Paush Purnima 2026: पौष पूर्णिमा हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और विशेष मानी गई हैं। मान्यता है कि, इस दिन भगवान विष्णु और धन की देवी माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करने पर साधक पर उनकी विशेष कृपा बनी रहती है। साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि से लेकर भाग्य में सकारात्मक बदलाव आते हैं। धार्मिक ग्रंथों में पौष पूर्णिमा के महत्व और इसकी महिमा का उल्लेख किया गया है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती हैं और जीवन से नकारात्मक ऊर्जा व बाधाएं दूर होती हैं। वर्तमान में पौष माह जारी है। परंतु इस महीने की पूर्णिमा वर्ष 2026 में मनाई जाएगी। खास बात यह है कि, यह साल 2026 की पहली पूर्णिमा होगी। ऐसे में आइए इसके महत्व और पूजन को जानते हैं।
Paush Purnima 2026: साल 2026 में कब मनाई जाएगी पौष पूर्णिमा ? जानें तारीख और पूजा विधि
Paush Purnima 2026: धार्मिक ग्रंथों में पौष पूर्णिमा के महत्व और इसकी महिमा का उल्लेख किया गया है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती हैं और जीवन से नकारात्मक ऊर्जा व बाधाएं दूर होती हैं।
पौष पूर्णिमा तिथि और मुहूर्त
पौष महीने की पूर्णिमा तिथि 2 जनवरी 2026 को शाम 6 बजकर 53 मिनट पर शुरू होगी। इस तिथि का समापन 3 जनवरी 2026 को दोपहर 3:32 पर होगा। उदया तिथि के मुताबिक, 3 जनवरी 2026 को पौष पूर्णिमा मनाई जाएगी। यह साल 2026 की पहली पूर्णिमा होगी। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05 बजकर 25- से 6:20 तक रहने वाला है। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 34 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 2 मिनट तक मान्य है। इस दिन चंद्रोदय शाम 5.28 पर होगा।
Daan Ke Niyam: सूर्यास्त के बाद भूलकर भी दान में न दें ये चीजें, जीवन में आने लगती हैं रुकावटें
Sakat Chauth 2026 Date: सकट चौथ कब है? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
क्या है पौष पूर्णिमा की पूजा विधि
पौष पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करें। इसके बाद आप सूर्यदेव को जल अर्पित करें। अब आप एक चौकी पर विष्णु जी और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कर लें। प्रभु को फूल माला अर्पित करें और शुद्ध देसी घी का दीप जला लें। इस दौरान ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात: मंत्र का उच्चारण करें और पूजा में मौसमी फल, मिठाई और दान की सामग्री शामिल कर लें। इसके बाद विष्णु जी को पंजीरी का भोग लगाएं और ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥ मंत्र का स्मरण करें। इसके बाद सत्यनारायण भगवान की कथा का पाठ करें। अंत में लक्ष्मी-विष्णु जी की आरती करें और सभी में प्रसाद बांट दें।
New Year Mantras: नए साल पर इन मंत्रों के जाप से करें शुभारंभ, जीवन में आएंगे सकारात्मक बदलाव
Hindu Nav Varsh: 2026 में कब शुरू होगा हिंदू नववर्ष? जानें सही तिथि और इसका महत्व
1.ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु ।
यद्दीदयच्दवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्”।।
2. वृंदा,वृन्दावनी,विश्वपुजिता,विश्वपावनी |
पुष्पसारा,नंदिनी च तुलसी,कृष्णजीवनी ।।
एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम |
य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत।।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।