी शहीद के घर सांत्वना देने पहुंचे। 

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बच्चों को विदेश में पढ़ने भेजना चाहते थे जोरावर- शहीद जोरावर सिंह एक महीने पहले ही घर में छुट्टी आया था। पिछले मंगलवार को ही जोरावर के बेटे का जन्म दिन था। जोराबर ने अपने बेटे को फोन पर शुभकामनाएं भी दी थी। शहीद की दो बेटियां हरीतिका व कृतिका और बेटा रुद्रांश आर्मी स्कूल योल के छात्र हैं। जोरावर बच्चों को विदेश में पढ़ने के लिए भेजना चाहते थे। शहीद की पत्नी रंजना देवी गृहिणी हैं। शहीद के पिता राय सिंह 14 जैक राइफल्स से ऑर्डिनरी सूबेदार सेवानवृत्त हुए थे। जोरावर माता पिता के तीन बच्चों में से मझले बेटे थे। उन्होंने वर्ष 2019 में सेना की नौकरी से सेवानवृत्त होना था। जोरावर के एक भाई की कुछ वर्ष पहले सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।

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