Mohini Ekadashi 2025: वैशाख हिंदू नववर्ष का दूसरा महीना है, जो सृष्टि के संचालक भगवान विष्णु की उपासना को समर्पित है। इस साल इसकी शुरुआत 13 अप्रैल 2025 से हो चुकी है। मान्यता है कि वैशाख महीने में पवित्र नदियों में स्नान, पूजा-पाठ, दान, हवन व व्रत रखने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं। इसके अलावा जीवन में सुख-समृद्धि व आर्थिक लाभ के योग बनते हैं। इस दौरान वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को सबसे खास माना गया है। बता दें, इस दिन मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस तिथि पर भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया था। इसलिए इस दिन उनके इस रूप की आराधना करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इस साल 8 मई 2025 को मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। ऐसे में आइए इस दिन की संपूर्ण पूजा विधि के बारे में जानते हैं।
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Mohini Ekadashi 2025: मोहिनी एकादशी पर इस विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा, पूरे होंगे सभी अटके काम
धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: मेघा कुमारी Updated Wed, 07 May 2025 03:32 PM IST
सार
Mohini Ekadashi 2025: इस साल 8 मई 2025 को मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। ऐसे में आइए इस दिन की संपूर्ण पूजा विधि के बारे में जानते हैं।
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Mohini Ekadashi 2025
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Mohini Ekadashi 2025
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एकादशी पूजा विधि
- एकादशी के दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें।
- इसके बाद साफ पीले रंग के वस्त्रों को धारण करें।
- अब पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
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Mohini Ekadashi 2025
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- इसके बाद एक साफ चौकी लेकर उसपर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र को स्थापित कर दें।
- अब प्रभु को पीले वस्त्र अर्पित करें।
- इसके बाद पीले फूल, चंदन, तुलसी दल अर्पित करें।
- अब मिठाई का भोग लगाएं।

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- भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
- विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें।
- अंत में आरती करें और जरुरमंद व्यक्तियों को दान दक्षिणा दें।
- इस दौरान आप रात्रि के समय भगवान विष्णु के भजन और कीर्तन का आयोजन भी कर सकते हैं, इससे जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
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भगवान विष्णु की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥
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