Himachal Panchayat Elections: मतदाता सूचियों की छपाई का काम रुका, अप्रैल-मई तक लटक सकते हैं पंचायत चुनाव
हिमाचल प्रदेश में सरकार की मशीनरी और सहयोग के बगैर हिमाचल में पंचायत चुनाव कराना मुश्किल है। राज्य निर्वाचन आयोग और प्रदेश सरकार में उपजे विवाद के बीच मतदाता सूचियों की छपाई का काम रुक गया है। पढ़ें पूरी खबर...
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पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग और प्रदेश सरकार में उपजे विवाद के बीच मतदाता सूचियों की छपाई का काम रुक गया है। जिला निर्वाचन अधिकारियों की ओर मतदाता सूचियों का डाटा उपलब्ध न करवाने से छपाई का काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है। मुद्रण एवं लेखन सामग्री विभाग की ओर से छपाई के टेंडर भी जारी कर दिए थे। रोस्टर जारी होने से पहले इन सूचियों को पंचायतों में भेजा जाना है। हर वार्ड को 20 सूची भेजी जाती है।
वहीं, राज्य निर्वाचन आयोग के आदेशों के बाद जिला निर्वाचन अधिकारी क्या करें और क्या न करें की स्थिति में है। एक तरफ सरकार की ओर से डिजास्टर एक्ट लागू किया गया है तो दूसरी ओर आयोग ने पंचायतों के चुनाव को लेकर मतदाता सूचियां, बैलेट पेपर आदि चुनावी सामग्री उठाने की आदेश जारी किए गए है। इन हालात में दो उपायुक्तों (जिला निर्वाचन अधिकारी) ने मुख्य सचिव को पत्र लिख कर स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया है।
पंचायतों के पुनर्गठन पर लगाई रोक का फैसला वापस लेने को आयोग तैयार नहीं है। सरकार ने मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का क्लाॅज 12.1 हटाने का आग्रह किया है। आयोग का कहना है कि कोर्ट में ही इसको लेकर स्थिति स्पष्ट कर सकते हैं।
सरकार की मशीनरी और सहयोग के बगैर हिमाचल में पंचायत के चुनाव कराना मुश्किल है। आयोग भी इस बात को मान रहा है। ज्यादातर इन चुनाव में शिक्षा विभाग के कर्मचारियों और अध्यापकों की ड्यूटियां लगती हैं। हिमाचल में अभी डिजास्टर एक्ट लागू है। दिसंबर-जनवरी में बर्फबारी की संभावना रहती है। इसके बाद स्कूलों में परीक्षाएं शुरू हो जाती हैं। ऐसे में यह चुनाव अब अगले वर्ष अप्रैल-मई महीने तक लटक सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश में पंचायतीराज संस्थाओं का कार्यकाल जनवरी 2026 में पूरा होने जा रहा है। ऐसे में पंचायतों की शक्तियां बीडीओ और पंचायत सचिव को दी जा सकती है। पंचायतों में होने वाले विकास कार्यों की निगरानी ये ही करेंगे।