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दुनिया की पहली 6G चिप: 100 Gbps की स्पीड में होगा फाइल ट्रांसफर, 5000 गुना तेज चलेगा इंटरनेट
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Wed, 10 Sep 2025 05:24 PM IST
सार
World's First All Frequency 6G Chip: चीन की बीजिंग और हांगकांग विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों ने दुनिया की पहली ऑल-फ्रीक्वेंसी 6G चिप तैयार कर ली है। नाखून से भी छोटी इस चिप से इंटरनेट की रफ्तार 100 गीगाबिट (GB) प्रति सेकंड तक पहुंच जाएगी।
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माइक्रोचिप (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : AI
दुनिया अभी 5G नेटवर्क का पूरा इस्तेमाल करना भी शुरू नहीं कर पाई है और वैज्ञानिकों ने 6G चिप पेश करके भविष्य की दिशा तय कर दी है। दावा है कि यह तकनीक इंटरनेट को बिजली से भी तेज बना देगी। इस मिनी चिप के आने से न सिर्फ अल्ट्रा-हाई-स्पीड डेटा ट्रांसफर संभव होगा बल्कि नेटवर्क का रेस्पॉन्स टाइम भी बेहद कम हो जाएगा। इसका मतलब है कि रीयल-टाइम कम्युनिकेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंटीग्रेशन और भी आसान हो जाएगा।
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सुपरफास्ट स्पीड में होगा हर काम
- फोटो : AI
नाखून से भी छोटा मगर ताकतवर
चीन की बीजिंग यूनिवर्सिटी और हॉन्गकॉन्ग यूनिवर्सिटी की साझेदारी में तैयार इस 6जी चिप की टेस्टिंग चल रही है। यह 6G चिप आकार में नाखून से भी छोटा है लेकिन इसकी क्षमता हैरान करने वाली है। यह 0.5 गीगाहर्ट्ज से लेकर 115 गीगाहर्ट्ज तक की फ्रीक्वेंसी रेंज को सपोर्ट करता है। आमतौर पर इतने बड़े स्पेक्ट्रम को संभालने के लिए नौ अलग-अलग रेडियो सिस्टम की जरूरत होती है, मगर इस चिप ने सब कुछ एक ही प्लेटफॉर्म पर समेट लिया है।
चीन की बीजिंग यूनिवर्सिटी और हॉन्गकॉन्ग यूनिवर्सिटी की साझेदारी में तैयार इस 6जी चिप की टेस्टिंग चल रही है। यह 6G चिप आकार में नाखून से भी छोटा है लेकिन इसकी क्षमता हैरान करने वाली है। यह 0.5 गीगाहर्ट्ज से लेकर 115 गीगाहर्ट्ज तक की फ्रीक्वेंसी रेंज को सपोर्ट करता है। आमतौर पर इतने बड़े स्पेक्ट्रम को संभालने के लिए नौ अलग-अलग रेडियो सिस्टम की जरूरत होती है, मगर इस चिप ने सब कुछ एक ही प्लेटफॉर्म पर समेट लिया है।
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ऐसे काम करती है यह तकनीक
- फोटो : Google
कैसे काम करती है यह तकनीक
इस तकनीक को बनाने के लिए थिन-फिल्म लिथियम निओबेट (TFLN) नामक विशेष पदार्थ का इस्तेमाल किया गया है। इसमें ब्रॉडबैंड इलेक्ट्रो-ऑप्टिक मॉड्युलेटर वायरलेस सिग्नल को ऑप्टिकल सिग्नल में बदलता है और फिर ऑप्टो-इलेक्ट्रॉनिक ऑसिलेटर्स इन्हें आवश्यक रेडियो फ्रीक्वेंसी में बदल देते हैं। इस प्रक्रिया से बिजली और प्रकाश की मदद से स्थिर और साफ सिग्नल तैयार होता है, जो माइक्रोवेव से लेकर टेराहर्ट्ज तक की तरंगों को कवर करता है।
