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Holi 2019 : होली में छिपे हैं जीवन के रंग, दे जाते हैं बड़े संदेश
अनीता जैन, वास्तुविद्
Published by: Madhukar Mishra
Updated Tue, 19 Mar 2019 04:49 PM IST
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Holi 2019
सनातन धर्म में प्रत्येक मास की पूर्णिमा का बड़ा ही महत्व है और यह किसी न किसी उत्सव के रूप में मनाई जाती है। उत्सव के इसी क्रम में होली, वसंतोत्सव के रूप में फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। रंगों का उत्सव होली एक सांस्कृतिक,धार्मिक और पारंपरिक त्यौहार है। आइए जानते हैं इस महापर्व से जुड़ी परंपराओं और उनसे जुड़े सामाजिक-आध्यात्मिक महत्व के बारे में —
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Holi 2019
आठ दिन नहीं होते शुभ कार्य
अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक के समय में कोई शुभ कार्य या नया कार्य आरम्भ करना शास्त्रों के अनुसार वर्जित माना गया है। होलाष्टक के आठ दिनों में नवग्रह भी उग्र रूप में होते हैं, इसलिए इन दिनों में किए गए शुभ कार्यों में अमंगल होने की आशंका रहती है।
अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक के समय में कोई शुभ कार्य या नया कार्य आरम्भ करना शास्त्रों के अनुसार वर्जित माना गया है। होलाष्टक के आठ दिनों में नवग्रह भी उग्र रूप में होते हैं, इसलिए इन दिनों में किए गए शुभ कार्यों में अमंगल होने की आशंका रहती है।
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Holi 2019
जो होली सो होली
होली शब्द का संबंध होलिका दहन से भी है और इस शब्द का अर्थ यह भी इशारा करता है कि जो होना था हो गया। कहने का तात्पर्य यह कि पिछले वर्ष की गलतियां एवं बैर-भाव को भुलाकर आज के दिन एक दूसरे को रंग लगाकर, गले मिलकर रिश्तों को नए सिरे से आरम्भ किया जाए। इस प्रकार होली भाईचारे, आपसी प्रेम एवं सद्भावना का त्यौहार है।
होली शब्द का संबंध होलिका दहन से भी है और इस शब्द का अर्थ यह भी इशारा करता है कि जो होना था हो गया। कहने का तात्पर्य यह कि पिछले वर्ष की गलतियां एवं बैर-भाव को भुलाकर आज के दिन एक दूसरे को रंग लगाकर, गले मिलकर रिश्तों को नए सिरे से आरम्भ किया जाए। इस प्रकार होली भाईचारे, आपसी प्रेम एवं सद्भावना का त्यौहार है।
Holi 2019
होली के हजार रंग
होली भारतीय समाज में लोकजनों की भावनाओं को अभिव्यक्त करने का आईना है। परिवार को समाज से जोड़ने के लिए होली जैसे पर्व महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। रीति-रिवाज़ों और परम्पराओं के अनुसार होली उत्तर प्रदेश में 'लट्ठमार होली' के रूप में, असम में 'फगवाह' या 'देओल', बंगाल में 'ढोलपूर्णिमा' और नेपाल आदि में 'फागु' नामों से लोकप्रिय है।
होली भारतीय समाज में लोकजनों की भावनाओं को अभिव्यक्त करने का आईना है। परिवार को समाज से जोड़ने के लिए होली जैसे पर्व महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। रीति-रिवाज़ों और परम्पराओं के अनुसार होली उत्तर प्रदेश में 'लट्ठमार होली' के रूप में, असम में 'फगवाह' या 'देओल', बंगाल में 'ढोलपूर्णिमा' और नेपाल आदि में 'फागु' नामों से लोकप्रिय है।
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श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर उड़ता रंग गुलाल
- फोटो : अमर उजाला
मुगलकाल में भी मनाई जाती थी होली
मुग़ल साम्राज्य के समय में होली की तैयारियां कई दिन पहले ही प्रारम्भ हो जाती थीं। मुगलों के द्वारा होली खेलने के संकेत कई ऐतिहासिक पुस्तकों में मिलते हैं। जिसमें अकबर, हुमायूं, जहांगीर, शाहजहां और बहादुरशाह जफ़र मुख्य बादशाह थे, जिनके समय में होली खेली जाती थी।
मुग़ल साम्राज्य के समय में होली की तैयारियां कई दिन पहले ही प्रारम्भ हो जाती थीं। मुगलों के द्वारा होली खेलने के संकेत कई ऐतिहासिक पुस्तकों में मिलते हैं। जिसमें अकबर, हुमायूं, जहांगीर, शाहजहां और बहादुरशाह जफ़र मुख्य बादशाह थे, जिनके समय में होली खेली जाती थी।