रियो ओलंपिक के शुरुआत से पहले यह दावा किया गया था कि भारत के खाते में इस बार रिकॉर्डतोड़ 10 से ज्यादा पदक आएंगे, लेकिन खेलों के महाकुंभ खत्म होने के बाद सिर्फ दो पदक ही आए। ये दो पदक भी तब आए जब यह महाकुंभ अपने समापन की ओर चल निकला था। शुरुआती 12 दिनों तक पदक के इंतजार को खत्म करते हुए साक्षी मलिक ने देश को पहला पदक दिलाया तो अगले ही दिन पीवी सिंधू ने रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया। भारत भले ही ज्यादा पदक नहीं जीत सका लेकिन कई खिलाड़ियों ने एक बार शानदार खेल दिखाकर पदक की उम्मीद तो जता ही दी थी।
तो भारत के ये 7 एथलीट भी साक्षी और सिंधू की तरह रियो में चमकते!
भले ही भारत के खाते में सिर्फ 2 पदक आए और भविष्य में इन्हीं 2 पदकों को ही याद किया जाएगा, लेकिन कुछ खिलाड़ियों के जोरदार प्रदर्शन को कमतर आंका नहीं जा सकता। अगर किस्मत साथ देती तो भारत में नाम करीब 10 पदक तो होते ही। आइए जानते हैं कि भारत की ओर से उन 7 प्रदर्शन को जिन्होंने एक समय पदक की उम्मीद जगा दी थी, लेकिन किस्मत उनके साथ दगा कर गई।
तो भारत के ये 7 एथलीट भी साक्षी और सिंधू की तरह रियो में चमकते!
शुरुआत सानिया मिर्जा से। भारत को टेनिस से 2 पदक की आस थी, लेकिन लिएंडर पेस और रोहन बोपन्ना की पुरुष युगल जोड़ी पहले ही दौर में हार गई, लेकिन मिश्रित युगल में बोपन्ना सानिया के साथ सेमीफाइनल में पहुंचे, लेकिन पहले अमेरिकी जोड़ी से हार के बाद कांस्य के लिए हुए मुकाबले में भारतीय जोड़ी को चेक गणराज्य की जोड़ी से सीधे सेटों में हार मिली। सानिया-बोपन्ना की जोड़ी को पदक के लिए 2 मौके मिले लेकिन पदक उनके करीब नहीं आ सकी।
तो भारत के ये 7 एथलीट भी साक्षी और सिंधू की तरह रियो में चमकते!
दीपा करमारकर जिन्होंने जिमनास्ट में करिश्नाई प्रदर्शन कर स्वर्ण पदक की आस जगा दी थी, लेकिन फाइनल मुकाबले में वह 0.15 अंक से पदक से चूक गईं। वह आर्टिस्टिक जिम्नास्ट स्पर्धा के फाइनल में 15.066 अंक लेकर चौथे स्थान पर रहीं। स्वर्ण पदक अमेरिका की सिमोन वाइल्स को मिला। दीपा ओलंपिक इतिहास में महिला जिम्नास्ट के किसी स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने वाली पहली महिला बनी थीं।
तो भारत के ये 7 एथलीट भी साक्षी और सिंधू की तरह रियो में चमकते!
जीतू राय इस बार निशानेबाजी में भारत की ओर से सबसे बड़ा नाम था और उनसे एक नहीं बल्कि दो पदक की आस थी। 31वें ओलंपिक के पहले दिन 10 मीटर एयर पिस्टल के फाइनल में पहुंच गए थे, लेकिन पदक के लिए हुई निशानेबाजी में उनकी पिस्टल काम न आई और 8वें स्थान पर रहे।