इस तकनीक को बनाने के लिए थिन-फिल्म लिथियम निओबेट (TFLN) नामक विशेष पदार्थ का इस्तेमाल किया गया है। इसमें ब्रॉडबैंड इलेक्ट्रो-ऑप्टिक मॉड्युलेटर वायरलेस सिग्नल को ऑप्टिकल सिग्नल में बदलता है और फिर ऑप्टो-इलेक्ट्रॉनिक ऑसिलेटर्स इन्हें आवश्यक रेडियो फ्रीक्वेंसी में बदल देते हैं। इस प्रक्रिया से बिजली और प्रकाश की मदद से स्थिर और साफ सिग्नल तैयार होता है, जो माइक्रोवेव से लेकर टेराहर्ट्ज तक की तरंगों को कवर करता है।
सुपरफास्ट बनेगा इंटरनेट
- फोटो : अमर उजाला
बिजली से भी तेज चलेगा इंटरनेट
वैज्ञानिकों का दावा है कि इस चिप से 100 गीगाबिट प्रति सेकंड (100 Gbps) से भी अधिक की स्पीड हासिल की जा सकती है। यानी बड़ी से बड़ी फाइल सेकंडों में डाउनलोड और अपलोड हो जाएगी। साथ ही घर, ऑफिस और इंडस्ट्री में जुड़े उपकरण बेहतर तरीके से सिंक होकर काम करेंगे।
वैज्ञानिकों का दावा है कि इस चिप से 100 गीगाबिट प्रति सेकंड (100 Gbps) से भी अधिक की स्पीड हासिल की जा सकती है। यानी बड़ी से बड़ी फाइल सेकंडों में डाउनलोड और अपलोड हो जाएगी। साथ ही घर, ऑफिस और इंडस्ट्री में जुड़े उपकरण बेहतर तरीके से सिंक होकर काम करेंगे।
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पैदा होंगी रोजगार की नई संभावनएं
- फोटो : Adobe Stock
स्वास्थ्य क्षेत्र में बदलाव
6G तकनीक के आने से स्वास्थ्य क्षेत्र में भी क्रांति आएगी। डॉक्टर दूर बैठकर रीयल-टाइम में रिमोट सर्जरी कर पाएंगे और हाई-क्वालिटी हेल्थ मॉनिटरिंग संभव होगी। शिक्षा और शोध जगत को भी इससे नई ऊंचाई मिलेगी क्योंकि तेज कनेक्टिविटी वर्चुअल लैब और ग्लोबल रिसर्च को आसान बनाएगी।
सबसे अहम बात यह है कि यह तकनीक रोजगार की नई संभावनाओं को भी जन्म देगी। टेलीकॉम, आईटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेक्टर में लाखों नौकरियां पैदा होने की संभावना है। कुल मिलाकर, यह छोटी-सी चिप आने वाले समय में इंटरनेट और टेक्नोलॉजी की दुनिया का चेहरा पूरी तरह बदल सकती है।
6G तकनीक के आने से स्वास्थ्य क्षेत्र में भी क्रांति आएगी। डॉक्टर दूर बैठकर रीयल-टाइम में रिमोट सर्जरी कर पाएंगे और हाई-क्वालिटी हेल्थ मॉनिटरिंग संभव होगी। शिक्षा और शोध जगत को भी इससे नई ऊंचाई मिलेगी क्योंकि तेज कनेक्टिविटी वर्चुअल लैब और ग्लोबल रिसर्च को आसान बनाएगी।
सबसे अहम बात यह है कि यह तकनीक रोजगार की नई संभावनाओं को भी जन्म देगी। टेलीकॉम, आईटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेक्टर में लाखों नौकरियां पैदा होने की संभावना है। कुल मिलाकर, यह छोटी-सी चिप आने वाले समय में इंटरनेट और टेक्नोलॉजी की दुनिया का चेहरा पूरी तरह बदल सकती है।